पटना/ लखनऊ। कोरोना महामारी और लम्बी अवधि वाले लॉकडाउन के कारण आज गांव के दलित, गरीब और मजदूरों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। स्वयं सहायता समूह-जीविका समूह को राहत देने की बजाय उनसे कर्ज की किश्त वसूली जा रही है, यहां तक कि उनके जानवर खोल लिए जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर कॉरपोरेट को छूट पर छूट दी जा रही है। इसको लेकर लोगों में सरकारों के खिलाफ बेहद रोष है। उसी रोष को आवाज देने के लिए सीपीआई (एमएल), खेग्रांमस और ऐपवा ने आज राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया। जिसमें बिहार और यूपी में हजारों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरीं।
इस मौके पर आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए खेग्रांमस के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि बिहार की जनता जनविरोधी नीतीश सरकार को चुनाव में सबक सिखाएगी। बिहार में पटना के अलावा सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, जहानाबाद, आरा आदि कई केंद्रों पर भी हजारों की तादाद में ग्रामीण महिलाएं सड़क पर उतरीं और माइक्रोफायनेंस कम्पनियों द्वारा छोटे कर्जों की जबरन वसूली पर रोक लगाने की मांग की।

प्रदर्शन के दौरान ग्रुप लोन पर ब्याज दर आधा करो, ब्याज पर ब्याज वसूलना बन्द करो; स्वंय सहायता समूह-जीविका समूह से जुड़ी महिलाओं के सभी लोन माफ़ करो, पटना – दिल्ली खोलो कान, कर्ज माफी का करो ऐलान; पूंजीपतियों को लाखों-करोड़ों की लोन माफी, तो महिलाओं की लोन माफी क्यों नहीं आदि नारे लगा रहे थे।
पटना में मार्च रेडियो स्टेशन पर जमा हुआ और पुलिस ने उसे वहीं रोक दिया। फिर बाद में वहां प्रदर्शनकारियों ने सभा की। सभा मे मीना तिवारी ने कहा कि आज भूख और बेकारी हर जगह पसरी हुई है। नकदी का भारी संकट है क्योंकि 5-6
महीने से काम धंधा बन्द है। बाहर से हर परिवार में मासिक जो आमदनी होती थी, वो सारे रास्ते बंद हैं। भुखमरी-अर्धभुखमरी जैसी स्थिति है। प्रधानमंत्री के द्वारा जो रोजगार देने की घोषणा हुई, उसका अता पता नहीं है। और दाल तो रास्ते में गल गयी। गरीबों के बच्चे की पढ़ाई 5 महीने से बन्द है! बिजली बिल का करंट अलग से लग रहा है! आमदनी कुछ है नहीं, तो महिलाएं ग्रुप लोन की किस्तें कहां से चुकायेंगी?
आइसा के महासचिव संदीप सौरभ ने कहा कि अभी भी गांव में 15-20 प्रतिशत परिवारों के पास राशनकार्ड नहीं है और जिनके भी नया राशन कार्ड बना है, उनके सभी सदस्यों का नाम राशनकार्ड में नही है! इसी परेशानी और तंगहाली के बीच बाढ़ ने पूरे उत्तर बिहार को तबाह कर दिया है।
शशि यादव ने कहा कि जनसमुदाय में व्यापक आक्रोश है। महिलाओं, गांव-गरीबों के जीवन-जीविका से जुड़े सवालों को लेकर अपेक्षित कदम उठाने के हम यहाँ आये हैं।
इस मुद्दे को लेकर यूपी में भी ऐपवा और खेत मजदूर संगठन के लोगों ने जिला मुख्यालयों प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने रैलियां निकालीं और जिले के अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। साथ ही अधिकारियों को चेतावनी दी कि गरीब महिलाओं से जबरन वसूली नहीं रुकी तो धारावाहिक आंदोलन चलाया जाएगा।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि ऐसे समय में जब लंबे लॉकडाउन व अनलॉक की प्रक्रिया में सारे रोजगार ठप हो गए, किसी भी तरह की आमदनी नहीं हो रही, मनरेगा में रोजगार व मजदूरी भी समय पर नहीं मिल पा रही है, तब जिलों में कार्यरत बंधन, कैशपार, उत्कर्ष, आशीर्वाद, प्रयत्न व अन्य माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट तमाम गांवों में जाकर गरीब महिलाओं द्वारा लिए गए कर्ज की धमकाकर जबरन वसूली कर रहे हैं। जबकि लॉकडाउन और अनलॉक की लंबी प्रक्रिया में पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, लोगों को अपना परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। यह तब किया जा रहा है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की गाइडलाइन है कि किसी भी तरह के कर्जे की जबरन वसूली 31 मार्च 2021 तक नहीं करनी है।
वक्ताओं ने कहा कि जरूरत तो इस बात की है कि आरबीआई द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार उन कर्जों की जबरन वसूली न की जाए और दबाव बनाकर वसूली करने वाली कंपनियों के एजेंटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो भाकपा (माले), खेग्रामस तथा ऐपवा के संयुक्त नेतृत्व में धारावाहिक आंदोलन चलाया जाएगा।
इस सवाल पर लखीमपुर खीरी में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि सरकार की नाकामी की वजह से आज प्रदेश की जनता भुखमरी और बेरोजगारी से जूझ रही है जिसके कारण लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं । सरकार की विफल ही चुकी आर्थिक नीतियों का असर सबसे अधिक आधी आबादी पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्वंय सहायता समूह से जुड़ी सभी गरीब महिलाओं ने माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से जो लोन लिया था वही कम्पनियां आज अमानवीय ढंग से जबरन वसूली करके महिलाओं का उत्पीड़न कर रही हैं। कृष्णा अधिकारी ने कहा कि ऐपवा मांग करती है कि एसएसजी से जुड़ी सभी महिलाओं के सभी तरह के कर्जे सरकार तत्काल माफ करे।
प्रदर्शन का नेतृत्व बलिया में अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व माले की केंद्रीय समिति के सदस्य श्रीराम चौधरी, लखीमपुर खीरी में ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी व उपाध्यक्ष आरती राय, देवरिया में श्रीराम कुशवाहा, मिर्जापुर में शशिकांत कुशवाहा व जीरा भारती, गाजीपुर में ईश्वरी प्रसाद व रामप्यारे, मऊ में वसंत, आजमगढ़ में वरिष्ठ नेता जयप्रकाश नारायण व ओमप्रकाश सिंह, चंदौली में अनिल पासवान, वाराणसी में अमरनाथ राजभर, इलाहाबाद में कमल उसरी, सीतापुर में माले जिला सचिव अर्जुन लाल व ऐपवा जिलाध्यक्ष सरोजिनी और मथुरा में नसीर शाह ने किया।
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