नई दिल्ली। मणिपुर में जातीय हिंसा से फैली अराजकता अंतहीन लग रही है। मणिपुर में 5 महीने बीतने वाले हैं लेकिन हिंसा बंद नहीं हो रही है। 16 सितंबर को मणिपुर पुलिस ने 5 हथियारबंद मैतेई युवकों को पुलिस की वर्दी पहने गिरफ्तार किया गया था। मणिपुर में हिंसा को नए-नए रुप में अंजाम दिया जा रहा है। गुरुवार दोपहर को गिरफ्तार किए गए युवकों को बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर मैतेई महिलाओं के एक समूह (मीरा पैबिस) की सैकड़ों सदस्य इंफाल घाटी में कई पुलिस स्टेशनों के पास विरोध प्रदर्शन किया।
मैतेई लोगों ने इसी मांग को लेकर सोमवार को पहले राज्य में विरोध प्रदर्शन करने के बाद, मंगलवार और बुधवार को बंद का आह्वान किया था। मैतेई समुदाय द्वारा पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन मैतेई समुदाय और राज्य पुलिस के बीच बढ़ते अविश्वास को रेखांकित करता है। जबकि हिंसा को शुरुआती दौर में ऐसा माना जा रहा था कि पुलिस मैतेई समुदाय की समर्थक है और कुकी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जिन मैतेई युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है वो दरअसल मैतेई गांव के रक्षक के तौर पर काम करते हैं। 20 सप्ताह पहले शुरु हुई हिंसा से फैली अशांति के दरमियान गांव की रक्षा कर रहे थे। आपको बता दें कि इस हिंसा में अभी तक कुल 176 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 67000 लोग पलायन कर चुके हैं।
लेकिन पुलिस का कहना है कि शनिवार को गिरफ्तार हुए 5 लोग पुलिस वर्दी में अत्याधुनिक हथियारों से लैस घूम रहे थे। और अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस का कहना है कि पांचों को “हथियारबंद बदमाशों द्वारा जबरन वसूली की धमकियों, पुलिस वर्दी के दुरुपयोग और प्रतिरूपण को रोकने” के प्रयासों के तहत गिरफ्तार किया गया था।
विरोध प्रदर्शन का आह्वान अन्य मैतेइयों के अलावा पश्चिमी इंफाल जिले के लंगथाबल केंद्र क्लब समन्वय समिति और लंगथाबल केंद्र मीरा पैबीस समन्वय समिति ने किया था, लेकिन ज्यादातर प्रदर्शनकारी मीरा पैबीस के लोग थे।
सूत्रों के अनुसार करीब 1:30 बजे सैकड़ों की संख्या में मीरा पैबीस के सदस्यों ने राज्य के 5 जिलों के 25 पुलिस स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन किया है।
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने पुलिस स्टेशन से 400-500 मीटर दूर बैरिकेड्स लगाए। कुछ पुलिस स्टेशनों पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। पश्चिमी इंफाल में सिंगजामेई पुलिस स्टेशन और पूर्वी इंफाल में पोरामपट पुलिस स्टेशन सहित कई स्थानों पर आंसू गैस छोड़ी गई। सूत्रों ने बताया कि 10 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हो गए और सिंगजामेई ओसी के आवास में तोड़फोड़ की गई।
पुलिस ने बताया कि इलाके में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उठाए गए कदम में न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया गया था। जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों को मामूली चोटें आई हैं।
इम्फाल की मीरा पैबीस ने कहा “हम चाहते हैं कि पुलिस हमें भी लॉकअप में रखे, जब तक कि पांचों को बिना शर्त रिहा नहीं किया जाता। पुलिस घाटी में ग्रामीण रक्षकों को गिरफ्तार कर रही है, लेकिन पहाड़ियों से सटे क्षेत्रों में सशस्त्र कुकी आतंकवादियों के हमलों को रोकने में असमर्थ है।”
एक सूत्र ने कहा कि राज्य सरकार ने गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की और कहा कि अधिकारियों को कानूनी रूप से आगे बढ़ना होगा क्योंकि मामले दर्ज किए गए हैं। सूत्र ने कहा, “उन्हें बताया गया कि वे जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं लेकिन वे सहमत नहीं हुए।”
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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