मोदी के सितारे गर्दिश में ‘घरेबाहिरे’ 

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अपने आप को विश्वगुरु और ईश्वरीय अवतार घोषित कहलाने वाले माननीय भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी के सितारे गर्दिश में जा रहे हैं।अब किसी चमत्कार और साजिश की संभावना भी शेष नहीं दिखती। इसके दो कारण तो साफ़-साफ़ नज़र आ रहे हैं एक तो घर में संघ की नज़र में उनकी छवि अब गिर गई है इसलिए इस बार भाजपा अध्यक्ष को लेकर देर हो रही है। कशमकश कब तक चलेगी और संघ कैसे किसी खास संघी को अध्यक्ष बनाता है इसका फैसला संभवतः16 से 18 अप्रैल में होना बताया जा रहा है।

आजकल नितिन गडकरी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है वे पहले भी ये कमान संभाल चुके हैं। आम जनता में उनकी छवि केंद्रीय मंत्री के रुप में सबसे ज़्यादा काम करने वाले मंत्री के रुप में शुमार है। वे सरसंघचालक भागवत जी के सगे रिश्ते में हैं और इसीलिए संघ को खुश रखने के लिए मोदी जी ने एकमात्र मंत्री गडकरी को विकास के लिए विपुल राशि दी। जबकि गडकरी अपनी सरकार की आलोचना भी करते रहे तथा गांधी और नेहरू की प्रशंसा भी करते रहे।

संघ के दबाव में वे उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाए। वे बराबर नागपुर में मुस्लिम-हिंदू भाई चारे के पक्षधर भी रहे हैं। इसलिए नागपुर सेफ रहा है। किंतु पिछले दिनों नागपुर में जो हिंसा मोदी भक्तों ने की उससे नागपुर खतरे वाले जोन में आ गया है जिससे नितिन गडकरी को स्वत: भविष्य में जीत को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। यही वजह है कि भागवत जी मुस्लिमों के प्रति नरम नज़र आ रहे हैं। जिससे संघ के मुस्लिम विरोधी लोग पशोपेश में हैं जबकि भाजपा भी मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए वक्फ़ बिल को गरीब मुस्लिम के हित में बता रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह बिल सुको संविधान विरोधी बताकर इसे वापसी के लिए कह सकता है।

इन सब अंदरूनी हरकतों से ज़ाहिर होता है कि मोदी जी की कुर्सी खतरे में है। अंदरूनी विवाद गहरा गया है। संघ प्रिय योगी आदित्यनाथ जो संघ के एजेंडे पर खुलकर काम कर रहे हैं उनकी तकदीर चमक सकती है।

दूसरी तरफ़ माई फ्रेंड डोनाल्ड ट्रम्प भी मोदी जी के उन रहस्यों को खोलने में लगे हैं जिससे पूरी दुनिया में उनकी स्थिति बदतर हो रही है। जिस भय और धमकी से मोदी जी ने डोनाल्ड ट्रम्प के सामने गर्दन डाल दी है वे अब उन्हें हलाल करने की तैयारी में हैं। जिस पेगासस मामले में हमारे सुको को कुछ समझ नहीं आया अब उसकी पोल अमेरिकी अदालत में खोली जा रही है। वे सौ नाम जो देश के सार्वजनिक तौर पर उजागर हुए हैं उनमें कोई देशद्रोही नहीं है। आश्चर्यजनक तो यह है इस सूची में विपक्ष के नेता, उनकी बहन के साथ उनके ही मंत्रिमंडल के दो कैबिनेट मंत्री भी हैं। अन्य लोगों में पत्रकार, जज तथा कई बड़े अधिकारी भी हैं।

इज़राइल का कहना है कि उन्होंने यह जासूसी सिस्टम भारत सरकार को इस शर्त पर दिया था ताकि आतंकी गतिविधियों पर नज़र रखी जाए। किंतु इसका अनधिकृत इस्तेमाल हुआ है। स्मरण रहे कि मोदी जी तो इस बात से भी इंकार करते रहे हैं कि वे इसे लेकर आए हैं। यह झूठ अमेरिकी अदालत ने पकड़ा है इससे मोदी जी कटघरे में आने वाले हैं।

इसके अलावा अमेरिका की राष्ट्रीय ख़ुफ़िया प्रमुख तुलसी गैबार्ड ने जिस तरह ईवीएम के ज़रिए चुनाव में धांधली की जगह बैलेट पेपर को उचित बताया है उसमें मोदी जी की चुनाव धांधली का रहस्य छुपा हुआ है इसलिए अपनी अंतिम अमेरिकी यात्रा में मोदी जी गंगाजल का कलश तुलसी गैबार्ड को भेंट करते हैं मानो गंगाजल का कलश लेकर उनसे शपथ ले रहे हों कि राज को राज रहने दो।

पता नहीं इस यारी के कितने दाग भारत भूमि को झेलने पड़ते हैं।

कहने का आशय यह है कि मोदी जी घरेबाहिरे सब जगह मुसीबतों से घिर चुके हैं। भारत की ज़मीं पर भले ही उन्हें संघ थोड़ी रियायत अता कर दे किंतु अमेरिकी अदालत से राहत की उम्मीद कम बनती है। ख़तरा यही है माई फ्रेंड डोनाल्ड ट्रम्प को वे देश कहीं गिरवी ना रख दें या बेच डालें। चूंकि उनके मुताबिक उनके रग-रग में व्यापार समाहित है।

इस बीच प्रसन्नता इस बात की है कि वर्तमान में सुको सीजेआई खन्ना जी और सुको के जज देशहित में फैसले दे रहे हैं तथा मोदी जी यहां भी कई मामलों में फंसते नज़र आ रहे हैं।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)

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