टीआरपी के घोड़े पर सवार टीवी चैनलों के बदनुमा चेहरों का पर्दाफाश

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निजी समाचार चैनलों में आपसी प्रतिस्पर्धा और टीआरपी की होड़ ने आम जनता की परेशानियों से उसे दूर कर दिया और सत्ता की गोद में बैठा दिया है। विशेष कर अन्ना आन्दोलन के समय से यह टेंडेंसी ज्यादा तेज हो गयी और 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार में वर्तमान सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने करोड़ों रुपए खर्च किये अपने प्रचार और विज्ञापन पर। इसी होड़ में तमाम कार्पोरेट मीडिया घरानों के मालिकों, संपादकों और एंकरों ने नरेंद्र मोदी को पहले एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर स्थापित करने की मुहिम चलाकर उन्हें देश का प्रधानमंत्री बना दिया और फिर उनको एक दिव्य राजनेता की छवि दी।

इसका प्रमाण है कि इन कथित राष्ट्रीय मीडिया के एंकरों और सम्पादकों ने मोदी से उनकी गलत और जनविरोधी नीतियों, आर्थिक विफलता, सीमा पर अतिक्रमण, विदेश नीति और बेरोजगारी आदि मुद्दों पर सवाल करने के बजाय हमेशा सरकारी प्रवक्ताओं की तरह विपक्ष पर विशेषकर कांग्रेस पर निशाना साधा। साफ़ कहा जाए तो इन एंकरों-पत्रकारों ने किसी दलाल की तरह अपनी भूमिका निभाई और पत्रकारिता की एथिक्स को नुकसान पहुँचाया है। 

आज मुंबई पुलिस ने कहा है कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर TRP बढ़वाते थे, एक ही चैनल चलाने के लिए रोजाना लोगों को 500 रुपए दिए जाते थे।

मुंबई के पुलिस कमिश्‍नर परमवीर सिंह ने यह जानकारी दी। इस मामले में दो लोगों को अरेस्‍ट किया गया है। इसमें से एक रेटिंग को आंकने के लिए ‘पीपल मीटर’ लगाने वाली एक एजेंसी का पूर्व कर्मचारी भी है। उन्‍होंने कहा कि रिपब्लिक टीवी के अधिकारियों, जो न्‍यूज चैनल्‍स में सर्वोच्‍च टेलीविजन रेटिंग प्‍वाइंट्स (TRP) का दावा कर रहे हैं, को आज या कल समन किया जाएगा।

बीते 6 सालों में ज़ी न्यूज़, रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाऊ, एबीपी सहित दर्जनों चैनलों के एंकरों ने अपने स्टूडियो में बैठकर प्रधानमंत्री और बीजेपी का प्रचार किया और उनके बोले झूठ पर सवाल नहीं किया। इतना ही नहीं इन कथित राष्ट्रीय पत्रकारों ने देश में धार्मिक उन्माद फैलाया और एक समुदाय विशेष के खिलाफ़ नफ़रत और झूठ फ़ैलाने का काम किया। इन एंकरों ने सरकार से सवाल करने वालों को टुकड़े-टुकड़े गैंग कह कर संबोधित किया। इन्हें न तो देश की अर्थव्यवस्था की चिंता हुई, न ही गरीबी और महंगाई की। लद्दाख में चीनी अतिक्रमण पर भी ये एंकर प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए घुसपैठ के लिए सेना को ही दोषी ठहरा दिया। 

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति, कोरोना महामारी को लेकर इन चैनलों ने जो मुहिम छेड़ा था उसे भुलाया नहीं जा सकता। अभिनेता की आत्महत्या के बाद बीते 3 महीनों से एक उसकी प्रेमिका रिया को इन मीडिया के गिद्धों ने नोच खाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इनके पास न तो बाढ़ में डूबे हुए असम के लिए समय था न बिहार बाढ़ पीड़ितों के लिए। 

 इन एंकरों ने क्या-क्या कांड किये सब कुछ इंटरनेट पर उपलब्ध है, उन्हें यहाँ गिनाने का न तो फायदा है न ही वक्त। मूल बात यह है कि जो दिखता है वही बिकता है। यह बात ये सभी एंकर और संपादक जानते हैं, सरकार भी जानती है कि यदि एक झूठ को बार-बार दिखाया जाये तो वह सच हो जाता है , मतलब कि लोग उसे सच मानने लगते हैं। सरकार और मीडिया ने यही किया भी है। जहाँ कहीं यदि किसी पत्रकार में उसकी अंतरात्मा ने उसे इसके खिलाफ़ चेताया और उसने इस फर्जीवाड़े पर आवाज़ निकाली तो उसकी आवाज़ दबा दी गयी। 

जिस मीडिया को यह पता चल जाता है कि अभिनेत्री श्री देवी कैसे मरीं, सुशांत सिंह राजपूत कैसे मरा, उस मीडिया को यह पता नहीं चलता कि पुलवामा में भारी मात्रा में आरडीएक्स कैसे आया था। इस मीडिया को यह नहीं पता कि मजदूर किसान कैसे और कितने मरे पर उसे पता चल जाता है कि कितने चीनी सैनिकों की कब्र खोदी गयी, कितने आतंकवादी बालाकोट में ढेर हुए। न तो चीन तक किसी मीडिया की पहुँच है न ही बालाकोट तक इनमें से कोई गया। सवाल राष्ट्रवाद का है। ये सभी राष्ट्रवादी एंकर- पत्रकार हैं।

रजत शर्मा की टीवी की अदालत में आकर कभी लाला रामदेव ने ऐलान किया था कि मोदी के पीएम बनते ही डीजल-पेट्रोल 35-40 रुपए में बिकेंगे, कालाधन आएगा, डॉलर कमज़ोर और रूपया मजबूत होगा। किन्तु इनमें से कुछ नहीं हुआ। न तो रजत शर्मा ने इन पर रामदेव से सवाल किया न ही राम देव ने कुछ बोला, उल्टा हुआ यह कि रजत शर्मा ने कोरोना काल में मोदी की तारीफ करते हुए ट्वीट किया था – “हमारा सौभाग्य है कि हमें मोदी जैसा पीएम मिला” ! एक एंकरनी तो इतनी दीवानी हुई उसने जोश में अपना सरनेम ही मोदी बोल दिया था। 

अरे ..आप लोग इतना झूठ कैसे बोलते हैं, थकते क्यों नहीं ?  

(नित्यानंद गायेन कवि और पत्रकार हैं। आजकल आप दिल्ली में रहते हैं।) 

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