नई दिल्ली। कनाडा के भारत में उच्चायुक्त रहे कैमरन मैक के ने भारत पर बड़ा तीखा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह से अमेरिकी अभियोग सामने आया है और उससे जो एक विस्तृत तस्वीर बनती है वह यह सोचने के लिए मजबूर कर देती है कि उत्तरी अमेरिका में कनाडा और अमेरिका के ढेर सारे निशाने हत्या के लिए चिन्हित किए गए थे और उनका उद्गम स्रोत दिल्ली था। मैक के इसके पहले भारत में कनाडा के उच्चायुक्त थे। हालांकि उन्होंने अगस्त में ही देश छोड़ दिया था। क्योंकि उनका कार्यकाल पूरा हो गया था।
यह पहली बार है जब कनाडाई दूत ने आधिकारिक रूप से सार्वजनिक तौर पर बात की है और दोनों कथित साजिशों को एक दूसरे से जोड़ा है। जिसमें कनाडा में खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और अमेरिका में खालिस्तान समर्थक पन्नू की हत्या की असफल साजिश शामिल है।
भारत ने कनाडाई आरोप को बेतुका और राजनीति से प्रेरित करार देते हुए खारिज कर दिया है। लेकिन इसके साथ ही उसने अमेरिका द्वारा की गयी और ज्यादा सूचना और कार्रवाई की मांग को अपने विचार में शामिल कर उसे ज्यादा तवज्जो दी है।
मैक के के डिप्टी उच्चायुक्त स्टीवार्ट ह्वीलर समेत पांच कनाडाई राजनयिकों को निलंबित कर दिया गया है। नई दिल्ली ने अपने उच्चायुक्त समेत पांच राजनयिकों को वापस बुला लिया है-जबकि कनाडाई सरकार का कहना है कि उसने उन्हें निलंबित किया है। भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा शनिवार को ओटावा छोड़ दिए और बाकी भारत के राजनयिक पहले ही वहां से स्वदेश आ गए हैं।
मैक के ने कनाडाई पब्लिक ब्राडकास्टर सीबीसी न्यूज को शनिवार को बताया कि कल अमेरिका द्वारा लगाया गया अभियोग और आरोप उसके बाद वह अभियोग जिसे 29 नवंबर, 2023 को जारी किया गया था सचमुच में एक मजबूर करने वाली और विस्तारित तस्वीर पेश करता है और बताता है कि दोनों एक ही कहानी के हिस्से हैं। जिसके तहत उत्तरी अमेरिका स्थित कनाडा और अमेरिका के कई निशानों को हत्या के लिए चुना गया था और उसके पीछे दिल्ली का हाथ था। वास्तव में पिछले एक साल से जो हो रहा है वह आईने की तरह अब साफ हो गया है। आप दोनों अभियोगों को सबूतों के साथ एक स्थान पर रखें, जो जारी किया गया था और सोमवार को आरसीएमपी द्वारा जो बताया गया था, उसके बाद पूरी तस्वीर आपके सामने साफ हो जाएगी।
इसे भारत सरकार की भीषण रणनीतिक गलती करार देते हुए मैक के ने कहा कि मेरा मतलब है कि यह सोच पाना ही कि भारत सरकार के कुछ एजेंट उत्तरी अमेरिका में ठेके पर हिंसा करेंगे और बचकर निकल जाएंगे। यह एक भीषण रणनीतिक गलती थी। मेरा मानना है कि वहां कुछ टैक्टिकल गलती हुई थी जिससे ये लोग पकड़े गए-मैं यहां दोनों घटनाओं की तरफ इशारा कर रहा हूं जो अमेरिका और कनाडा में हुआ।
यह दावा करते हुए कि किसी बेहद गंभीर लाल लकीर को पार किया गया है। मैक के ने कहा कि अमेरिका के हालिया अभियोग के साथ भारतीय ब्रांड की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है।
अमेरिकी अभियोग में आरोप लगाया गया है कि सीआरपीएफ में एक असिस्टेंट कमिश्नर विकास यादव जो रॉ के साथ काम कर रहा था, पन्नू हत्या मामले में एक मुख्य साजिशकर्ता था। वह एफबीआई की मोस्ट वांटेड की सूची में रखा गया है। आपको बता दें कि शनिवार को इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा अपने दस्तावेजों में दर्ज किए जाने के तीन महीने बाद सीसी-1 (सह साजिशकर्ता) को पिछले नवंबर में दिल्ली में दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल सेल द्वारा फिरौती के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
शुक्रवार को यादव को डीओजे द्वारा नामित किया गया। जिस पर कथित पन्नू की हत्या के प्लाट में सुपारी लेकर हत्या और मनी लॉंडरिंग का आरोप लगाया गया है।
मैक के को कनाडा की वैश्विक सेवा में सबसे वरिष्ठ राजनयिकों में से एक माना जाता है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर मैं सोचता हूं कि कनाडा की सर्वोच्च प्राथमिकता निश्चित तौर पर कनाडा में सार्वजनिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है….कनाडा में जो कुछ हो रहा है उसकी जवाबदेही। और मैं सोचता हूं कि- जैसा कि भारत सरकार की प्रतिक्रिया है- यह बहुत लंबा खिंचने जा रहा है।
उन्होंने बातचीत के चैनल को खुला रखने की बात पर जोर दिया। इसके साथ ही दोनों सरकारों को नुकसान को कम से कम रखने का प्रयास करना चाहिए। और खास करके इस राजनयिक विवाद से लोगों के बीच के रिश्ते और व्यवसायिक रिश्तों पर कम से कम असर पड़े। यह निश्चित तौर पर कनाडाई सरकार का विचार है। और हम आशा करते हैं कि भारत उस पर सहयोग करेगा। बेकसूर लोगों को इसकी कीमत अदा करने की कोई जरूरत नहीं है।
भारत सरकार के जवाब पर उन्होंने कहा कि नई दिल्ली का रुख खारिज करने वाला और कनाडा को बदनाम करने वाला है। उन्होंने कहा कि कनाडा के साथ राजनयिक रिश्तों को दुरुस्त करना एजेंडे में नहीं है। और किसी भी सामान्य स्थिति तक पहुंचने के लिए यह बहुत लंबा समय लेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत की प्रतिक्रिया कनाडा और अमेरिका दोनों के लिए अलग-अलग रही है। क्योंकि एक सुपर पावर है और दूसरा मिडिल पावर। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर। यह भी इसको देखने का एक तरीका है।
लेकिन देश के भीतर भारत सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर कनाडा को बदनाम करने के जरिये जवाब दिया। अमेरिका के साथ उसका रवैया सम्मान भरा रहा। भारत वह रुख वहन नहीं कर सकता है। अमेरिका वैश्विक तौर पर एक बिल्कुल अलग भूमिका निभाता है। द्विपक्षीय तौर पर भी भारत के साथ उसका बिल्कुल अलग रिश्ता है….वे सामान्य तौर पर अमेरिका के साथ वैसा करके वहन नहीं कर सकते हैं जैसा कि वे कनाडा के साथ कर सकते हैं।
भारत की लोकतांत्रिक साख के सवाल पर मैक के ने कहा कि पीछे कदम खींचना बहुत अहम होगा और भारत को समग्रता में देखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण देश है। दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश। दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था। अपनी स्वतंत्रता से बहुत लंबे समय से लोकतांत्रिक…..भारत एक कानून के शासन का देश है और कनाडा तथा दूसरे देश भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं। और मैं सोचता हूं कि लंबे समय से क्योंकि हम दोनों लोकतंत्र हैं, क्योंकि हम दोनों कानून के शासन वाले देश हैं, रणनीतिक तौर पर भी…..लंबे दौर में हमारे हित बिल्कुल एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। लेकिन भारत सरकार का जैसा व्यवहार हम देख रहे हैं उसने किसी बेहद लाल लकीर को पार कर गया है। और कनाडा को इसलिए इस तरह की कार्रवाई करनी ही थी जिसको उसने की है।
आगे के रास्ते के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें अपनी जवाबदेही लेनी होगी और उसके बाद एक दिन हम सोचते हैं कि हम बेहतर स्थिति में लौटेंगे और भारत सरकार के साथ और ज्यादा सहयोगात्मक रिश्ते में जाएंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में विवाद दो सरकारों के बीच है। और इसका कोई कारण नहीं है कि इसके चलते निर्दोष पक्षों, मित्र और परिवार जो दोनों देशों के बीच यात्रा करना चाहते हैं, व्यवसायिक जो निवेश करना चाहते हैं, दोनों देशों के बीच यात्रा करना चाहते हैं…..उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़े।
उन्होंने कहा कि लेकिन लंबे समय में कनाडा भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। ऐसा बहुत कुछ है जिसे मिल कर हल कर सकते हैं और करना चाहिए। लेकिन निश्चित तौर पर पिछले कुछ सालों में दिल्ली में कुछ लोग हैं जिन्होंने अपने फैसले लेने में कुछ बहुत गंभीर बुनियादी गलतियां कर दी हैं। और चीजें सामान्य हों फिर से उसके पहले हमें उसे इस तरह से देखने की जरूरत है कि उनके प्रति कुछ जवाबदेही ली जाए।
वह कितना समय ले सकता है, के बारे में मैक के का कहना था कि ये भारत पर निर्भर करता है। निश्चित तौर पर मैं उसकी गणना नहीं कर सकता हूं। यह सचमुच में भारत के ऊपर है। किसी बिंदु पर पहुंच कर क्या वे सहयोग करना चाहते हैं। कनाडा के साथ काम करना चाहते हैं और गहराई तक जाना चाहते हैं। इसलिए गेंद अब भारत के पाले में है।
इसके एक दिन पहले कनाडा की विदेश मंत्री मेलैनी जोली ने कहा था कि कनाडा में बाकी भारतीय राजनयिक भी नोटिस पर हैं।