अब गौतम नवलखा को मौत की ओर धकेलने पर आमादा मोदी सरकार!

Estimated read time 1 min read

(भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा पर सख्ती और कड़ी कर दी गयी है। बताया जा रहा है कि सामान्य जेल से निकालकर उन्हें अब अंडा सेल में रख दिया गया है। जहां खुली हवा में सांस लेने और बाहर निकलने की गुंजाइश खत्म हो गयी है। इस बीच उनके स्वास्थ्य में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। स्टेन स्वामी के बाद सत्ता के क्रूर पंजे अब नवलखा की तरफ बढ़ गए हैं। उसी के तहत उनकी अपनी पार्टनर सहबा हुसैन से टेलीफोन पर बातचीत की सुविधा भी छीन ली गयी है। ऐसे में समझा जा सकता है कि गौतम नवलखा के प्रति सरकार का रवैया कितना अमानवीय और पक्षपातपूर्ण है। इस सिलसिले में सहबा हुसैन ने एक पत्र लिखा है। अंग्रेजी में लिखे गए इस पत्र का हिंदी अनुवाद सत्यम वर्मा ने किया है। जिसको उनके फेसबुक वाल से साभार लिया गया है। पेश है उनका पत्र-संपादक)

गौतम नवलखा, जिनकी उम्र लगभग 70 है, भीमा कोरेगाँव मामले में गिरफ्तार सबसे उम्रदराज़ लोगों से एक हैं, जिन्हें 12 अक्टूबर, 2021 को बैरक से “अंडा सर्कल” में भेज दिया गया था। इसके अतिरिक्त, मेरी और उनके वकीलों को उनकी ओर से टेलीफोन कॉल, जो बाहरी दुनिया के साथ उनकी जीवन रेखा थी, इस बहाने बन्‍द कर दी गई हैं कि जेल में आमने-सामने मुलाक़ात फिर से शुरू हो गई है।

मैं, उनकी पार्टनर, सहबा हुसैन, 70 से अधिक उम्र की हूँ, और मैं दिल्ली में रहती हूँ। आवंटित दस मिनट के लिए उनसे मिलने के लिए बार-बार नवी मुंबई की तलोजा जेल की यात्रा करना मुश्किल है और गौतम का मेरे साथ एकमात्र संपर्क हर हफ़्ते उन दो कॉलों के ज़रिए होता है जिनकी उन्हें अनुमति थी। इसी से मैं उन्हें दवाओं, किताबों सहित ज़रूरत की चीज़ें भी भेज पाती थी। फ़ोन कॉल बन्‍द कर दिये जाने के बाद, अब इसके लिए उन पत्रों पर निर्भर रहना होगा जिन्हें मुझ तक पहुँचने में कम से कम दो सप्ताह लगते हैं।

मुझे कॉल करने के अलावा, विचाराधीन कैदियों के लिए फ़ोन कॉल के ज़रिए वकीलों तक नियमित पहुँच एक ज़रूरी सुविधा है। किसी भी विचाराधीन कैदी को क़ानूनी सलाह और मदद, या परिवार तक पहुँच हासिल करने के इस प्रभावी और कुशल तरीके से वंचित करना अन्याय की पराकाष्ठा है।
अपने परिवार और वकीलों को फ़ोन कॉल की सुविधा वापस लेने से गौतम की नाजुक सेहत और तन्‍दुरुस्‍ती के लिए भी ख़तरा बढ़ जाएगा। अंडा सर्कल में, वह जेल के हरियाली वाले क्षेत्रों और ताजी हवा में टहलने से वंचित कर दिये गये हैं, और उनका स्वास्थ्य और भी ख़राब हो गया है। इस अन्‍याय और उप पर थोपे गये झूठे मुक़दमे से लड़ने के लिए अगर उन्‍हें जीना है, तो विशेष चिकित्सीय देखभाल बेहद ज़रूरी हो गयी है। दिल्ली में मुझे और उनके वकीलों को साप्ताहिक कॉल के बिना, उनके जीवन और उनके बचाव, दोनों के लिए गंभीर समस्‍याएं खड़ी हो जायेंगी।

गौतम लिखते हैं, “अंडा सर्कल में क़ैद का मतलब ताज़ा हवा/ऑक्सीजन से वंचित करना है क्योंकि सर्कल के खुले स्थान में एक भी पेड़ या पौधा नहीं है। और हमें अंडा सर्कल के बाहर क़दम रखने की मनाही है….दूसरे शब्दों में, हम अपनी कोठरी के अंदर 24 में से 16 घंटे बिताते हैं और जो 8 घंटे हमें बाहर निकलने का मौका दिया जाता है, उसमें भी हम बस साढ़े सात फ़ीट चौड़े और 72 फ़ीट लंबे गलियारे के सीमेंट के फ़र्श पर ही चहलक़दमी कर सकते हैं जो चारों ओर ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है।”

कुछ ही दिन पहले, स्टेन स्वामी का त्रासद परिस्थितियों में निधन हो गया। पार्किन्‍सन्‍स रोग की वजह से गंभीर रूप से अशक्‍त हो चुके स्टेन को पानी पीने के लिए स्‍ट्रॉ, शौचालय तक जाने में मदद और चिकित्सीय देखभाल जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी लड़ना पड़ा। उनकी एक सरल सी इच्छा थी कि उनके सेहत की गिरती हालत को देखते हुए उन्हें राँची में घर पर ही मरने दिया जाए। लेकिन अदालत के सामने उनकी प्रार्थना लंबित ही रही और स्‍टेन स्वामी का मुम्‍बई के एक अस्पताल में निधन हो गया। इससे पहले वह एक बार अदालत से कह चुके थे कि उन्हें अस्पताल ले जाने के बजाय जेल में ही मरने के लिए छोड़ दिया जाए।

ये लोग ज़मीर के क़ैदी हैं, जिन्हें छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए ज़ि‍ल्‍लत और अपमान का सामना करना पड़ता है, और जेल में बुनियादी मर्यादा के लिए अदालती लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं। इससे पहले, जब नवलखा का चश्मा गायब हो गया था, तो दूसरा चश्मा समय पर उन तक पहुँचना भी मुश्किल हो गया था।

इन साधारण सुविधाओं, अपने वकीलों और परिवार से फ़ोन पर बात करने की सुविधा और दिन में एक-दो बार ताज़ा हवा में चलने के लिए कहना बहुत ज़्यादा तो नहीं है।
गौतम ने साहस और जोश के साथ अपनी अनुचित क़ैद का सामना किया है। अपने विचारों के लिए उन्‍हें कब तक सताया जायेगा, और अधिकारी उनके जोश को कुचलने के लिए किस हद तक जायेंगे?
सहबा हुसैन
गौतम नवलखा की पार्टनर

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author