अब देश में संस्थाबद्ध आपातकाल कायम होगा: दीपंकर भट्टाचार्य

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रांची। पूरे देश में लागू भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य संहिता को स्थगित करने की मांग पर 1 जुलाई को वाम दलों और सामाजिक व कई नागरिक संगठनों द्वारा झारखंड की राजधानी रांची में राजभवन के समक्ष प्रदर्शन किया गया।

उक्त प्रदर्शन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि- “विपक्षी दलों से बिना राय मशविरा व सुझाव के ही इसे देश में नया कानून भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य संहिता लागू कर दिया गया है। अंग्रेजों के औपनिवेशिक काल का कानून बता कर केन्द्र सरकार नागरिकों को गुमराह करने का काम कर रही है। केंद्र द्वारा नया न्याय संहिता आजादी की बजाय और भी खरतनाक कानून थोपने की तैयारी है। कानूनों का नाम बदल देने भर से लोगों को न्याय नहीं मिलेगा। दंड की बजाए न्याय अच्छी बात है पर मुकदमे दर्ज करने से मामले को थाने में ही रोक दिया जायेगा, अब पुलिस तय करेगी की मुकदमा दर्ज होगा या की नहीं। अब 15 दिनों तक जांच पड़ताल होगी।”

उन्होंने आगे कहा कि- “15 दिनों की हिरासत की अवधि को अब 70 दिनों तक कर दिया गया है। इन्वेस्टिगेशन के नाम पर पुलिस को ज्यादा अधिकार दे दिया गया है। राजद्रोह के कानून को देश द्रोह के नामकरण कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सुझावों की भी अवमानना की गई है। सरकार के विरोध में बोलने वाले अब देश द्रोही होगें। देश की लोकतान्त्रिक आवाज को दबाया जाएगा। हिन्दुस्तान अब पुलिस राज्य में तब्दील हो जाएगा। अब अघोषित नहीं संस्थाबद्ध आपातकाल पूरे देश में लागू हो जाएगा। देश के नागरिक अधिवक्ता व सामाजिक संगठन विरोध में आज सड़कों पर हैं।”

पूरे देश के कानूनी ढांचे को पूरी तरह बदल दिया जा रहा है। आज पहले दिन से क्रेडिट लेने की कोशिश हो रही है। मोदी सरकार के खिलाफ़ जनादेश के बावजूद सरकार जनादेश का अपमान सरकार कर रही है। देश में तानाशाही और निरकुंशता को अब और बढ़ावा मिलेगा। न्याय संहिता में सुधार नहीं किया गया तो आन्दोलन तेज होगा।

माकपा नेता प्रकाश विप्लव ने कहा कि “न्याय संहिता से न्याय की बजाय अब नागरिकों को अन्याय का सामना करना होगा। पहले न्याय मिलने में देर होती थी अब न्याय मिलना मुश्किल हो जाएगा। अलोकतांत्रिक और निरंकुशता बढ़ाने वाली सरकार की इस अन्यायकारी संहिता के खिलाफ़ आन्दोलन तेज होगा।”

कार्यक्रम में भाकपा माले नेता जनार्दन प्रसाद, शुभेंदु सेन, गीता मंडल भूवनेश्वर केवट, माकपा नेता प्रफुल लिंडा, सूखनाथ लोहारा, प्रतीक मिश्रा, जनाधिकार महासभा के सिराज दत्ता, एलिना होरो, भरत भूषण चौधरी, बगाइचा के फादर टोनी, लीना, सामाजिक कार्यकर्ता जियाउल्लाह, कुमार बिनोद, जयंती चौधरी समेत कार्यकर्ता शामिल थे। संचालन नंदिता भट्टाचार्य ने किया।

विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाकपा माले, माकपा, झारखंड जनाधिकार महासभा, बगैइचा, आप, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ता शामिल थे।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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