राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, कहा- 10 दिनों के भीतर सरकार कीमतें बताए, वरना दाखिल करे एफिडेविट

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जनचौक ब्यूरो

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से 36 राफेल विमानों की कीमत, लागत समेत उसका पूरा विवरण सीलबंद लिफाफे में अगले दस दिनों के भीतर कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया है। राफेल मामले में दायर पीआईएल की सुनवाई कर रही इस बेंच में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ दूसरे दो सदस्य हैं।

गौरतलब है कि 10 अक्तूबर को कोर्ट ने एडवोकेट एमएल शर्मा और विनीत धांधा द्वारा इस सिलसिले में दाखिल की गयी दो जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था। उस समय कोर्ट ने एटार्नी जनरल के माध्यम से सरकार से पूरे सौदे का ब्योरा देने के लिए कहा था। हालांकि उस वक्त बेंच ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कीमत और भारतीय वायु सेना के लिए औजारों की अनुकूलता को उसके दायरे से बाहर रखा था।

बुधवार को बेंच ने 36 लड़ाकू विमानों की खरीद में निर्णय लेने की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के डिटेल के कंटेट को याचिकाकर्ताओं के कौंसिल और याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से मुहैया कराने को कहा है।

चीफ जस्टिस का कहना था कि  ‘हम लोगों को जो चीजें मुहैया करायी गयी हैं उन सबको हम लोगों ने देखा है। श्री एटार्नी जनरल, श्री सालीसीटर, हम एक आदेश पारित करने जा रहे हैं। कृपया हमें सावधानीपूर्वक सुनें।’

उसके बाद चीफ जस्टिस आर्डर डिक्टेट करने की दिशा में आगे बढ़ गए। उन्होंने कहा कि ‘इस स्तर पर हम कंटेट के संबंध में किसी भी तरह के निष्कर्ष या फिर विचार (ऊपर बताए गए नोट के संदर्भ में) पर नहीं पहुंचेंगे। इसकी बजाय हम लोगों के विचार ये हैं कि गोपनीय रिपोर्ट में दर्ज सूचनाओं को वैध रूप से सार्वजनिक डोमेन में लाया जा सकता है। उन तथ्यों के साथ ही भारतीय ऑफसेट पार्टनर (अगर कोई है तो) के संबंध में विवरण को तैयार कर उन्हें याचिकाकर्ताओं के कौंसिल और याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत तौर पर मुहैया कराया जा सकता है…..सूचनाएं पाने के अगले सात दिन के भीतर सभी पक्ष अपने जवाब दे सकते हैं…..’

बेंच ने इस बात को भी नोट किया कि ‘बाहर से वैसे भी हम इस बात को देख सकते हैं कि किसी भी पीआईएल में भारतीय वायु सेना के लिए औजारों की अनुकूलता और उपयोगिता पर सवाल नहीं उठाया गया है। जिस बात पर सवाल उठाया गया है वो नर्णय लेने की प्रक्रिया की वैधता और कीमत है।’

जब एटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ये कहते हुए विरोध जताया कि याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने के लिए जारी निर्देश संबंधी रिपोर्ट में मौजूद कुछ सूचनाएं सरकारी गोपनीयता कानून के तहत आती हैं। तब चीफ जस्टिस ने डिक्टेट किए गए आदेश की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा कि मौजूदा चरण में जिन चीजों को बाहर रखा जाना है उनमें ‘उस तरह के विवरण हैं जो सामरिक होने के साथ ही गोपनीय भी हों।’

इसके आगे एजी ने कहा कि यहां तक की कीमतों का विवरण संसद के सामने तक नहीं पेश किया गया है। इस पर जस्टिस गोगोई ने कहा कि ‘ अगर कीमतें कुछ बिल्कुल विशिष्ट हैं जिन्हें आप साझा नहीं करना चाहते हैं तो उस सिलसिले में एफिडेविट फाइल करिए। एफिडेविट में इस बात को बताइये कि आप उस विवरण को नहीं दे सकते हैं।’

आपको बता दें कि बेंच ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की याचिका पर भी आज ही सुनवाई की। इसके पहले यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भी वकील प्रशांत भूषण के साथ याचिका दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने राफेल मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

जब संजय सिंह के वकील ने इसका जवाब देते हुए कहा कि भारत सरकार ने संसद के भीतर कीमतों का खुलासा किया था। उस पर चीफ जस्टिस ने मजाकिया लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘आप कीमत जानते हैं? कृपया मुझे भी बताइये। ये हम लोगों का सौभाग्य होगा।’

इसके पहले चीफ जस्टिस गोगोई ने संजय सिंह के वकील से कहा था कि ‘संजय सिंह कौन हैं? उनका क्या हित है? पहले ही इतनी सारी पीआईएल हैं! आप को सूचनाएं मिल रही हैं और उनका जवाब देने का अधिकार भी! इससे ज्यादा आप क्या चाहते हैं? इस चरण में एक सीबीआई या फिर एसआईटी जांच?’

इसके बाद प्रशांत भूषण ने बेंच का ध्यान राफेल डील मामले से जुड़े ढेर सारे उच्च सरकारी लोगों के खिलाफ शिकायत की सीबीआई जांच की मांग पर दिलाया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘सीबीआई को कोर्ट को ये बताने दीजिए कि वो शिकायतों पर क्या कर रही है। उसके पास चार हफ्ते का समय है।’

चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘हमने गौर किया है कि आपकी पहली मांग सीबीआई जांच की है। पहले सीबीआई को अपना घर ठीक कर लेने दीजिए इसलिए आपको इंतजार करना होगा।’

 

(लाइव लॉ पोर्टल से कुछ इनपुट लिए गए हैं।)

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