Sunday, April 28, 2024

पेशाब कांड के बाद अब मुस्लिम युवक को पीटने और तलवा चटवाने की घटना, क्यों चुप हैं सीएम शिवराज?

मध्य प्रदेश में सीधी के बाद अब उसी तरह का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि एक कार में गोलू गुज्जर नामक गुंडा एक व्यक्ति को लगातार थप्पड़ मारते हुए जातिसूचक गालियां देता दिखाई दे रहा है। यह घटना ग्वालियर की बताई जा रही है। आरोपी और पीड़ित दोनों ग्वालियर के डबरा से हैं। लेकिन यहां पर पीड़ित व्यक्ति कोई आदिवासी नहीं बल्कि मुसलमान है।

यहीं पर वह पेंच है जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सदाशयता और राज्य में किसी भी शोषित-पीड़ित व्यक्ति के पक्ष में सदैव खड़ा रहने के दावे के खोखलेपन की पोल खोलकर रख देता है। ऐसा कहा जा रहा है कि मोहसिन खान नामक इस व्यक्ति का गोलू गुज्जर के भाई के साथ झगड़ा हुआ था। उसी का बदला लेने की मंशा से गोलू गुर्जर अपने साथियों के साथ बोलेरो गाड़ी में ग्वालियर में किसी परिचित से कॉल कर पीड़ित को बुलवाता है। 

गोलू गुर्जर के साथी गाड़ी को शहर के मुख्य मार्ग पर तेजी से दौड़ाते हुए तेज आवाज में संगीत बजा रहे थे। पीड़ित को न सिर्फ थप्पड़ बल्कि चप्पलों से पीटा जाता है और पैर की मालिश करवाने पर भी आरोपी संतुष्ट नहीं होता। वीडियो में वह पीड़ित व्यक्ति से अपने तलवे तक चटवा रहा है।

शुक्रवार की एक और खबर ग्वालियर की है। यहां भितरवार थाना क्षेत्र के अंर्तगत पड़ने वाले गोहिंदा गांव के दबंगों ने आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए मारपीट की है। आरोप है कि आदिवासियों को बंदूक की बट से पीटा गया। मुख्य आरोपी नानू तिवारी सहित 5 लोगों को पुलिस ने इस मामले में आरोपी बनाया है। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है।

इन तीनों मामलों में वायरल वीडियो ही वे सबूत हैं, जो मामले को वायरल कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन को कागजी कार्रवाई की खानापूरी करनी होती है। लेकिन ऐन चुनावी दौर में विपक्ष सहित सरकार के चौकन्ना रहने पर दशरथ जैसे किसी एक-आध पीड़ित की सुनवाई कर भी आम लोगों में इमेज बना ली जाती है। गोहिंदा गांव में भी आदवासियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है। सभी आरोपी गांव के ही लोग हैं। लेकिन क्या बाकी के दोनों मामलों में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अंतरात्मा को दुःख पहुंचा होगा?

यह बड़ा सवाल है। आज भी आदिवासियों के खिलाफ हिंसा और शोषण के मामले में मध्य प्रदेश अव्वल स्थान पर है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को काबू में रखने की चुनौती में विफल मध्य प्रदेश सरकार के पास भी हिंदू-मुस्लिम विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के अलावा कोई राह नहीं सूझ रही है। ऐसे में एक आदिवासी को मीडिया के सामने मान-सम्मान देने से सभी पीड़ितों को न्याय मिल जाने का अहसास कराने का चमत्कार शिवराज सिंह चौहान की सरकार अंजाम दे रही है।

2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में 90.9% हिंदू, 6.6% मुस्लिम, 0.8% जैन और 0.3% बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। हिंदू धर्म में 21.1% अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को भी जोड़कर देख सकते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक एमपी की आबादी 7.26 करोड़ थी। 15.6% अनुसूचित जाति के साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 37% के साथ एक प्रभावी हिस्सा बन जाती है।

अलीराजपुर, बरवानी, झाबुआ, दिंडोरी, धार, सहरिया और मंडला जिले में आदवासी आबादी 50% से भी अधिक है। खरगोन, खंडवा, बेतुल, बुरहानपुर, छिंदवाडा, सिउनी, अनुपपुर, उमरिया, शहडोल और सिंगरौली में आदिवासियों की आबादी 30-50% के बीच है। इस लिहाज से आदिवासी समुदाय को अपने पाले में करने के लिए भाजपा-कांग्रेस के बीच लगातार रस्साकशी होती है।

यही वजह ही थी कि पिछले दिनों एक आदवासी युवक के साथ भाजपा के एक स्थानीय नेता प्रवेश शुक्ला द्वारा बेहद शर्मनाक कृत्य पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन फानन में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अगले ही दिन पीड़ित को अपने भोपाल स्थित आवास पर बुलाकर न सिर्फ आदर-सत्कार किया, बल्कि पांव धोकर, शाल, फूलों की माला सहित साथ बैठकर भोजन किया और आर्थिक सहायता प्रदान की।

कांग्रेस पार्टी की ओर से भी अब उक्त पीड़ित का पुरसा हाल जानने और आर्थिक सहायता की पेशकश करने की होड़ लग गई है। कुछ वर्ष पहले पीपली लाइव नामक फिल्म का दृश्य मानो मध्य प्रदेश की वर्तमान दशा के बारे में ही चित्रित किया गया था।

5 वर्ष तक वंचितों, मजलूमों पर बेतहाशा जुल्म ढाने के बाद चुनावी वर्ष में ऐसी किसी भी वारदात को दबाने, न दबा पाने की स्थिति में प्रदेश के मुखिया का स्वंय आगे बढ़कर दलित, खुद को आदवासी समुदाय का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने का नाटक अब प्रहसन सा बन चुका है।

‘सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’ वाली कहावत भले ही यहां साबित होती हो, लेकिन ट्विटर यूजर अशरफ़ हुसैन ने ट्वीट करते हुए सीएम शिवराज सिंह से सवाल किया है, कि “मुसलमानों के मामले में सब खामोश क्यों रहते हैं? इसी मध्य प्रदेश में पिछले दिनों आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब किए जाने पर पूरा सोशल मीडिया हिल गया था, अब वहीं एक मुस्लिम नौजवान को गाड़ी में चप्पलों से पीटने, पैर चटाने और धर्म सूचक गाली देने के मामले में सब खामोश हैं।”

अशरफ़ हुसैन आगे कहते हैं कि “मुसलमानों पर होता ज़ुल्म सामान्य क्यों समझा जाने लगा है? ना आरोपी के गिरफ्तारी कि मांग हो रही है, ना उसपर NSA कि मांग हो रही है और ना ही बुलडोज़र की कार्रवाई कि मांग हो रही है, कोई बोले या ना बोले हमें खुद बोलना चाहिए। शिवराज जी जी आरोपी को जल्द गिरफ्तार करें, उस पर प्रवेश शुक्ला कि तरह कार्रवाई करें”।

उम्मीद की जानी चाहिए कि संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक पदों पर आसीन लोग निष्पक्ष तरीके से अपने कर्यव्य का निर्वहन करेंगे।

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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