Thursday, April 18, 2024

गिरफ्तारियां भी नहीं तोड़ पाईं किसानों का हौसला, उपवास के साथ देश भर में प्रदर्शन

किसान पिछले 18 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर रोष प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार तीन केंद्रीय कानूनों को सिरे से रद्द करने की किसानों की मांग को पूरा नहीं कर रही है। किसान संगठनों ने इस आंदोलन को दिल्ली की सीमाओं और देश भर में बड़े पैमाने पर विस्तृत किया है। आज देश भर में कई लाख किसानों ने सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल की। उनके समर्थन में देश भर में धरना और प्रदर्शन किया गया। 26 नवंबर से अब तक दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर हड़ताल कर रहे शहीद हुए 20 से ज्यादा किसानों को दिल्ली बार्डर के मुख्य मंच से दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई। उधर, भाकपा माले ने यूपी के तमाम जिलों में किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए धरना प्रदर्शन किया। शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे तमाम किसानों और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। किसानों के समर्थन में ऐसे प्रदर्शन माले ने बिहार में भी किए हैं। इस बीच एआईपीएफ ने कहा है कि सरकार अगर छोटे-मझोले किसानों के प्रति ईमानदार है, तो उसे कांट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए उन्हें कॉरपोरेट के सामने मरने के लिए छोड़ने की जगह सहकारी खेती के लिए मदद करनी चाहिए।

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पंजाब, हरियाणा और कई अन्य राज्यों में जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन और किसानों ने भूख हड़ताल की।

स्वराज अभियान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और अन्य राज्यों से हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं और इससे दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कल से ही राजस्थान और हरियाणा के आंदोलनकारी किसानों ने शाहजहांपुर के पास, जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया हुआ ह, जहां इन दो राज्यों की सीमा लगती है।

दिल्ली के शहीदी पार्क में विभिन्न प्रगतिशील संगठनों द्वारा देश भर में किसानों के चल रहे आंदोलन के समर्थन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हज़ारों की संख्या में नागरिकों ने भाग लिया और अपना समर्थन दिया।

भाकपा माले ने मोदी सरकार के तीन ‘काले’ कृषि कानूनों की मुकम्मल वापसी के लिए जारी किसान आंदोलन के समर्थन में सोमवार को पुलिस की धरपकड़ के बीच पूरे उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन से पहले और उसके दौरान पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता नजरबंद और गिरफ्तार किए गए।

राज्य सचिव सुधाकर यादव को सोनभद्र के हर्रैया गांव में राबर्ट्सगंज कोतवाली पुलिस ने सुबह ही गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ जिला सचिव शंकर कोल और ऐपवा जिला उपाध्यक्ष हीरावती भी गिरफ्तार हुईं। गिरफ्तारी के समय दर्जनों की संख्या में आसपास से कार्यकर्ता जुट गए और उन्होंने जबरदस्त प्रतिवाद किया।

इस मौके पर कायकर्ताओं को संबोधित करते हुए माले राज्य सचिव ने कहा कि मोदी सरकार के तीनों कृषि कानून देश में फिर से कंपनी राज (अडानीयों-अंबानियों का) लाएंगे। ये कानून भारतीय किसान का डेथ वारंट हैं। इससे न केवल वह और गरीब होगा, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ेगी। किसान अपने ही खेत में बड़ी पूंजी का गुलाम बन जाएगा, इसलिए इन काले कानूनों की वापसी तक देशव्यापी संघर्ष जारी रहेगा।

गिरफ्तारी के समय कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्कामुक्की हुई। नेताओं ने कहा कि बिना हथकड़ी के नहीं जाएंगे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमें भी गिरफ्तार करो। इस पर इंस्पेक्टर ने अभद्रता की। बहरहाल, गाड़ी छोटी होने की वजह से पुलिस तीन व्यक्तियों को ही ले गई। उन्हें राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के सुकृत पुलिस चौकी में रखा गया, जहां से बाद में कोतवाली ले जाया गया।

पार्टी द्वारा सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक से दूरभाष पर घरों से की गई इन गिरफ्तारियों को लोकतंत्र का हनन बताते हुए प्रतिवाद दर्ज कराया गया। महिला पुलिस की अनुपस्थिति में ऐपवा नेता को गिरफ्तार कर पुरुषों के साथ पुलिस की छोटी गाड़ी में ठूंसने पर पार्टी ने गहरी आपत्ति प्रकट की। बहरहाल, जिले में जगह-जगह पुलिस की नाकेबंदी के बावजूद दर्जनों माले कार्यकर्ता राबर्ट्सगंज कचहरी पहुंच गए और प्रदर्शन किया।

उधर, सीतापुर में माले जिला सचिव अर्जुन लाल को तड़के पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार कर लिया और थाने ले गई। थाने पर धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी देने पर उन्हें बाद में रिहा किया गया। इसके बाद घर लाकर पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया। बनारस में माले जिला सचिव अमरनाथ राजभर को सिंधौरा थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

चंदौली में बीती आधी रात जिला सचिव अनिल पासवान के घर पुलिस पहुंची, लेकिन वे घर पर नहीं मिले। खेत और ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के जिला उपाध्यक्ष विजयी राम को चकिया कोतवाली पुलिस ने उनके घर से हिरासत में ले लिया। इसके बावजूद चंदौली जिला मुख्यालय पर जिला सचिव की अगुवाई में माले का प्रदर्शन हुआ, जिसमें लगभग ढाई सौ कार्यकर्ता जुटे।

लखीमपुर खीरी में अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला संयोजक रंजीत सिंह को आज सुबह पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया। जिला मुख्यालय पर पार्टी केंद्रीय समिति सदस्य और ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ और उन समेत सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए।

बलिया में, अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, माले जिला सचिव लालसाहब, किसान महासभा के वसंत सिंह, नियाज अहमद, भागवत बिंद सहित करीब 100 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जब वे बलिया जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन के लिए जा रहे थे। उन्हें सिकंदरपुर थाने ले जाया गया, जहां कार्यकर्ताओं ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। माले जिला कमेटी सदस्य लक्ष्मण यादव को बलिया शहर स्थित उनके घर पर पुलिस ने नजरबंद कर दिया।

गाजीपुर में भाकपा (माले), वाम दलों व किसान संगठनों के कार्यकर्ता पुलिस की घेरेबंदी के बावजूद एक-एक कर जिला कचहरी पहुंचने में कामयाब हो गए और प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार किए गए। सभी को पुलिस लाइन ले जाया गया। गिरफ्तार होने वालों में किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, माले जिला सचिव रामप्यारे, योगेंद्र भारती आदि शामिल हैं।

इलाहाबाद में कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करते हुए माले के जिला प्रभारी डॉ. कमल उसरी, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, प्रदीप कुमार, सुमित गौतम, आइसा की प्रदेश सह-सचिव शिवानी, विवेक कुमार, शशांक, अनिरुद्ध समेत अन्य वाम दलों के कार्यकर्ता भी गिरफ्तार हुए। मथुरा में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने माले और अखिल भारतीय किसान महासभा ने प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। आजमगढ़ में जिला मुख्यालय पर जुलूस निकाल कर माले, वाम दलों और किसान संगठनों ने संयुक्त प्रदर्शन किया।

पीलीभीत में माले और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने मुख्यालय पर संयुक्त प्रदर्शन किया। मिर्जापुर में माले कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के निकट सड़क जाम कर धरना दिया। वहां पहुंचे प्रशासन के अफसरों को ज्ञापन देने के बाद धरना समाप्त हुआ। प्रदर्शन का नेतृत्व माले नेता शशिकांत कुशवाहा, जीरा भारती, किसान नेता भक्त प्रकाश श्रीवास्तव, ओमप्रकाश पटेल और आशाराम भारती ने किया। इसके अलावा, देवरिया, मऊ, कानपुर, रायबरेली, जालौन, मुरादाबाद आदि जिलों में भी किसान संगठनों के देशव्यापी आह्वान के समर्थन में माले और वाम दलों ने प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में बीकेटी के गांवों में माले कार्यकर्ताओं ने किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाया और किसान आंदोलन के पक्ष में खड़ा होने की अपील करते हुए पर्चे बांटे।

किसान आंदोलन के आह्वान पर जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन का असर बनारस में भी देखने को मिला। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने जिला कचहरी पर पहुंच कर धरना प्रदर्शन के माध्यम से किसानों की मांगों के समर्थन में अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। एक ओर जहां किसान संगठनों की ओर से वरुणा पुल स्थित शास्त्री घाट पर धरना दिया गया, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लोगों ने अंबेडकर पार्क में धरना देकर किसान आंदोलन के देशव्यापी आह्वान को अपना समर्थन दिया।

धरने का नेतृत्व पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, सीपीएम के प्रांतीय सचिव डॉ. हीरालाल लाल यादव ने किया। धरने में शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से समाजवादी नेता विजय नारायण, कुंवर सुरेश सिंह, कांग्रेस के प्रवीण सिंह बबलू, मजदूर नेता अजय मुखर्जी, देवाशीष भट्टाचार्य, सीपीआई के नेता विजय कुमार, माकपा के जिला सचिव नंद लाल पटेल, अमृत जी एवं गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मोहम्मद आरिफ समेत दर्जनों लोग शामिल रहे।

इस बीच, भाकपा माले की राज्य इकाई ने उपरोक्त गिरफ्तारियों, नजरबंदियों, छापों की कड़ी निंदा की है और सभी की बिना शर्त रिहाई की मांग की है। पार्टी ने कहा कि योगी सरकार यदि यह सोचती है कि दमन से आंदोलन रुक जाएगा, तो वह गलतफहमी में है। किसान आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। लिहाजा सरकार को जन प्रतिवादों का गला दबाने की कार्रवाई छोड़कर उनकी आवाज सुननी चाहिए।

बिहार में भी आंदोनकारी किसानों के समर्थन में जगह-जगह भाकपा माले ने प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी कार्यालयों पर किसानों का प्रदर्शन और धरने का आयोजन किया गया, जिसमें दसियों हजार किसानों की भागीदारी रही। राजधानी पटना सहित जहानाबाद, अरवल, आरा, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, बिहार शरीफ, नवादा, पूर्णिया, गया, कटिहार, सिवान, गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी, हाजीपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, भागलपुर, सासाराम, भभुआ आदि जिला केंद्रों पर किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया और 6 सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।

तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868-1888 रु. प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद की गारंटी करने, प्रदूषण कानून से किसानों को मुक्त करने आदि की मांगें शामिल थीं। इन कार्यक्रमों में भाकपा-माले के विधायकों ने भी हिस्सा लिया। दरभंगा में आइसा के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया।

राजधानी पटना में बु़द्धा स्मृति पार्क के पास एआईकेएससीसी के संयुक्त बैनर से प्रतिवाद किया गया। आज के कार्यक्रम को भाकपा-माले, ऐक्टू, खेग्रामस सहित अन्य संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया था। प्रतिवाद सभा की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासभा के पटना जिला सचिव कृपानारायण सिंह, किसान सभा के पटना जिला सचिव रामजीवन सिंह और किसान सभा-जमाल रोड के सचिव सोनेलाल प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया।

कार्यक्रम को मुख्य रूप से किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवसागर शर्मा, उमेश सिंह, राजेंद्र पटेल, किसान सभा-जमाल रोड के विनोद कुमार, किसान सभा-अजय भवन के अशोक प्रसाद सिंह, ऐक्टू के राज्य सचिव आरएन ठाकुर, जल्ला किसान संघर्ष समिति के सचिव मनोहर लाल, अनय मेहता, सुरेश प्रसाद, रवींद्र प्रसाद आदि नेताओं ने संबोधित किया। मौके पर फुलवारी से भाकपा-माले के विधायक और खेग्रामस के राज्य सचिव गोपाल रविदास, खेग्रामस के महासचिव धीरेंद्र झा, मधेश्वर शर्मा, मुन्ना चैहान, गुरुदेव दास, शरीफा मांझी सहित सैंकड़ों की संख्या में अखिल भारतीय किसान महासभा, बिहार राज्य किसान सभा, ऐक्टू, खेग्रामस आदि संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे।

प्रतिवाद सभा के उपरांत डाकबंगला चौराहा होते हुए मार्च जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा, जहां मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा गया। लगभग एक घंटे तक जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव चलता रहा। इस बीच संगठनों के कार्यकर्ता कृषि बिल की वापसी को लेकर लगातार नारे लगाते रहे। वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे आंदोलन को बदनाम और विभाजित करने की कोशिश कर रही है, जिसे हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे। बिहार से भी अब किसानों की आवाज उठने लगी है और यह आवाज मोदी सरकार को झुका कर ही दम लेगी। कहा कि सरकार का असली मकसद भारतीय और विदेशी कॉरपोरेट को बढ़ावा देना और देश की खेती-किसानी को बर्बाद करना है।

झारखंड के सरायकेला खरसावां जिला के अंतर्गत चांडिल प्रखंड में झारखंड किसान परिषद संयुक्त ग्राम सभा मंच और एसयूसीआई कम्युनिस्ट के संयुक्त तत्वावधान में किसान विरोधी कानून को रद्द करने के लिए एक दिवसीय धरना प्रदर्शन चांडिल गोल चक्कर में किया गया। अवसर पर धरना के बाद राष्ट्रपति के नाम बीडीओ को ज्ञापन सौंपा गया। अनूप महतो ने कहा कि ‘केंद्र सरकार कारपोरेट घरानों की मंशा पूरा करने के लिए इस काले कानून के माध्यम से किसानों को रौंदने की तैयारी कर रही है।’ उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन को नजरअंदाज करना बंद करे और किसान विरोधी कानून को वापस ले अन्यथा आंदोलन और तेज किया जाएगा।’ धरने में उपस्थित झारखंड किसान परिषद के अंबिका यादव, एसयूसीआई कम्युनिस्ट के अनंत महतो, संयुक्त ग्रामसभा मंच के अनूप महतो, आसुदेव महतो, मोहम्मद यूनुस, भुजंग मछुआ, शंकर सिंह, लखि टूडू, दुखनी माझी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बिहार में नीतीश सरकार के दावे के ठीक विपरीत कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है। बिहार के किसान 800-900 रु. प्रति क्विंटल की दर से अपना धान बेचने को बाध्य हैं। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने 2006 में ही मंडियों को खत्म कर दिया और इस प्रकार सबसे पहले बिहार के किसानों का भविष्य नष्ट कर दिया गया। अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव और एआईकेएससीसी के बिहार-झारखंड प्रभारी राजाराम सिंह ने आज के कार्यक्रम में किसानों की जबरदस्त भागीदारी पर पूरे बिहार की जनता को धन्यवाद ज्ञापित किया है। कहा कि भाजपा के लोग अब तक प्रचारित कर रहे थे कि दिल्ली किसान आंदोलन में केवल पंजाब के किसान हैं, लेकिन अब बिहार के बटाईदार किसान तक आंदोलन में उतर चुके हैं और आंदेालन का चैतरफा विस्तार हो रहा है। उन्होंने बिहार की जनता से एआईकेएससीसी के आह्वान पर 29 दिसंबर को आयोजित राजभवन मार्च को भी अपना समर्थन देने की अपील की है।

आरा में कार्यक्रम का नेतृत्व किसान महासभा के राज्य सह सचिव और विधायक सुदामा प्रसाद, किसान महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और काराकाट से विधायक अरुण सिंह, पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह, भोजपुर के चर्चित और युवा किसान नेता राजू यादव, हाजीपुर में राज्य अध्यक्ष विशेश्वर यादव, किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह ने जहानाबाद में, सिवान में पूर्व विधायक अमरनाथ यादव, मुजफ्फरपुर में जितेंद्र यादव, अरवल में राजेश्वरी यादव आदि नेताओं ने आज के कार्यक्रम का नेतृत्व किया।

भागलपुर शहर समेत जिले के बिहपुर और सुलतानगंज में किसान आंदोलन की एकजुटता में प्रदर्शन किए गए। बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन के कार्यकर्ताओं ने ‘हम किसान के बेटे हैं, किसानों के साथ हैं’ नारे के साथ भागलपुर स्टेशन चौक पर प्रदर्शन किया। यूनियन के सोनम राव और विभूति ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार घोर बहुजन विरोधी और पूंजीपति पक्षधर है। कृषि,उद्योग सहित सरकारी कंपनियों, उपक्रमों, शिक्षा-चिकित्सा आदि को अंबानी-अडानी समेत देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। देश को फिर से गुलाम बना रही है।

अभिषेक आनंद, तनवीर खान, राजेश रौशन, अंगद आदि ने भी विचार रखे। विरोध-प्रदर्शन में सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रामानंद पासवान के साथ डबलू पासवान, प्रेम पासवान, बिजय बिन्द, बजरंगी बिन्द, धीरज कुमार पासवान, शालीग्राम मांझी, बिक्रम बिन्द, अशोक बिन्द, कौशल मांझी, सिंगेश्वर मांझी, नरेश मंडल, कुलदीप मांझी, ब्रह्मदेव बिन्द, रोहित बिन्द शिव बिन्द, अनिल राम आदि दर्जनों लोग उपस्थित थे।

एआईपीएफ ने कहा है कि सरकार अगर छोटे-मझोले किसानों के प्रति ईमानदार है तो उसे कांट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए उन्हें कारपोरेट के सामने मरने के लिए छोड़ने की जगह सहकारी खेती के लिए उनकी मदद करनी चाहिए। इसके लिए उसे दो या तीन गांव का कलस्टर बनाकर गांव स्तर पर ही उनकी फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और वहीं उसके सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वितरण, ब्याज मुक्त कर्ज, कृषि आधारित उद्योग, फसल के संरक्षण और भंडारण की व्यवस्था और सस्ते दर पर लागत सामग्री मुहैया करानी चाहिए। उसे राजकोषीय घाटे पर रोक के एफबीआरएम कानून 2003 को रद्द कर कृषि, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाना चाहिए। यह मांग आज किसान विरोधी तीनों कानून की वापसी, एमएसपी पर कानून बनाने, विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग पर किसानों के अखिल भारतीय विरोध दिवस पर आयोजित प्रदर्शनों में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने उठाई।

प्रदर्शनों में कहा गया कि किसानों के बढ़ रहे राष्ट्रव्यापी आक्रोश से संघ और भाजपा की सरकार डर गई है। यही कारण है कि उसके आला नेता और मंत्री अंबानी-अडाणी की रक्षा के लिए आज से रैली कर रहे हैं। आरएसएस-भाजपा की सरकार ने बौखलाहट में एआईपीएफ प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल, चंदौली के नेता अजय राय, बुनकर वाहनी के अध्यक्ष इकबाल अंसारी और इलाहाबाद में युवा मंच अध्यक्ष अनिल सिंह समेत तमाम जनपदों में नेताओं और अन्नदाता किसानों को गिरफ्तार कर लिया है। बावजूद इसके वकीलों, कर्मचारियों, मजदूरों और व्यापारियों का व्यापक समर्थन आंदोलन को मिला है। आज हुए कार्यक्रमों का नेतृत्व एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी, बिहार के सीवान में पूर्व विधायक और एआईपीएफ प्रवक्ता रमेश सिंह कुशवाहा, पटना में एडवोकेट अशोक कुमार, लखीमपुर खीरी में एआईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बीआर गौतम ने किया।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ सहित प्रदेश के कई किसान संगठनों ने आज किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर जगह-जगह धरना और प्रदर्शन किया और मोदी, अडानी और अंबानी के पुतले जलाए। इसके साथ ही माकपा, सीटू समेत अन्य वामपंथी पार्टियों और विभिन्न ट्रेड यूनियन नेताओं ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर एकजुटता की कार्यवाही की और किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए उनके आंदोलन पर दमन की निंदा की। मोदी सरकार की हठधर्मिता के आगे झुकने से इंकार करते हुए आज प्रदेश के किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है।

छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने पूरे प्रदेश में हुए किसान आंदोलन की तस्वीरें और वीडियो मीडिया को जारी करते हुए आज के आंदोलन को सफल बताया। राजनांदगांव, कोरबा, सूरजपुर, सरगुजा, मरवाही, रायगढ़, रायपुर, बस्तर, बलौदाबाजार, कांकेर, बिलासपुर, गरियाबंद जिलों सहित अन्य जिलों में किसानों के सड़क पर उतरकर इन कानूनों का विरोध करने की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दुर्ग, रायपुर, कोरबा, बिलासपुर सहित कई जिलों में समाज के अन्य तबकों द्वारा एकजुटता की कार्यवाही भी की गई है। किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी समूह के सदस्य हनान मुल्ला ने प्रदेश में आज हुए व्यापक आंदोलन के लिए किसान समुदाय और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के नेताओं को बधाई दी है।

किसान आंदोलन के नेताओं ने संघी गिरोह द्वारा इस आंदोलन को बदनाम करने के लिए व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के दुष्प्रचार और ओछी हरकतों की तीखी निंदा की है और कहा है कि इससे किसान न टूटने वाले हैं और न झुकने वाले, बल्कि इससे इन कानूनों को मात देने के लिए किसानों की एकता और संकल्प और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि ये कानून देशी-विदेशी कॉरपोरेटों और एग्रो-बिज़नेस कंपनियों की तिजोरी भरने के लिए बनाए गए हैं और सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों से इन कानूनों का मूल चरित्र नहीं बदलने वाला है।

इसलिए इन कानूनों को वापस लिए जाने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने की मांग देश के किसान कर रहे हैं। वे अपनी इस जायज मांग को सुनाने के लिए दिल्ली जाने के लिए पिछले बीस दिनों से सड़कों पर बैठे हुए हैं और 15 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की लाठी, गोलियों और दमन का पूरे साहस के साथ किसान आंदोलन मुकाबला करेगा।

छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने जिओ उत्पादों, अंबानी-अडानी के मॉल्स और पेट्रोल पंपों के बहिष्कार की भी अपील आम जनता से की है। किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा है कि यदि मोदी सरकार इन किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेती, तो किसान संगठन भी अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे और कॉरपोरेटपरस्त मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष और तेज किया जाएगा।

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