Saturday, April 27, 2024

नक्सलियों से संबंध के शक में देवरिया और रायपुर से कार्यकर्ता दंपति को एटीएस ने किया गिरफ्तार

नई दिल्ली। आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने उत्तर प्रदेश के देवरिया से एक दंपति को नक्सलियों से संबंध रखने के संदिग्ध आरोप में बुधवार (18 अक्तूबर) को गिरफ्तार किया है। ब्रिजेश कुशवाहा (43) को उनके पैतृक निवास देवरिया और उनकी पत्नी प्रभा (38) को छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित उनके मायके से गिरफ्तार किया गया है। प्रभा तीन महीने की गर्भवती हैं।

आश्चर्य की बात यह है कि एटीएस ब्रिजेश और प्रभा के नक्सली संबंधों की जांच और पूछताछ चार वर्ष से अधिक समय से कर रही है लेकिन अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है। 2019 में एटीएस ने उनके मोबाइल और लैपटॉप आदि जब्त कर लिए थे। लेकिन कोई भौतिक साक्ष्य नहीं मिल सका। अब एटीएस ने उन पर आरोप लगाया है कि उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से ऐसे पत्र और साहित्य मिले हैं जो प्रतिबंधित माओवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े थे।

पुलिस का दावा है कि मिले पत्र और साहित्य इन संगठनों द्वारा भारत सरकार के खिलाफ प्रतिरोध के लिए एक मजबूत पार्टी और संगठन बनाने से संबंधित थे। एटीएस का कहना है कि उसने कार्यकर्ता ब्रिजेश कुशवाहा (43) को उनके पैतृक निवास देवरिया से गिरफ्तार किया, जबकि उनकी पत्नी प्रभा (38) को छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित उसके मायके से गिरफ्तार किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रभा के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि वह तीन महीने की गर्भवती थीं और परिवार के साथ समय बिताने के लिए रायपुर गई थीं।

एटीएस ने जुलाई 2019 में नक्सलियों से संबंध रखने के आरोप में ब्रिजेश और प्रभा पर एफआईआर दर्ज की थी। और एटीएस ने उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया था और उन्हें जांच और डेटा जांच के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में भेज दिया था।

एटीएस का कहना है कि “इस महीने एफएसएल से प्राप्त संपूर्ण निकाले गए डिजिटल डेटा से भरी रिपोर्ट का गहन विश्लेषण करने के बाद उसे नक्सलियों से जुड़े दस्तावेज़ मिले।” एटीएस का यह भी दावा है कि उसने “सीपीआई (माओवादी) के साथियों” के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से “राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों” के संदर्भ में पत्र भी बरामद किए हैं।

पुलिस ने कुशवाहा और प्रभा पर “राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों” में शामिल होने और उनके द्वारा संचालित संगठनों के माध्यम से कम्युनिस्ट विचारधारा फैलाने का आरोप लगाया है। ब्रिजेश जहां देवरिया के मजदूर किसान एकता मंच से जुड़े हैं, वहीं प्रभा सवित्री बाई फुले संघर्ष समिति संगठन से जुड़ी हैं।

कुशवाहा ने देवरिया से संस्कृत में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और अपने छात्र जीवन के दौरान इंकलाबी छात्र सभा से जुड़े रहे। 2006 में बिलासपुर में काम करने के दौरान उनकी मुलाकात प्रभा से हुई और 2010 में उन्होंने शादी कर ली।

दिलचस्प बात यह है कि जब एटीएस ने 2019 में उनके घर पर छापा मारा था और उनसे पूछताछ की थी, तो उसे कोई “विश्वसनीय सामग्री सबूत” नहीं मिला था, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।

जुलाई 2019 में, यूपी एटीएस ने सात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 121 ए और 120 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, जिनमें से सभी राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। पुलिस ने कहा कि संदिग्ध नक्सली यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बैठकें कर रहे थे और लोगों को सत्ता परिवर्तन के लिए सशस्त्र विद्रोह के लिए उकसाने के लिए आपराधिक साजिश में शामिल थे।

उस समय, एटीएस ने एफआईआर में उल्लिखित सात व्यक्तियों में से दो-मनीष आजाद उर्फ मनीष श्रीवास्तव और उनकी पत्नी अनीता श्रीवास्तव को भोपाल में उनके आवास से गिरफ्तार किया था। इन दोनों की पृष्ठभूमि अनुवाद कार्य और अकादमिक कार्य की है। बाद में उन्हें इस मामले में जमानत दे दी गई। इस एफआईआर में कुशवाहा और उनकी पत्नी का भी नाम था।

पुलिस ने भोपाल, कानपुर, देवरिया और कुशीनगर में छापेमारी की थी और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दस्तावेज जब्त किए थे। हालांकि तब कुशवाहा और प्रभा से पूछताछ की गई थी, लेकिन उन्हें 2019 में गिरफ्तार नहीं किया गया।

18 अक्टूबर को दंपति को गिरफ्तार करने के बाद, पुलिस ने कहा कि वे उनके आवासों की भी तलाशी ले रहे हैं। इसमें कहा गया कि प्रभा को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ ले जाया जाएगा।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल ही में 2019 की एफआईआर में सह-अभियुक्तों में से एक मनीष आजाद से पूछताछ की थी, क्योंकि इसने मनीष की बहन और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल के राष्ट्रीय सचिव सीमा आज़ाद सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में छात्रों और कई कार्यकर्ताओं के आवासों और कार्यालयों पर एक साथ तलाशी ली थी।

एनआईए का कहना है कि उसकी छापेमारी सीपीआई (माओवादी) के नेताओं और कैडरों द्वारा पूरे यूपी में प्रतिबंधित संगठन को पुनर्जीवित करने के कथित प्रयासों के संबंध में संदिग्धों के खिलाफ थी।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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