Saturday, April 20, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

सावधान! मुंह बंद रखिए, आप हो सकते हैं गिरफ्तार

नई दिल्ली। बीते 3 दिनों में ऐसी तीन घटनाएं हुई हैं जिससे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में कन्नड़ अभिनेता चेतन को बेंगलुरु में शेषाद्रिपुरम पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। चेतन ने सोशल मीडिया पर लिखा था, “हिंदुत्व को झूठ के आधार पर गढ़ा गया है।… हिंदुत्व को सिर्फ सच से हराया जा सकता है।

दूसरी घटना जम्मू-कश्मीर की है। कश्मीर के जाने-माने पत्रकार इरफान मेहराज को 20 मार्च को श्रीनगर के स्थानीय एनआईए (NIA) केंद्र पर कुछ बातचीत करने के लिए बुलाया गया।

एनआईए ऑफिस पहुंचने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर दिल्ली भेज दिया गया। इरफान को पहले ‘एनजीओ को टेरर फंडिंग’ के आरोप में समन भेजा गया था। अब उन पर कुख्यात यूएपीए (UAPA) लगा दिया गया है। एनआईए के प्रेस नोट जारी कर कहा है कि इरफान को कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज का सहयोगी बताया है। एडिटर्स गिल्ड ने इरफान की गिरफ्तारी की निंदा की है।

तीसरा मामला दिल्ली का है। दिल्ली के कुछ इलाकों में ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ ’ के पोस्टर लगे थे। इस मुद्दे पर भाजपा और आम आदमी पार्टी में तलवारें खिच गई हैं। दोनों दलों में जुबानी जंग तेज हो गई है। वहीं दिल्ली पुलिस अब पोस्टरों को हटवा रही है। पुलिस के अनुसार राजधानी के कई इलाकों से करीब 2,000 पोस्टर हटा दिए गए और 2,000 पोस्टरों को जब्त किया गया है। ये पोस्टर पुलिस ने आईपी एस्टेट में एक वैन से बरामद किए थे। पुलिस के अनुसार जब एक वैन को रोका गया तो उसमें ये पोस्टर मिले थे।

विशेष पुलिस आयुक्त (उत्तरी क्षेत्र की कानून व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस ने आईपी एस्टेट में एक वैन को रोका जब वह डीडीयू मार्ग पर आप मुख्यालय से आ रही थी और एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। पाठक ने आगे बताया कि “गिरफ्तार किए गए व्यक्ति ने खुलासा किया कि उसे उसके नियोक्ता द्वारा AAP के मुख्यालय में पोस्टर वितरित करने के लिए कहा गया था, और उसने एक दिन पहले भी डिलीवरी की थी। पाठक ने कहा, हमने दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है और आगे की जांच जारी है।”

पुलिस के मुताबिक, दो प्रिंटिंग प्रेस फर्मों को 50-50 हजार पोस्टर बनाने का ऑर्डर दिया गया था और कंपनियों से जुड़े कर्मचारियों ने रविवार देर रात से सोमवार सुबह तक इनमें से कई पोस्टर चिपकाए। अपने प्रिंटिंग प्रेस का नाम पोस्टरों पर प्रकाशित नहीं करने के आरोप में मालिकों को गिरफ्तार किया गया है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप, मांग, विरोध और नारेबाजी आम बात है। अपनी पार्टी का प्रचार और विपक्षी दल की नीतियों के विरोध में दीवारों पर लिखना और पोस्टर लगाना भी आम बात है। लेकिन मौजूदा सरकार जनता, बुद्धिजीवियों या राजनीतिक दलों के विरोध को बर्दाश्त करने की जगह उनकी राजनीतिक मांग को राष्ट्रविरोधी साबित करने में लग गई है। इसी कड़ी में कई जन संगठनों, सिविल सोसायटी के सदस्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को माओवादियों का समर्थक बताकर यूएपीए के तहत सालों से जेल में रखा गया है।

एक समय तो ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ का नारा विपक्षी दलों का तकिया कलाम बन गया था। उससे भी पहले संसद के अंदर और बाहर डॉ. राम मनोहर लोहिया और सोशलिस्ट पार्टी के सांसद पं. जवाहर लाल नेहरू के विरोध में नारे और पोस्टर लगाते रहते थे। बाद के दिनों में राजीव गांधी पर बोफोर्स की दलाली खाने के आरोप का पोस्टर देश भर में लगा और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन मौजूदा हुकूमत किसी भी राजनीतिक विरोध को गैर-कानूनी बता रही है।

AAP ने कहा- मोदी सरकार की तानाशाही अपने चरम पर

आम आदमी पार्टी ने बुधवार को दिल्ली पुलिस की ओर से 44 एफआईआर दर्ज करने के बाद मोदी सरकार पर तानाशाही करने का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय राजधानी में दीवारें और खंभे पर “मोदी हटाओ, देश बचाओ” चिपकाए गए थे। आप (AAP) ने हिंदी में पोस्ट किए गए एक ट्वीट में कहा- “इस पोस्टर में ऐसी क्या आपत्तिजनक बात है कि मोदी जी ने इसे लगाने के लिए 100 एफआईआर दर्ज कीं? पीएम मोदी, ऐसा लगता है कि आप नहीं जानते कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। आप एक पोस्टर से इतने डरे हुए क्यों हैं?”

कोरोना काल में भी लगे थे मोदी विरोधी पोस्टर

दिल्ली में यह पहली बार नहीं है। इससे पहले मई, 2019 में भी मोदी के विरोध में कई पोस्टर लगे थे। कोरोनाकाल में दिल्ली में कई जगहों पर “मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया? ” पोस्टर लगे थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 30 लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही 25 प्राथमिकी दर्ज की थी।

2019 में मोदी के विरोध में लगे पोस्टर

मीडिया के मुताबिक उस समय जिन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था उनमें से कई दिहाड़ी मजदूर थे, जिन्होंने बेरोजगार युवाओं के लिए पोस्टर और बैनर लगाए थे और उन्हें उस पोस्टर में छपी सामग्री के बारे कुछ पता नहीं था।

दिल्ली पुलिस ने उस मामले में एक 19 वर्षीय स्कूल ड्रॉपआउट, एक 30 वर्षीय ई-रिक्शा चालक, 61 वर्षीय लकड़ी के तख्ते बनाने वाले को गिरफ्तार किया था- वे उन 25 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर कोविड टीकाकरण अभियान के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर चिपकाए गए हैं।

(जनचौक के पॉलिटिकल एडिटर प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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