चंदौली\वाराणसी, उत्तर प्रदेश। पूरा यूपी जबरदस्त हीट वेव की चपेट में है। सुबह होने के कुछ देर बाद ही आसमान से सूरज आग उगलने लगता है। दोपहर से शाम और देर रात तक भीषण गर्मी, उमस और लू से जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। जनपदों के अस्पतालों में बढ़ते मौत के आंकड़ों के चलते कई जिलों में लोगों को शव वाहन और एम्बुलेंस की किल्लत से दो-चार होना पड़ रहा है।
हीट वेव, गर्मी के चलते सूबे के कई जनपदों में लगातार मौतें हो रही हैं, इन आंकड़ों में नाजुक स्वास्थ्य और वरिष्ठ नागरिकों की अधिक तादाद है। स्वास्थ्य महकमे की ओर से लगातार लोगों से हीट वेव और लू से सजग और सतर्क रहने की अपील की जा रही है।
अकेले बलिया जिले में हाल के दिनों में 72 लोगों की जान जा चुकी है। रविवार को दो और मरीजों की मौत हो गई। जबकि, दो अन्य लालगंज के ओमप्रकाश और नगरा स्थित रामपुर के कविलास यादव की मौत उनके गांव में अचानक बेहोश होने के बाद हो गई। लू से अबतक सिर्फ बलिया में मरने वालों की संख्या 74 हो गई है। वहीं, 20 मरीजों को जिला अस्पताल से वाराणसी के लिए रेफर किया गया है। एक दिन पहले सभी मरीजों की मौत लू के कारण बताने पर सीएमएस डॉ. दिवाकर सिंह का तबादला कर दिया गया है।
बलिया से विधायक और प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि गर्मी के समय मृत्यु दर बढ़ जाती है। इस बीच, मामले को लेकर सरकार द्वारा गठित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की दो सदस्यीय टीम ने रविवार से जांच शुरू कर दी है। इधर यूपी के चंदौली में 12, वाराणसी में 07, मिर्जापुर में 25, देवरिया में 53, मऊ में 02, बलिया में 72, मिर्जापुर में 25, गोरखपुर में 09, गाजीपुर में पुलिस दिवान की मौत, आजमगढ़ में 30 से अधिक, सोनभद्र, भदोही, जौनपुर समेत अन्य जनपदों से नागरिकों के मौत होने की खबर है।
अचानक से बढ़े 18 फीसदी मरीज
उत्तर प्रदेश के चंदौली में बीते तीन दिनों में 12 लोगों की मौत हुई है। इनमें से छह लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने के दौरान गेट पर, तीन डेड बॉडी जनपद के अन्य हिस्सों से आईं और तीन की वार्ड में मौत हुई है। सोमवार का दिन, समय सुबह के 10 बजे, स्थान यूपी का पश्चिमी छोर पर बसा बिहार राज्य से लगा चंदौली जनपद मुख्यालय से बमुश्किल तीन किलोमीटर दूर स्थित कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय। अस्पताल रविवार को एक दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को खुला है।
अस्पताल के पर्ची कांउन्टर, दवा काउंटर, गैलरी, गेट, सभी ओपीडी, बरामदा, पार्किंग, वार्ड, सीटी स्कैन, ब्लड जांच घर, एक्सरे और पेयजल प्वाइंट पर मरीज और तीमारदारों की खचाखच भीड़ है। भीड़ इतनी की एक-एक इंच आगे बढ़ने के लिए मिनटों लोगों के आगे-पीछे खिसकने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
पर्ची काउंटर और ओपीडी के बाहर अपनी बारी के इंतज़ार में मरीजों में बच्चे, महिलायें और बुजुर्गों की हालत पस्त है। गैलरी और इन काउंटरों के बाहर पर्याप्त मात्र में हवा के लिए फैन-कूलर की व्यवस्था नहीं होने से सभी पसीने से तर-बतर हैं। इस उम्मीद में की थोड़ी ही देर में उनकी बारी आ जाएगी। सीएमएस का कहना है कि इन दिनों मरीजों की तादात में 15-18 फीसदी इजाफा हुआ है।
रविवार को नहीं आया कोई डॉक्टर
चंदौली जनपद के शहाबगंज के मसोई के निवासी सामा की उम्र 75 वर्ष है। वह शनिवार को इलाज के लिए चंदौली जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लाए गए हैं। अब वे पुरुष वार्ड के बेड नंबर 12 पर भर भर्ती हैं। अभी तक उनके खून की जांच की रिपोर्ट नहीं आ सकी है।
मरीज सामा की बहु मीना ने ‘जनचौक’ को बताया कि “शुक्रवार से ही इन्हें तपन लग गई है। देसी इलाज किये लेकिन आराम नहीं मिला। लगातार उल्टी-दस्त से शनिवार को दोपहर तक बाबूजी चलने-फिरने में असमर्थ हो गए। चेहरा पिचक गया और होंठ एकदम सूख गए थे। दाल-रोटी, खिचड़ी और पानी भी नहीं पच रहा है। पानी पीने के बाद पेट अब भी दर्द कर रहा है।
रविवार को एक भी डॉक्टर नहीं आया। पूरे दिन और रात बैठकर हम लोगों ने इंतजार किया। पता चला की रविवार को कोई डॉक्टर नहीं आता है। आज सोमवार है। डॉक्टर आये थे। उन्होंने ब्लड जांच के लिए लिखा है। रिपोर्ट एक बजे तक आएगी, इंतजार कर रहे हैं। इस वार्ड में सिर्फ एक कूलर लगा हुआ है। पंखे भी बहुत धीरे-धीरे चल रहा है। पसीने और रात में मच्छर से बहुत परेशानी हो रही है।”
‘डॉक्टर पानी चढ़ाकर गायब है‘
मरीज सामा के सामने वाले वार्ड में धरौली-पचपरा के 78 वर्षीय राममूरत भर्ती हैं। उनकी पत्नी सुशीला एक टिफिन के डिब्बे में दाल-रोटी खिला रही हैं, ताकि सुबह की दवाई दी जा सके। अपने बीमार पति को खाना खिलते हुए सुशीला ने “जनचौक” को बताया कि ” यहां भर्ती हुए दो दिन बीत गए। मेरे पति शुगर के मरीज हैं। एक हफ्ते से इनको खूब पसीना हो रहा था। घबराहट होती थी। दोपहर और शाम को जहां-तहां बदहवास होकर पड़ जाते थे।
हम लोग डर गए और यहां लेकर भागे-भागे आये हैं। डॉक्टर पानी चढ़ाकर गायब है। यहां की स्थित देखकर गुस्सा भी है और तरस भी आ रहा है। कई बार डॉक्टरों के केबिन का चक्कर काटने के बाद एक दफे कोई आ जाता है, और हम पर एहसान जताकर चला जाता है। मजबूरी है अब हमलोग बुड्ढे हो गए हैं, जो बचत है उसी से परिवार, दुनियादारी और खुद का इलाज करवाना पड़ता है। अब बचत भी नाम मात्र की रह गई है, सामने कठिन और निष्ठुर बुढ़ापा है।”
मिर्जापुर में 25 की मौत
मिर्जापुर के मंडलीय चिकित्सालय में पिछले एक सप्ताह के अंदर डायरिया और हीट स्ट्रोक से 25 लोगाें की मौत हाे गई। इसमें 15 लोगों की मंडलीय चिकित्सालय में मौत हुई जबकि दस लोग मृत अवस्था में आए थे। सभी के मौत का कारण बढ़ती तपिश के चलते ब्रेन हेमरेज या हार्ट अटैक बताया जा रहा है। मरने वालों में सबसे अधिक बच्चे और बुजुर्ग हैं।
मैढी(चंदौली), पूर्वी-दक्षिणी कोने पर चंदौली विकासखंड का आखिरी गांव हैं। यहां के 72 साल के रामवृक्ष का भी इलाज कमलापति त्रिपाठी जिला अस्पताल के पुरुष वार्ड में चल रहा है। उनके बेड पर उनकी देखभाल करती पत्नी वृद्ध ललिता देवी ने बताया कि “घर से 10-15 कदम पर शौचालय है। मेरे पति शनिवार की दोपहर में घर से निकल कर लघु शंका के लिए गए। शौचालय से घर में आते ही ओसारे में अचानक से भरभरा कर गिर पड़े, और बेसुध हो गए। पूरा शरीर आंच से तप रहा था। माथे और चहरे से पसीने की धार चल रही थी।
सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। अपने पति की यह स्थित देखकर मेरा दिल तो एक पल के लिए रुक गया था। मुझे लगा की जैसे मेरी दुनिया ही पलभर में उजड़ जाएगी। छटपटा रहे थे। घर के लोगों ने उन्हें चौकी पर बिठाया। प्याज पीसकर उनके शरीर पर लेपन किया गया। फिर भी आराम नहीं मिला। फिर शाम को आनन-फानन में लेकर आये हैं। अभी डॉक्टर आया था। सीटी स्कैन के लिए लिखा है। बेटा सीटी स्कैन की जानकारी लेने के लिए गया है। अभी तो आराम है, लेकिन अच्छा उपचार हो जाता तो हमारे दिल से डर दूर हो जाता।”
चंदौली स्थित कमलापति त्रिपाठी जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ उर्मिला सिंह ने “जनचौक” को बताया कि “इस समय भले 44-45 डिग्री सेल्सियस का आंकड़ा जारी हो रहा है। लेकिन वातावरण में 48 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान महसूस हो रहा है। पिछले दिनों के मुकाबले हाल के एक हफ्ते से अस्पतालों के विभिन्न वार्डों में रोजाना 10 से 15 मरीज भर्ती किये जा रहे हैं। डिफरेंट्स ओपीडी में 20 फीसदी इजाफे के साथ इन दिनों 1000 मरीज रोजाना परामर्श और इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जो पहले 700-800 मरीज ओपीडी में आते थे। अब तक 12 मरीजों की हीट वेव और लू से मौत हो गई है। इनमें ज्यादातर बुजुर्ग थे। “
डॉ. उर्मिला आगे कहती हैं “हीट वेव और लू से नागरिकों में उल्टी, दस्त, बुखार, घबराहट, कमजोरी, ब्लड प्रेशर, शुगर, चक्कर और वायरल के मरीज पहुंच रहे हैं। गर्मी को देखते हुए अस्पताल परिसर में कूलर इंस्टाल किये जा रहे हैं। सभी मरीजों को शाम को चार बजे के बाद घर जाने के कहा जा रहा है। मरीज और नागरिकों से मेरी अपील है कि सभी लोग डेढ से दो घंटे के अंतराल पर आवश्यकतानुसार पानी पीते रहे। जरूरी हो तो तभी घर से बाहर निकलें, अन्यथा धूप और लू से बचें।”
गाजीपुर में लू से दीवान की मौत
धूप और चमड़ी झुलसा देने वाली पछुआ हवा के बीच, सैदपुर कोतवाली पर तैनात दीवान की लू लगने से मौत हो गई। वाराणसी में मृत दीवान का पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने दीवान का शव उनके पैतृक गांव पहुंचाया। जहां मृत दीवान को गार्ड ऑफ ऑनर देकर, उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
दोपहर में चली गई जान
सोनभद्र के दुद्धी कस्बा स्थित रेलवे स्टेशन वार्ड नंबर 02 में रविवार की दोपहर 3:30 बजे 50 वर्षीय अधेड़ छोटे लाल उर्फ ढुलमुन पुत्र स्वर्गीय मोती प्रसाद निवासी वार्ड नंबर 8, जो वार्ड नंबर 2 काशीराम आवास में अपने 14 साल के बेटे के साथ रहता था। बताया जा रहा है कि छोटेलाल कड़ी धूप और अत्यधिक तापमान होने के कारण लू की चपेट में आ गया, जिससे उसकी दोपहर में मौत हो गई। अधेड़ की मौत की खबर सुनते ही घटनास्थल पर आसपास के लोगों की भीड़ उमड़ गई।
आजमगढ़ में भी हालत ख़राब
आजमगढ़ के जिला अस्पताल में बीते एक माह भर्ती हुए मरीजों में शामिल 59 लोगों की मौत हो गई। इसमें लगभग आधे मरीज लू के शिकार रहे। हालांकि अस्पताल प्रशासन मौत का सही आंकड़ा नहीं दे पा रहा है। जबकि सूत्र बता रहे हैं कि बीते एक माह में हर दूसरे-तीसरे दिन एक व्यक्ति की लू और गर्मी से मौत हो रही है। जिले में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस के पार चल रहा है। आसमान से बरस रही आग ने आम आदमी की दिनचार्य बुरी तरह प्रभावित कर दी है।
गोरखपुर में मौत दहाई के आंकड़े के करीब
गोरखपुर के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में रविवार को शाम सात बजे तक करीब 150 मरीज हीट स्ट्रोक और डायरिया के भर्ती हुए हैं। वहीं, जिला अस्पताल की इमरजेंसी में आठ लोगों को मृत अवस्था में लाया गया। भर्ती होने के 10 मिनट बाद एक महिला की सांस फूलने से मौत हो गई। आशंका है कि इस सबकी मौत लू और गर्मी के चपेट में आने से हुई है। कुशीनगर जिले में तीन और लोगों की हीट स्ट्रोक से मौत होने की बात कही जा रही है। इनमें एक 70 तो दूसरे 60 साल के थे। जिला अस्पताल का जनरल और चाइल्ड वार्ड बुखार और उल्टी-दस्त के मरीजों से भर गया है।
बस्ती में हर रोज भर्ती हो रहे 200 मरीज
बस्ती के जिला अस्पताल में हर दिन उल्टी दस्त और हाई फीवर के 200 मरीज भर्ती हो रहे हैं। हालांकि हीट स्ट्रोक का कोई मामला अब तक दर्ज नहीं हुआ है। लक्षण के अनुसार इलाज किया जा रहा है। इमरजेंसी में पिछले 24 घंटे में 31 मरीज भर्ती हुए हैं। इसमें उल्टी-दस्त के 24 जबकि तेज बुखार के 7 मरीज शामिल हैं। प्रभारी एसआईसी डॉ. राम प्रकाश ने बताया कि जिला अस्पताल में अब तक लू लगने का एक भी मामला नहीं आया है। न ही कोई मौत हुई है।
कब लगती है लू
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लू तब लगती है, जब शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ जाता है। सामान्य तौर पर, यह गर्म और आर्द्र वातावरणों में अत्यधिक परिश्रम के कारण होता है। चेतना की हानि, बेहोशी, भ्रम, घबराहट और दौरे लू लगने के प्रमुख लक्षण हैं। यदि इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो यह अंग विफलता, कोमा या मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
लू या हीटस्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं: एक्सर्शनल हीटस्ट्रोक और नॉन-एक्सर्शनल हीटस्ट्रोक। एक्सर्शनल हीटस्ट्रोक गर्म और आर्द्र वातावरणों में शारीरिक अत्यधिक परिश्रम के कारण होता है। यह कुछ ही समय में विकसित हो सकता है, शायद कुछ घंटों में। दूसरी ओर, नॉन-एक्सर्शनल हीटस्ट्रोक उम्र या अंतर्निहित बीमारियों के परिणामस्वरूप हो सकता है। यह कई दिनों में विकसित हो सकता है। लू लगने के लक्षण और उपाय के बारे में जानने से पहले उन कारकों के बारे में बात करें जो इस स्थिति के जोखिम को बुलावा देते हैं।
लू न लगे इसके लिए बरतें ये 10 सावधानियां –
खुले शरीर धूप में न निकलें, खासकर खुले सिर और नंगे पैर धूप में बाहर कतई न जाएं। अगर धूप में बाहर निकलना ही पड़े तो सिर अवश्य ढंके। आंखों पर सनग्लासेस लगाएं और हो सके तो सफेद या हल्के रंग के कॉटन के कपड़े ही पहनें। अचानक ठंडी जगह से एकदम गर्म जगह ना जाएं। खासकर एसी में बैठे रहने के बाद तुरंत धूप में ना निकलें। कच्चा प्याज रोज खाएं। धूप में निकलने पर अपने पॉकेट में छोटा सा प्याज रखें, यह लू शरीर को लगने नहीं देता और सारी गर्मी खुद सोख लेता है।
कूलर और एसी के सामने से हटकर एकदम से बाहर न जाए। गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए। गर्मी के दिनों में बार-बार पानी पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में जलीयांश की कमी नहीं होने पाए। पानी में नींबू और नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीते रहने से लू नहीं लगती है। गर्मी के दौरान नरम, मुलायम, सूती कपड़े पहनना चाहिए जिससे हवा और कपड़े शरीर के पसीने को सोखते रहते हैं। मौसमी फलों का सेवन भी लाभदायक रहता है जैसे, खरबूजा, तरबूज, अंगूर इत्यादि।
क्या करें जब हो जाएं लू के शिकार ?
लू लगने पर मौसमी फल, फल का रस, दही, मठ्ठा, जीरा छाछ, जलजीरा, लस्सी, आम का पन्ना पिएं या आम की चटनी खाएं। लू लगने पर तत्काल योग्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने से पहले कुछ प्राथमिक उपचार करने पर भी लू के रोगी को राहत महसूस होने लगती है। बुखार तेज होने पर रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाना चाहिए। 104 डिग्री से अधिक बुखार होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए।
रोगी के शरीर को दिन में चार-पांच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए। कच्चे आम को गरम राख पर मंद आंच वाले अंगारे में भुनें। ठंडा होने पर उसका गूदा (पल्प) निकालकर उसमें पानी मिलाकर मसलना चाहिए। इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पन्ना बनाना चाहिए। पन्ने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए। इमली के बीज को पीसकर उसे पानी में घोलकर कपड़े से छान लें। इस पानी में शक्कर मिलाकर पीने से लू का शमन होता है।
(उत्तर प्रदेश से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट।)
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