बलरामपुर की दलित पीड़िता के शरीर में चोट के 10 से ज्यादा निशान, पोस्टमार्टम में खुलासा

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नई दिल्ली। यूपी के बलरामपुर में मरी 22 साल की दलित लड़की की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक लड़की के शरीर पर मृत्यु से पहले कुल 10 चोट के निशान थे। इसमें 8 उसके गाल, छाती, कुहनी, बायीं जांघ पर थे जहां चोट का स्थान तकरीबन नीला पड़ गया था। जबकि बायें पैर और घुटने में खरोंच लगी थी।

मृत्यु का कारण मरने से पहले आयी चोटों से सदमा और ज्यादा रक्त का बह जाना बताया गया है। इंडियन एक्सप्रेस के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक कॉपी है।

हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले डॉक्टर ने यौन हिंसा पर रिपोर्ट में कोई बात नहीं कही है। लेकिन उसके प्राइवेट पार्ट में कुछ रक्तस्राव को ज़रूर चिन्हित किया है। महिला के स्वैब को टेस्ट के लिए रख लिया गया है।

बताया जा रहा है कि बुधवार की रात को परिवार की मौजूदगी में महिला के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों- शाहिद (26) और उसके भतीजे साहिल को गिरफ्तार किया है।

महिला के भाई की शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर के मुताबिक मंगलवार को वह सुबह 10 बजे काम के लिए निकली थी। जब वह शाम को चार बजे तक नहीं लौटी तो उसने उसे फोन पर कॉल किया लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं मिला।

एफआईआर में लिखे भाई की तहरीर के मुताबिक “तकरीबन शाम 7 बजे हमारी बहन एक रिक्शे पर तकरीबन बेहोशी की हालत में घर लौटी। रिक्शावाला तुरंत चला गया। पूछने पर हम लोगों ने पाया कि दो आरोपियों ने डॉ. जियाउर्रहमान खान को उसके इलाज के लिए अपने घर बुलाया था। लेकिन डॉक्टर ने इंकार कर दिया और इलाके में रहने वालों को भी सूचित कर दिया।”

शिकायत के मुताबिक शाहिद और साहिल ने उसका अपहरण किया और फिर उसके साथ बलात्कार किया। भाई ने कहा कि “जब उसकी स्थिति बिगड़ गयी तो उसे एक रिक्शा पर उसके घर भेज दिए। उसकी मौत अस्पताल ले जाने के रास्ते में हुई।” दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 (अपहरण), 376 डी (गैंगरेप) और 302 (हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

पीड़िता की मां ने बताया कि उनकी बेटी जिसे इस साल बीए की परीक्षा में बैठना था, एडमिशन फीस जमाकर लौट रही थी जब उसका अपहरण कर आरोपियों द्वारा शाहिद के जनरल स्टोर पर ले जाया गया। यह जनरल स्टोर पीड़िता के घर से तकरीबन दो किमी दूर है। पीड़िता के पिता एक किसान हैं।

डॉ. जियाउर्रहमान जिन्हें आरोपियों ने महिला के इलाज के लिए बुलाया था, ने बताया कि “युवक जिसे साहिल के नाम से जाना जाता है, शाम तकरीबन 5.15 बजे मुझे बुलाने के लिए आया। मैं शाहिद द्वारा संचालित जनरल स्टोर पर गया। शाहिद वहां था। उसने बताया कि उसके घर में एक मरीज है। जब मैंने देखा कि उसके परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद नहीं है तो मैंने पूछताछ की। किसी महिला या फिर बड़े की मौजूदगी न होने के चलते मैंने इलाज करने से इंकार कर दिया। मैं बाहर चला आया और आस-पास रहने वाले लोगों से पूछा कि क्या उनके पास महिला के पिता का फोन नंबर है। उनके पास नहीं था। इस बीच आरोपी ने मुझे अपने क्लीनिक पर यह कहते हुए लौट जाने के लिए कहा कि वे लड़की को उसके पिता के साथ मेरी क्लीनिक पर ले आएंगे। मैं नहीं जानता कि उसके बाद फिर क्या हुआ?”

एक स्थानीय शख्स जिसकी शाहिद के स्टोर के ठीक सामने ज्वेलरी की दुकान है, ने बताया कि वह पूरे समय अपनी दुकान पर था लेकिन किसी महिला को लाते हुए नहीं देखा। हालांकि एक दूसरे शख्स अमरेश कुमार जो शाहिद के स्टोर के बिल्कुल बगल में रहता है, ने बताया कि उसके एक रिश्तेदार ने देखा था कि कोई एक बेहोश लड़की को अपने कंधों पर बैठाकर स्टोर के पिछले दरवाजे से ले जा रहा है। शाहिद के घर पर जो उसके स्टोर से महज 200 मीटर की दूरी पर है, परिवार के लोग कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं।

पुलिस ने बताया कि डीएम और एसपी द्वारा मुआवजे के तौर पर परिवार के सदस्य को 618750 रुपये दे दिए गए हैं। परिवार के सदस्यों का कहना है कि वो और ज्यादा पैसे की मांग नहीं करेंगे लेकिन यह चाहते हैं कि परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिल जाए।  

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