छत्तीसगढ़: अतिक्रमण के नाम पर ठेले-गुमटियों पर बुलडोजर चलाकर रोजी-रोटी छीन रही बीजेपी 

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छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद एक बार फिर बुलडोजर सुर्खियों में है। बुलडोजर की कार्रवाई मानों भाजपा सरकार के लिए ट्रेंड सा बन गया है। क्योंकि इससे पहले उत्तरप्रदेश में योगी सरकार, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह ने अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलावाया है। अब छत्तीसगढ़ में अतिक्रमण हटाने के नाम पर बुलडोजर खूब दौड़ रहा है। गरीबों के ठेले-गुमटियों को बिना जानकारी दिए तहस-नहस किया जा रहा है।

आश्चर्य की बात तो ये है कि, जो सरकार और प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर बेतरतीब तरीके से बुलडोजर चलवा रही है, उस कार्रवाई में कोई भी बड़ा आदमी नहीं है। जिनके खिलाफ ये कार्रवाई की जा रही है, सभी सड़क किनारे अपनी दुकानें लगाकर अपने परिवार का बड़ी मुश्किल से गुजर-बसर करते हैं। अब नई नवेली भाजपा सरकार इन गरीबों की मुश्किलें कम करने की बजाय और बढ़ाते नजर आ रही है। साथ ही इस कार्रवाई को लेकर कई सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं।

रायपुर से लेकर सरगुजा संभाग तक छीनी गई गरीबों की रोटी

राजधानी रायपुर से लेकर सरगुजा संभाग तक बीजेपी का बुलडोजर दौड़ रहा है। ये बुलडोजर छत्तीसगढ़ में अब तक कई हजारों दुकानों को अतिक्रमण के नाम पर तबाह कर चुका है। उन लोगों के मन में डर बना हुआ है, जिनकी ठेलानुमा दुकानें अभी बीजेपी के बुलडोजर के जद में नहीं आई है। हालांकि, उनको ये पता है आज नहीं तो कल उनकी रोजी-रोटी का सहारा उनसे बीजेपी छीन ही लेगी। ये डर तब तक खत्म नहीं होने वाला जब तक उनकी दुकानें जमीदोज नहीं हो जाती। ये तो उनके दुकानें टूटने का डर था।

अब उस डर को भूलकर एक और डर के बारे में भी सोचना जरूरी है कि, ठेले-गुमटियां टूटने के बाद इनका घर कैसे चलेगा। इनके छोटे-छोटे बच्चे और बूढे़ मां-बाप का पेट कौन भरेगा। सोचना जरूरी है, क्योंकि भाजपा और विष्णुदेव साय ने इस बारे में नहीं सोचा है। अगर विष्णुदेव साय की सरकार ये बात सोचती तो हमको, आपको और उन लोगों को इस बारे में सोचने की जरूरत शायद ही पड़ती।

बलौदाबाजार जिले में अब तक लगभग 100 से अधिक ठेला-गुमटियों पर बुलडोजर चलाकर हटाया जा चुका है। लेकिन अधिकारियों की नजर वहीं मौजूद दुकानों पर नहीं गई, जो दुकान से बाहर कई फीट जगह पर कब्जा कर रखे हैं। कुछ बड़ी दुकानों के काउंटर भी दुकान से 10 फीट बाहर लगे हुए हैं। जिन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। कार्रवाई के बाद ठेला-गुमटियां लगाने वालों में खासी नाराजगी देखी जा रही है। उन लोगों का कहना है कि, हम गरीबों के साथ शासन-प्रशासन भेदभाव कर रही है और अमीरों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

बुलडोजर की कार्रवाई पर बलौदाबाजार निवासी राजेश साहू का कहना है कि, 2 बच्चे समेत उनका 4 लोगों का परिवार है। उनका गार्डन चौक स्थित एक पान ठेला था। जिससे वे अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे। जिसे प्रशासन ने उजाड़ दिया है। अब उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है। बच्चे भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करते हैं। उनकी फीस कहां से जमा करेंगे ये भी बड़ी समस्या है। अब उनके पास आय का कोई साधन नहीं हैं। उनका ये भी कहना है कि, केवल हम गरीबों पर ही ये कार्रवाई कहां तक ठीक है। कई ऐसे लोग हैं, जिनकी बड़े-बड़े लोगों से पहचान है, जिसके कारण उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।  

बलौदाबाजार में चिकन-मटन की दुकान लगाने वाले मोहम्मद अमीन का कहना है कि, प्रशासन ने बिना नोटिस जारी किए हमारी दुकानों को तोड़ दिया है। ये कार्रवाई विशेष छोटी दुकान वालों के ऊपर की जा रही है। शहर के अंदर बहुत सी ऐसी जगह है, जहां अतिक्रमण कर रखा है। हम लोग रोज जीने खाने वाले लोग हैं। यही हमारे आय का साधन है, जिसे खत्म कर दिया गया।

वहीं बिलासपुर में भी तोरवा, अशोकनगर, ट्रांसपोर्टनगर, बिरकोना, यदुनंदन नगर, तिफरा, सकरी, कोनी, राजकिशोर नगर, मोपका, महाराणा प्रताप चौक, व्यापार विहार, पुराना बस स्टैंड समेत करीब दो दर्जन से अधिक जगहों पर छोटे दुकानों पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, गरीबों के ठेले-गुमटी हटाए जा रहे हैं। बड़े कब्जाधारियों पर निगम और प्रशासन मौन ही रहता है। इस कार्रवाई को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कई लोगों का आरोप है कि, अपने पसंदीदा लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए कार्रवाई की जा रही है। हमें हटाकर उन्हें जगह दी जाएगी।

सरगुजा बस स्टैंड के पास चाय-नाश्ता का ठेला लगाने वाले मनसुख राम का कहना है कि, आसपास के सभी ठेलों पर बुलडोजर चलवा दिया गया। चाय-नाश्ता का ठेला लगाकर अपने परिवार चलाता था। लेकिन शासन-प्रशासन की इस कार्रवाई ने हमारा सबकुछ छीन लिया। अब हमारे सामने परिवार चलाने का संकट मंडरा रहा है।

वहीं सरगुजा के राजू कुशवाहा जो सड़क किनारे फल की दुकान लगाते थे। उन्हें भी प्रशासन के अधिकारियों ने हटा दिया। उनका कहना है कि, बड़े दुकानों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। बस छोटे दुकानों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई कर रही है। आखिर बड़ी दुकानों पर प्रशासन इतना मेहरबान क्यों है, समझ नहीं आ रहा है। 

राजधानी रायपुर में भी घड़ी चौक, फूल चौक, बीटीआई ग्राउंड, लोधी पारा, आमानाका समेत कई इलाकों में बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। हजारों की संख्या में छोटी दुकानों को उजाड़ा गया है। सरकार बनते ही बुलडोजर की कार्रवाई बड़े पैमाने पर की जा रही है। हालांकि, सड़क किनारे दुकान लगाने वालों के खिलाफ हुई कार्रवाई पर दुकान वालों के साथ कई लोग सवाल भी खड़ा कर रहे हैं।

रायपुर के बीटीआई ग्राउंड के पास सड़क किनारे इटली-डोसा की दुकान लगाने वाले रघुवीर टांडी का कहना है कि, सरकार और प्रशासन ने बिना जानकारी दिए बुलडोजर की कार्रवाई की है। हम सालों से इसी जगह पर दुकान लगाते आ रहे हैं। ऐसे में अचानक हम गरीबों पर प्रशासन ने ये कार्रवाई क्यों की है। इससे पहले भी यही प्रशासन था, लेकिन सरकार बनते ही कार्रवाई की गई है।

बुलडोजर की कार्रवाई पर सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता वीरेंद्र पांडेय का कहना है कि, पथ विक्रेता को लेकर केंद्र सरकार का कानून है। इस कानून में ये माना गया है कि, आबादी का ढाई प्रतिशत जो सड़क के किनारे व्यापार करके अपना जीवनयापन करते हैं।

कानून में स्पष्ट उल्लेख है कि, ऐसे लोगों को वेंडिग जोन बनाकर व्यवस्थित किया जाए। व्यवस्था से पहले तक जहां वे काम वहां से लोगों को ना हटाया जाए। साथ ही वेंडिग कमेटी बनाने का भी प्रावधान है। इस कानून में ये कहा गया है कि, नगर निगम इसको लेकर एक कमेटी बनाएगी, जिसमें 40 प्रतिशत स्थान उन लोगों को दिया जाएगा जो इस प्रकार का व्यापार कर रहे हैं। जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला इनके प्रतिनिधित्व का भी उस कमेटी में ध्यान रखा जाएगा। और ऐसे स्थान पर वेंडिग जोन नहीं बनाया जाएगा जहां व्यापार चलने की गुंजाइश न हो।

उन्होंने आगे कहा, जैसे ही सरकार बदली वैसे ही बुलडोजर की कार्रवाई की गई। जिसके बाद हमने महापौर और निगम के अधिकारियों से कार्रवाई को लेकर पूछा तो उनका कहना है कि, हमने कोई इस प्रकार का आदेश नहीं निकाला है। अधिकारियों का कहना था कि, इस कार्रवाई के पीछे कोई अदृश्य शक्ति है। साथ ही अधिकारी ये भी बताने को तैयार नहीं है कि, किसके कहने पर ये कार्रवाई की जा रही है। 

सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता वीरेंद्र पांडेय ने ये भी बताया कि, वे इस मामले को लेकर हाईकोर्ट भी गए थे। जिसकी सुनवाई में हाईकोर्ट ने भी इस कार्रवाई को गलत ठहराया। हाईकोर्ट का कहना था कि, आप सबका पंजीयन करें और जब तक वेडिंग जोन बनाकर व्यस्थापन नहीं करते हैं तब तक उनको न हटाया जाए। लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई की गई, जो कानून का भी उल्लंघन है और हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है। उनका ये भी कहना है कि, ये कार्रवाई अनुचित है और अमानवीय है। 

इसका जवाब सरकार देगी क्या ?

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को जवाब देना चाहिए कि, आखिर गरीबों को ही चुन-चुनकर कार्रवाई क्यों की जा रही है। आखिर बुलडोजर की कार्रवाई के दौरान कितने अमीरों के यहां बुलडोजर चलवाया गया ये भी बताना चाहिए। अगर नहीं चलवाया गया तो क्यों। कहीं ऐसा तो लिखा नहीं है कि, अतिक्रमण केवल गरीब ही करते हैं। ऐसे कई बड़े नाम हैं, जिन्होंने भारी- भरकम जगह पर अतिक्रमण कर रखा है। इन पर बीजेपी सरकार इतनी मेहरबान क्यों है। क्या जिनका रोजगार छिन गया है, उन्हें प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय रोजगार दिलवाएंगे। अगर इसका जवाब नहीं है तो विष्णुदेव साय को इस कार्रवाई को रोक उन गरीबों का आंसू पोंछते हुए माफी मांग लेनी चाहिए, जिनकी रोटी छीन ली गई और जिनका उन्होंने सब कुछ उजाड़ दिया।

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