बजट 2025: दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण पर हमला

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केन्द्रीय बजट 2025-26 को पेश करते हुए वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने तेलुगु कवि और नाटककार गुरजादा अप्पा राव की प्रसिद्ध उक्ति ‘एक देश सिर्फ उसकी मिट्टी नहीं, एक देश उसके लोग हैं’ से अपने भाषण को शुरू किया था।

उन्होंने बजट के लक्ष्य में गरीब, युवा, किसान व महिलाओं पर फोकस किया। इस बात की घोषणा की कि उनका बजट देश में शून्य गरीबी, शत प्रतिशत अच्छी गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण सस्ती व व्यापक स्वास्थ्य सेवा, शत प्रतिशत कुशल श्रमिकों के साथ सार्थक रोजगार, आर्थिक गतिविधियों में 70 फीसद महिलाओं की भागीदारी, समृद्ध किसान आदि को प्राप्त करने के लिए है। इस रोशनी में बजट के प्रारूप 10 ए में घोषित अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए किए गए बजट आवंटन का अवलोकन करें तो यह घोषित लक्ष्य से कोसों दूर दिखाई देगा।

देश में 2011 की जनगणना के अनुसार 16.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी रहती है, जिसका बहुतायत गरीब है। लंबे समय से इस समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली ताकतों द्वारा इनकी आबादी के अनुरूप अनुसूचित जाति कल्याण बजट आवंटित करने की मांग की जाती रही है। जिसे इस बजट में भी पूरे तौर पर अनदेखा कर दिया गया और उनके लिए बजट का महज 3.4 फीसदी आवंटन ही किया गया है। जिसमें ज्यादातर पैसा कारपोरेट घरानों को दिया गया है।

अनुसूचित जाति के शिक्षा के लिए बजट में विशेष प्रावधान करने की बात पूना पैक्ट में ही सामने आई थी। जिसके खंड 9 में आश्वासन दिया गया था कि अल्पसंख्यक जाति यानी भारत सरकार अधिनियम 1935 के अधीन जारी किए गए भारत शासन अनुसूचित जाति आदेश 1936 में वर्णित अनुसूचित जातियां अल्पसंख्यक मानी गई थी, उनकी शिक्षा के लिए बजट में विशेष उपबंध करने का आश्वासन दिया गया था।

डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित ‘राज्य और अल्पसंख्यक’ पुस्तक जिसमें उनके विचारों को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति परिसंघ की ओर से संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया था। उसमें उन्होंने कहा है कि राज्य का यह दायित्व है कि वह सुविधा वंचित वर्गों को बेहतर अवसर सुलभ कराते हुए सामाजिक राजनीतिक व आर्थिक विषमता को दूर करें।

इसके अनुच्छेद दो में वह बजट में अनुसूचित जाति के लिए शेयर की बात करते हैं और उसी के अनुभाग तीन के खंड 4 में वह भारत सरकार से संबंधित किसी भी प्रयोजन हेतु धन खर्च करने के लिए करने की बात करते हैं। वह हवाला देते हैं कि भारत सरकार अधिनियम 1935 की धारा 10 में इसका प्रावधान किया गया था। अनुसूचित जातियों के लिए विशेष उत्तरदायित्व का भी वह उल्लेख करते हैं और राज्य का शिक्षा में उत्तरदायित्व मानते हैं।

आजादी के बाद डाक्टर अंबेडकर का यह सपना पूरा नहीं हो सका। लेकिन 1974-75 में पांचवीं पंचवर्षीय योजना में इसे अनुसूचित जाति सब प्लान के बतौर स्वीकार किया गया। 2017 में मोदी सरकार ने इसका नाम बदलकर अनुसूचित जाति कल्याण मद कर दिया।

इस सब प्लान या कल्याण योजना में अनुसूचित जाति के सामाजिक शक्तिकरण, शैक्षिक विकास और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए उनकी आय और रोजगार को बढ़ावा देना लक्ष्य घोषित किया गया। साफ-साफ कहा गया कि उनके लिए आय बढ़ाने वाली योजनाएं, कौशल विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च किया जाएगा। यहां तक कहा गया कि कौशल विकास के लिए सब प्लान बजट का 10 प्रतिशत खर्च करना अनिवार्य है।

बजट 2025-26 को यदि हम देखें तो अनुसूचित जाति के लिए 168478.38 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। जो पिछली बार आवंटित 165500.05 करोड़ से कुछ ही ज्यादा है और यदि 5 फीसदी मुद्रा स्फीति को ध्यान में रखा जाए तो यह एक तरह से कम ही किया गया है। यह भी गौर करने वाली बात है कि पिछले वित्तीय वर्ष में आवंटित धन में से महज 138362.52 करोड रुपए ही खर्च किए गए हैं।

मोदी सरकार नई-नई घोषणा करने में बहुत माहिर है। इस बजट से पूर्व प्रधानमंत्री खुद भारत को कुशल श्रमिकों की बड़ी मंडी बनाने और कुशल श्रमिकों को विदेश में सप्लाई करने की घोषणा कर रहे थे। लेकिन यदि हम देखें तो जो कौशल विकास के प्रमुख संस्थान है, उनके एससी के ‘सब प्लान’ बजट का हाल बुरा है।

आईआईटी जैसे विख्यात संस्थान के एससी बजट में पिछले वर्ष आवंटित धन 631.60 करोड़ में महज 50 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है। आईआईटी हैदराबाद को दिए जाने वाला पैसा जो 2023-24 में 48.54 करोड़ खर्च हुआ था, उसे इस बार शून्य कर दिया गया।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट जैसे प्रमुख संस्थान में 2023-24 में आवंटित 20.63 करोड़ रुपए को घटाकर इस बार 15.44 करोड़ कर दिया गया। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के लिए पिछले वर्ष आवंटित 103.79 करोड़ को घटाकर 94.73 करोड़ कर दिया गया।

स्कीम फॉर प्रमोशन आफ एकेडमिक एंड रिसर्च कोलैबोरेशन के बजट को 18 करोड़ से घटा के 9 करोड़ कर दिया गया है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बजट को पिछले वर्ष आवंटित 456.45 करोड़ को घटाकर 398.12 कर दिया गया।

आज एआई के दौर की बातें हो रही हैं। भारत सरकार ने एससी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सेंटर्स को पिछले वर्ष आवंटित 42 करोड़ को घटाकर 32.94 करोड़ कर दिया है। स्किल इंडिया प्रोग्राम के बजट में 15 करोड़ रुपए की कटौती की गई है और पिछले वर्ष खर्च 384.69 करोड़ रुपया ही लगभग दिया गया है। स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप में इस बार 853.68 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। इसकी सच्चाई यह है कि पिछली बार 612.65 करोड रुपए में से 477.94 करोड़ रुपए ही खर्च किया गया है।

अनुसूचित जाति की शिक्षा के लिए पिछली बार आवंटित 18436.16 करोड़ के बजट में मामूली वृद्धि करते हुए इस बार 19653.99 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। जो वास्तव में उनकी आबादी के अनुपात में बेहद कम है। इसी तरह स्वास्थ्य के बजट में 10094.17 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है जो पिछले वर्ष आवंटित 9158.5 करोड़ से कुछ ही ज्यादा है।

यहां यह ध्यान रखना होगा कि पिछले वर्ष आवंटित धन में से सरकार 8927.18 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई है। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1933.47 करोड़ रुपए खर्च किया था जबकि इस वर्ष महज 1521.88 करोड़ ही आवंटित किया गया है।

सरकार ने बजट में देश का पहले ग्रोथ इंजन कृषि को माना है। अनुसूचित जाति के लिए कृषि में खर्च होने वाले प्रमुख मद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में करीब 1000 करोड़ की भारी कटौती की गई है। कृषि उन्नति योजना में 300 करोड़ रुपए की कटौती हुई है, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट में दो करोड़ रुपए, कृषि विज्ञान केंद्र में चार करोड़ रुपए और यूरिया सब्सिडी में 40 करोड़ रुपए की कटौती की गई है।

दूसरा ग्रोथ इंजन सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को माना है। एससी के इसके बजट में 3838.51 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है जो पिछली बार आवंटित बजट 3630.30 करोड़ से कुछ ज्यादा है और 2023-24 में वास्तविक खर्च 3737.95 करोड़ के लगभग है।

एमएसएमई की काउंटर गारंटी के लिए आवंटित बजट में डेढ़ सौ करोड़ रुपए की कटौती की गई है। बड़े जोर शोर से चलाई गई पीएम विश्वकर्मा योजना जिसमें श्रमिकों को कुशल बनाने और उनको कर्ज देने की बात की गई थी, उसमें करीब 150 करोड़ की कटौती की गई है।

रोजगार उपलब्ध कराने वाली प्रमुख योजना मनरेगा में 2023-24 में वास्तविक खर्च 12712.249 करोड़ के सापेक्ष इस बार 11976 करोड़ रुपए अनुसूचित जाति के लिए आवंटित किए गए हैं। पीएम आवास योजना जिसकी बड़ी बातें की जाती हैं, उसके पिछले वर्ष आवंटित 12946.33 करोड रुपए में कटौती करके 11911 करोड़ रुपए ही आवंटित किए गए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड प्रोग्राम में 50 करोड़ की कटौती की गई है।

अनुसूचित जाति के सम्मानजनक जीवन के लिए साफ पानी और शौचालय निर्माण की जो बातें की गई थी उसके भी बजट में 6600 करोड़ की कटौती की गई है। श्रम कल्याण योजना के बजट में कोई वृद्धि नहीं है। असंगठित मजदूरों को पेंशन देने वाली प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, जिसमें सरकार मजदूर के अंशदान के बराबर बैंक में जमा करेगी, के बजट में 5 करोड़ की कटौती की गई है और महज 25 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है।

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के बजट को तो इस बार शून्य कर दिया गया। जबकि इस पर 2023-24 में 209 करोड़ का वास्तविक खर्च हुआ था। नई रोजगार सृजित करने की योजना पर 3340 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। इस योजना में पिछली बार 1660 करोड़ रुपए आवंटित किया गया था, जिसमें से 1140 करोड रुपए ही खर्च किया गया।

शहरी क्षेत्र में आवास और सम्मानजनक जीवन के लिए इस बार 4317.85 करोड रुपए आवंटित किया गया है जो पिछले बार आवंटित 4283.26 से बहुत थोड़ा ही ज्यादा है। यह भी ध्यान रखना होगा कि पिछली बार आवंटित धन में से महज 1959.40 करोड़ रुपए ही खर्च किया जा सका है।

अनुसूचित जाति के लिए वृद्धा और विधवा पेंशन में 1 रुपए की भी वृद्धि नहीं की गई है। मोदी सरकार द्वारा अपने शुरुआती दौर में शुरू की गई उज्जवला योजना यानी गरीबों को एलपीजी गैस कनेक्शन मुफ्त देने की योजना इस बजट में दम तोड़ गई।

अनुसूचित जाति के लोगों के गरीब परिवारों को दी जाने वाली दिए जाने वाले एलपीजी कनेक्शन के लिए शून्य बजट का आवंटन हुआ है और एलजी की डायरेक्ट बेनिफिट के बजट को भी शून्य कर दिया गया है।

वहीं दूसरी तरफ हम देखें तो तो कॉर्पोरेट घरानों के लिए कई ऐसे मद में सबप्लान का पैसा खर्च किया गया है जिनका अनुसूचित जाति से कोई सम्बंध नहीं है। कॉर्पोरेट के मुनाफे के लिए नई और अक्षत ऊर्जा में 900 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है, ऊर्जा के क्षेत्र में 1500 करोड़ की वृद्धि की गई है, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में 730 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है।

कंप्यूटर के सेमीकंडक्टर बनाना जिसका अनुसूचित जाति के विकास से कोई संबंध नहीं है उसके बजट में 260 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है। आईटी हार्डवेयर लिंक्ड इंसेंटिव के लिए बजट में 300 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी जिसमें अंबानी का कब्जा है उसके बजट में 700 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो यह बजट मोदी सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के आर्थिक, सामाजिक सशक्तिकरण पर हमला है। दलितों की राष्ट्रीय आय व सम्पत्ति में हिस्सेदारी और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कौशल विकास, आर्थिक व सामाजिक सशक्तिकरण के लिए ‘सब प्लान’ में बजट बढ़ाने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में दलित एकता मंच के जरिए एक नई गोलबंदी शुरू हुई है, जो आने वाले समय में एक दलितों की नई जागृति को पैदा करेगा।

(दिनकर कपूर ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव हैं)

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