राजस्थान: कैबिनेट मंत्री शेखावत के दामन तक पहुंची क्रेडिट सोसायटी घोटाले की आग, कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

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राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में कथित ऑडियो को लेकर एसओजी की जांच का सामना कर रहे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मुश्किलें गुरुवार को और बढ़ गईं। अब राजस्थान के संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले के मामले में शेखावत का नाम आया है। जयपुर महानगर अपर सेशन न्यायाधीश (एडीजे) कोर्ट संख्या-8 ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के संचालकों द्वारा किए 884 करोड़ रुपये के घोटाले में शेखावत व उनकी पत्नी सहित कुछ अन्य लोगों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।

शेखावत और सोसायटी के संस्थापक व प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह कुछ अन्य मामलों में बिजनेस पार्टनर रह चुके हैं। कोर्ट के इस आदेश से शेखावत की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। हालांकि घोटाला सामने आने से पहले ही शेखावत ने विक्रम सिंह से अपनी पार्टनरशिप खत्म कर दी थी।

मंगलवार को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पवन कुमार ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत को भाजपा नेता के खिलाफ शिकायत एसओजी को भेजने का निर्देश दिया था। शेखावत का नाम संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में उनकी पत्नी और अन्य लोगों के साथ शिकायत में लिया गया है, जिसमें हजारों निवेशकों को कथित रूप से लगभग 900 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

एसओजी की जयपुर इकाई ने पिछले साल से इस घोटाले की जांच की। 23 अगस्त 2019 को एक एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले के संबंध में एसओजी द्वारा दायर आरोप पत्र में शेखावत का उल्लेख नहीं किया गया था। बाद में, एक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें आरोप पत्र में शामिल करने के एक आवेदन को भी खारिज कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने अतिरिक्त जिला जज की अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

एसओजी 884 करोड़ रुपए के इस कथित घोटाले की जाँच बीते एक साल से कर रहा है। याचिकाकर्ता ने शिकायत की है कि इस सहकारी संस्था से शेखावत, उनकी पत्नी और दूसरे लोगों की कंपनियों को पैसे दिए गए हैं। इस सहकारी संस्था की स्थापना 2008 में की गई थी। यह जमा पैसे पर ऊंची दर पर ब्याज देता था। पर अब आरोप लग रहा है कि लोगों ने नकली क़र्ज़ों के माध्यम से इस संस्था से करोड़ों रुपए निकाल लिए।

जयपुर की अदालत का यह आदेश ऐसे समय आया है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कहा कि शेखावत और बीजेपी के दूसरे नेता राजस्थान सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। वे इसके लिए विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त में लगे हुए हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत पर कांग्रेस ने अशोक गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश में शामिल होने का आरोप भी लगाया है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने पहले ही ऑडियो क्लिप की जांच के संबंध में केन्द्रीय मंत्री को एक नोटिस भेजा है, जिसमें कुछ कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर सरकार गिराने का आरोप है।

संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के निवेशकों की शिकायतों के बाद पिछले साल घोटाले का खुलासा हुआ था। सोसायटी के फाउंडर और एमडी विक्रम सिंह को एसओजी ने गिरफ्तार किया था। शेखावत और विक्रम सिंह प्रॉपर्टी के बिजनेस में पार्टनर रहे थे। हालांकि, घोटाला सामने आने से काफी पहले ही दोनों अलग हो गए थे। लेकिन शिकायत करने वालों का आरोप है कि संजीवनी क्रेडिट सोसायटी की बड़ी रकम शेखावत और उनके परिवार की कंपनियों में ट्रांसफर की गई।

संजीवनी क्रेडिट सोसायटी घोटाले में एसओजी ने 23 अगस्त 2019 को एफआईआर दर्ज की थी। शेखावत का नाम चार्जशीट में नहीं था। बाद में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी शेखावत का नाम चार्जशीट में जोड़ने की अर्जी खारिज कर दी। उसके बाद याचिका लगाने वाला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहुंचा था।

सोसायटी ने राजस्थान में 211 और गुजरात में 26 शाखाओं के जरिए बड़े मुनाफे का लालच देकर करीब 1,46,991 निवेशकों से रकम जुटाई। एसओजी की जांच में पता चला कि सोसायटी के खाते में फर्जीवाड़ा कर 55,000 लोगों को करीब 1,100 करोड़ रुपए के कर्ज देना दिखा दिया।

बाड़मेर निवासी गुमान सिंह व लाबू सिंह ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर गुहार लगाई थी कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी में 884 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। सोसायटी में गुमान सिंह ने 14 लाख व लाबू सिंह ने 54 लाख रुपये का निवेश कर रखा था। सोसायटी से बड़ी राशि गजेंद्र सिंह शेखावत व उनके परिजनों के अलावा राजेन्द्र बाहेती व केवचंद डाकलिया की कंपनियों में हस्तांतरित की गई। इसके बावजूद एसओजी ने इन लोगों से जुड़ी कंपनियों ल्यूसिड फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, नवप्रभा बिल्टेक प्राइवेट लिमिटेड, जन कंस्ट्रक्शन व अरिहन्त ट्रियेटर में निवेश की गई राशि की जांच नहीं की। सोसायटी के संचालक विक्रम सिंह से शेखावत, बाहेती व डाकलिया के घनिष्ठ संबंध थे। इस कारण सोसायटी से बड़ा पैसा इन कंपनियों में लगाया गया। इस पैसे से इन लोगों ने जोधपुर व इथोपिया में कई प्रॉपर्टी खरीदी। यह बात अनुसंधान में सामने आने के बावजूद जांच एजेंसी ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

गुमान सिंह व लाबू सिंह की ओर से कोर्ट में एक चार्ट प्रस्तुत कर बताया गया कि शेखावत की कंपनी के खातों में किस प्रकार पैसा हस्तांतरित हुआ। इसके बावजूद एसओजी ने न तो इन कंपनियों से जुड़े लोगों से पूछताछ की और न ही इनकी संपत्ति को जब्त किया। वहीं, सोसायटी के प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह सहित कुछ अन्य को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया जा चुका है। जबकि अन्य के विरुद्ध जांच को लंबित रखा गया। गुमान सिंह व लाबू सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए पवन कुमार ने जांच एजेंसी को शेखावत सहित अन्य लोगों के खिलाफ भी जांच करने के आदेश दिए।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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