Friday, April 19, 2024

कैप्टन का इस्तीफा, भाजपा उन्हें लपकने की फिराक़ में

चार महीने बाद देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है उसमें एक राज्य पंजाब भी है, जहां कांग्रेस की सरकार है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कल अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसे ‘सॉरी’ कहते हुये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्वीकार कर लिया। अब आज नये मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होना है। जिसके लिये कैप्टन अमरिंदर सिंह के क़रीबी सुनील जाखड़ का नाम सबसे आगे है। बता दें कि सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और साल 2012 से 2017 तक पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष रहे हैं। उनके अलावा सुखजिंदर रंधावा और अंबिका सोनी का नाम आ रहा है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही 48 विधायकों ने कथित तौर पर पार्टी आलाकमान को पत्र लिखकर कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मांग की थी। उसके बाद से ही उनके इस्तीफे कि अफवाहें आने लगी थीं। इन्हीं सब घटनाक्रम के चलते कल पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई थी। लेकिन कांग्रेस की मीटिंग से पहले ही अमरिंदर सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे से पहले कैप्टन ने अपने करीबियों की एक मीटिंग बुलाई थी, जिसमें मंत्रियों समेत 16 विधायक मौजूद थे। जो मंत्री-विधायक कैप्टन संग मीटिंग में पहुंचे थे, वे सब भी 5 बजे होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए पंजाब कांग्रेस भवन निकल गए थे।

इससे पहले 18 सितंबर शुक्रवार की सुबह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन करके AICC द्वारा बिना उन्हें विश्वास में लिए कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाये जाने पर एतराज़ दर्ज़ कराते हुये कहा था कि अगर इसी तरह से पार्टी में उन्हें दरकिनार किया जाता रहा तो वो मुख्यमंत्री बने रहने के इच्छुक नहीं हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे को अलग अलग तरीके से देखा समझा जा रहा है। कोई इसे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी युग की शुरुआत के तौर पर देख रहा है कोई इसे आगामी चुनाव के मद्देनज़र उठाया गया कदम बता रहा है।  

मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार सुनील जाखड़ ने कैप्टन के इस्तीफे के बाद प्रतिक्रिया में राहुल गांधी की चरण वंदना करते हुये ट्वीट कर कहा – “श्री राहुल गांधी की जय, गॉर्डियन गांठ के इस पंजाबी संस्करण के लिए अलेक्जेंड्रिया समाधान अपनाने के लिये। हैरानी की बात ये है कि पंजाब कांग्रेस के विवाद को सुलझाने के इस साहसिक फैसले ने न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोमांचित किया है, बल्कि अकालियों की रीढ़ में भी कंपकपी पैदा कर दी है।”

कैप्टन ने जाहिर की नाराज़गी

राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इस्तीफा सौंपने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुलकर कांग्रेस आलाकमान से अपनी नाराज़गी जाहिर की। उनकी बातों से स्पष्ट हो जाता है कि पंजाब में सत्ता के दो केंद्र बन गये थे और मुख्यमंत्री अलग थलग पड़ गये थे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि आज सुबह ही इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था। उन्होंने आगे कहा कि –“पिछले कुछ महीनों में तीसरी बार ये हो रहा है कि विधायकों को दिल्ली में बुलाया गया। मैं समझता हूं कि अगर मेरे ऊपर कोई संदेह है, मैं सरकार चला नहीं सका, जिस तरीके से बात हुई है मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं।”

जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि अब अगला मुख्यमंत्री कौन होगा तो उन्होंने अवसाद भरे स्वर में कहा कि –“मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें जिस पर विश्वास है, उसे मुख्यमंत्री बनायें।” 

अपने राजनीतिक विकल्पों पर उन्होंने कहा है कि –“आलाकमान जिसको चाहे सीएम बनाए, लेकिन मैं नए सीएम को कबूल नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि भविष्य की राजनीति के लिए मैं अपने साथियों से बात करूंगा। मैं अभी कांग्रेस में हूं, लेकिन मेरे रास्ते खुले हैं। सभी विकल्पों पर विचार करूंगा। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ माहौल खड़ा करके उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से विदा कराने में बड़ी भूमिका निभाने वाले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बाबत उन्होंने दावा किया कि अगर सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो वह पंजाब का बेड़ागर्क कर देंगे। सिद्धू के पाकिस्तान के साथ गहरे संबंध हैं। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री सिद्धू का दोस्त है। जनरल बाजवा के साथ भी सिद्धू की दोस्ती है”।

अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए नवजोत सिंह सिद्धू के नाम की संभावना का विरोध करते हुये कहा कि जो एक मंत्रालय ठीक से नहीं चला सके, वो भला राज्य क्या चलाएंगे। अगर सिद्धू को सीएम बनाया जाता है तो वह राज्‍य का बेड़ागर्क कर देंगे। कैप्‍टन ने खुलकर नवजोत सिंह सिद्धू का विरोध करते हुये कहा है कि –“ये कांग्रेस पार्टी का फैसला है। अगर वे उसे (नवजोत सिंह सिद्धू) पंजाब मुख्यमंत्री का चेहरा बनाते हैं तो मैं इसका विरोध करूंगा क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है।”

उन्होंने आगे कहा कि –“सिद्धू से देश को ख़तरा है। मैं जानता हूं कि पाकिस्तान के साथ कैसे इसका (नवजोत सिंह सिद्धू) संबंध है। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री इसका दोस्त है। जनरल बाजवा के साथ इसकी दोस्ती है। सिद्धू कुछ नहीं संभाल सकता, मैं उसे अच्छी तरह जानता हूं। वो पंजाब के लिए भयानक होने वाला है।”

राजशाही का अंत

मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने वाले कांग्रेसी विभीषण ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से विदाई के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे को कांग्रेस के जनपक्षधर होने से जोड़कर देखा जा रहा है।

कांग्रेस आलाकमान से कैप्टन के ख़िलाफ़ जो शिक़ायतें कांग्रेस विधायकों द्वारा भेजी गयी थी उनमें सबसे बड़ी शिकायतों में से एक थी कि उन तक पहुंच पाना मुश्किल है। पार्टी विधायकों की अक्सर शिकायत रही कि कैप्टन ने उनके अनुरोधों और याचिकाओं पर कार्रवाई नहीं की और ज्यादातर समय नौकरशाहों पर भरोसा करते थे। गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ज्यादातर समय मोहाली के पास अपने फार्महाउस से ही काम-काज संचालित करते थे और उन्हें शायद ही कभी विधायकों से मिलते या जनता तक पहुंचते देखा गया।

नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस ने पिछले कुछ महीनों में कई राज्यों में राज्य ईकाई के अध्यक्षों को बदला है। तेलंगाना में रेवंत रेड्डी, महाराष्ट्र में नाना पटोले और केरल में के सुधाकरन जैसे बेहद सक्रिय और लोकप्रिय नेताओं को पीसीसी चीफ बनाया है। पंजाब में भी जून में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस चीफ बनाया गया। लेकिन सिद्धू और अमरिंदर की आपस में नहीं बनी जिसके बाद कैप्टन को इस्तीफा देना पड़ा।

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने के बाद कोई महत्व का पद न मिलने के बाद वह एक समय कांग्रेस छोड़ने का मन बना चुके थे। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दिलासा 2019 में मंत्री पद छोड़ने के बाद से ही दिया जा रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह इस तरह की चर्चाओं में वीटो करते आए हैं। अमरिंदर की दलील ये रही है कि सिद्धू 2017 में ही तो पार्टी में शामिल हुए हैं अभी नये हैं इसलिए किसी सीनियर नेता को पार्टी की कमान देनी चाहिए। उनका दूसरा तर्क यह था कि मुख्यमंत्री सिख है तो पार्टी अध्यक्ष गैर-सिख होना चाहिए।

लेकिन 23 जुलाई को नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गयी। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के धुर विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू ने तीन मंत्रियों की माझा ब्रिगेड – तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखबिंदर सरकारिया और सुखजिंदर रंधावा को कैप्टन के ख़िलाफ़ खड़ा किया और कई मौकों पर, उन्होंने आलाकमान को पत्र भेजे और यहां तक कि सोनिया गांधी के साथ बैठक की मांग भी की। फिर पंजाब में कांग्रेस के 80 में से 40 विधायकों ने आलाकमान को पत्र लिखकर विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की। जिसके बाद अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा।

भाजपा डाल रही कैप्टन पर डोरे

मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के भाजपा में जाने के भी कयास लगाये जा रहे हैं। हालांकि वो कयास भर हैं। जाहिर है नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने के दर्द से बिलबिलायी भाजपा कैप्टन को अपने पाले में लाने के लिये कोशिश कर सकती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया से लेकर गोदी मीडिया तक में कैप्टन पर नरेंद्र मोदी का तीन साल पहले एक बयान दोहराया जा रहा है।  

दरअसल त्रिपुरा के चुनाव परिणाम आने के बाद दिए गए अपने संबोधन में 3 मार्च 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पंजाब में, कांग्रेस अपने मुख्यमंत्री को भी अपना नहीं मानती है। वह (कैप्टन अमरिंदर) एक आजाद सिपाही की तरह मार्च करते हैं। मोदी ने आगे कहा था कि देश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री गिनती के ही बचे हैं। तब समाचार एजेंसी एएनआई ने इस बयान को ट्वीट किया था।

तब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी की इस बात पर कड़ा एतराज जताते हुये ट्वीट कर जवाब में कहा था कि नरेंद्र मोदी जी आपसे यह बात किसने बताई? मैंने तो बिल्कुल ही नहीं बताई। फिर क्या कांग्रेस हाईकमान ने आपसे मेरी शिकायत की है? उन्होंने आगे लिखा था कि आपके इस तरह के बयान मेरे और कांग्रेस पार्टी के बीच मतभेद नहीं पैदा कर पाएंगे। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी नेतृत्व में पूरी आस्था जताई थी। 

फिलहाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा में जाने की संभावना से इनकार नहीं किया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके व्यक्तिगत संबंध काफी मधुर हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर वह अक्सर पार्टी लाइन से इतर केंद्र सरकार का समर्थन कर चुके हैं। इससे पहले साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जब उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा था और उन्हें पंजाब कांग्रेस की कमान नहीं दी जा रही थी तो उन्होंने भाजपा के साथ जाने का मन बना लिया था। यह बात खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार पहले कह चुके हैं।

वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता ज़फ़र इस्लाम ने एक टीवी चैनल पर कहा है कि –“जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाया गया और अपमानित किया गया, वह जनता देख रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह देश भक्त हैं। आप इतिहास उठाकर देख लीजिए जब भी देश के लिए खड़ा होने की ज़रूरत हुई वह राहुल गांधी के ख़िलाफ़ जाकर भी देश के साथ खड़े रहे।

ज़फ़र इस्लाम ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश के खिलाफ़ बयान देते हैं, जबकि अमरिंदर देशहित में बात करते हैं। कैप्टन कांग्रेस के कुछ उन नेताओं में शामिल हैं, जो देश हित में खड़े रहते हैं। राहुल गांधी के बयान का पाकिस्तान ने यूएन में इस्तेमाल किया, लेकिन अमरिंदर का बयान पाकिस्तान के ख़िलाफ़ था। वह सेना में अधिकारी थे, जानते हैं कि देश हित से ऊपर कुछ नहीं है। सिद्धू पाकिस्तान में बाजवा को जाकर गले लगाते हैं, उन्हें यहां तरजीह दी जाती है, लेकिन कैप्टन को अपमानित किया जाता है।  भाजपा प्रवक्ता ज़फ़र इस्लाम ने कहा है कि जो लोग देशभक्त हैं और देशहित में काम कर रहे हैं उनका हम स्वागत करते हैं। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।

Related Articles

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।