नई दिल्ली। एक साल बाद लोकसभा चुनाव होने को है। कांग्रेस समेत कई दल लंबे समय से विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश में हैं। कांग्रेस और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को सत्ताधारी भाजपा का मुकाबला करने के लिए सभी भाजपा विरोधी दलों को एक साथ लाने के लिए पहला कदम उठाया। विपक्षी एकता की राह बाधाओं से भरी हुई है, लेकिन दोनों पक्षों ने अधिक से अधिक दलों को एक साथ लाने का प्रयास करने का संकल्प लिया।
नीतीश कुमार और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से उनके 10, राजाजी मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान चर्चा का मुख्य बिंदु भाजपा का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने के इर्द-गिर्द घूमती रही।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और नीतीश कुमार ने बैठक को “ऐतिहासिक” बताया। इस दौरान विपक्षी एकता में बाधा के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। दरअसल, जमीनी स्तर पर, कई विपक्षी दल एक-दूसरे के खिलाफ रहते हैं। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना इसके प्रमुख उदाहरण हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी के सामने सीपीएम और कांग्रेस है, तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं। तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं।
लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में सारे क्षेत्रीय दल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से गठबंधन बनाकर 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं। कुछ समय पहले तक 2024 लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने की घोषणा करने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष ममता बनर्जी भी मोदी की तानाशाही के विरोध में एक होने की अपील कर रही हैं।
दूसरी तरफ कुछ पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रही हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और ममता बनर्जी के बीच पिछले महीने हुई बैठक के बाद, सपा और तृणमूल कांग्रेस ने संकेत दिया कि वे कांग्रेस के नेतृत्व वाले किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के साथ अच्छे समीकरण साझा नहीं करने वाले कुछ दलों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक गैर-कांग्रेसी नेता को विपक्षी मोर्चे के अध्यक्ष या संयोजक के रूप में नियुक्त करने जैसे विचारों पर बात की जा रही थी।
मुलाकात के बाद राहुल, नीतीश कुमार और तेजस्वी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा, “हमारी ऐतिहासिक मुलाकात हुई और हमने कई चीजों पर चर्चा की। हम सभी ने तय किया है कि आने वाले चुनाव में सभी पार्टियों को साथ लेकर एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए। वह हमारा फैसला था। हम उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे… हम सब उस लाइन पर काम करेंगे।”
खड़गे के सुर में सुर मिलाते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि देश भर में अधिक से अधिक पार्टियों को एक साथ लाने का प्रयास किया जाएगा। “हम प्रयास करेंगे। (यदि) सभी सहमत हैं, हम एक साथ बैठेंगे, हम एक साथ आगे बढ़ेंगे। यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने (कांग्रेस) कुछ लोगों से इन मुद्दों पर बात की है। हम भी बात कर रहे हैं। आज की चर्चा के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। और जितने लोग सहमत होंगे हम सब लोग बैठक करके आपस में आगे का निर्णय तय करेंगे”।
यह पूछे जाने पर कि कितनी पार्टियां एक साथ आ रही हैं। नीतीश कुमार ने कहा, “जिस दिन हम मिलेंगे, आपको पता चल जाएगा। बड़ी संख्या में पार्टियां एक साथ आ रही हैं।”
राहुल गांधी ने कहा कि यह बैठक विपक्ष को एकजुट करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। “आपने पूछा कि कितनी पार्टियों को एक साथ लाया जाएगा, देखिए यह एक प्रक्रिया है। हम देश के लिए विपक्ष का विजन तैयार करेंगे और जो भी पार्टियां हमारे साथ आएंगी हम उन्हें साथ लेकर चलेंगे। देश एक वैचारिक लड़ाई देख रहा है। और हम वह लड़ाई लड़ेंगे। संस्थानों पर हमले, देश पर हमले, हम उन हमलों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होंगे”।
फरवरी में, नीतीश ने कहा था कि वह सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की दिशा में काम करने के लिए कांग्रेस के संकेत की प्रतीक्षा कर रहे हैं और कांग्रेस ने यह कहकर जवाब दिया कि वह अपनी “भूमिका” को अच्छी तरह से जानती है और तर्क दिया कि विपक्षी एकता न तो संभव होगी और न ही सफल होगी।
(जनचौक के राजनीतिक संपादक प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)