भारत में बने कफ सिरप को पीने से गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत: सीडीसी रिपोर्ट

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गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत के लिए सीडीसी ने भारत में बने कफ सिरप को जिम्मेदार माना है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) और गांबियाई स्वास्थ्य अधिकारियों की एक संयुक्त जांच में ये कफ सिरप मानकों पर खरे नहीं उतरे। सीडीसी का कहना है कि भारत में बने कथित रूप से दूषित कफ सिरप को पीने से गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई है।

अक्टूबर में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक अलर्ट जारी किया था जिसमें कहा गया था कि भारत स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा गाम्बिया को सप्लाई की जा रही चार खांसी की दवाईयां घटिया गुणवत्ता वाली थीं और दावा किया कि वह दवाई गाम्बिया में कई बच्चों की मौत से जुड़ी थी।

सीडीसी ने 3 मार्च को एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया है कि, “इस जांच से पता चलता है कि डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) से दूषित दवाएं गाम्बिया में आयात की गईं, जिससे बच्चों में एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) क्लस्टर हो गया।”

ऐसे मरीजों में बदली हुई मानसिक स्थिति, सिरदर्द और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के लक्षण देखने को मिलते हैं। इन लक्ष्णों में सबसे खतरनाक ओलिगुरिया (कम मूत्र उत्पादन) है जिसमें किडनियां 1 से 3 दिनों के भीतर काम करना बंद कर देती हैं, क्योंकि इस दौरान सीरम क्रिएटिनिन औऱ ब्लड यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है।

सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त, 2022 में गाम्बिया के स्वास्थ्य मंत्रालय (एमओएच) ने इस बीमारी की पहचान करने और सहायता के लिए संपर्क किया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले डीईजी प्रकोपों में, निर्माताओं को डीईजी को अधिक महंगे, फार्मास्युटिकल-ग्रेड सॉल्वैंट्स के स्थान पर प्रतिस्थापित करने का संदेह था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात के लिए दवाएं घरेलू उपयोग की तुलना में कम कठोर नियामक मानकों के अधीन हो सकती हैं। “इसके साथ ही, कम संसाधन वाले देशों के पास आयातित दवाओं की निगरानी और परीक्षण के लिए मानव और वित्तीय संसाधन नहीं हो सकते हैं।”

वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने 3 फरवरी को लोकसभा में दिए अपने जवाब में कहा था कि जांच के बाद खांसी की दवाईयों के नमूने मानक गुणवत्ता वाले पाए गए हैं। पवार ने कहा था कि डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) दोनों के लिए नमूने नकारात्मक पाए गए थे। बता दें कि गाम्बिया में पिछले साल कथित रूप से भारत में बने कफ सिरप को पीने से गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत हो गई थी।

वहीं, महाराष्ट्र में कफ सिरप बनाने वाली 6 कंपनियों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने विधान सभा को बताया है कि नियमों के उल्लंघन के कारण इन कंपनियों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री संजय राठौड़ ने शुक्रवार को विधानसभा में इस बात की जानकारी दी।

उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित एक फर्म द्वारा बनाई गई खांसी की दवाई पर पिछले साल उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत का आरोप लगाया गया था। मामले में नोएडा पुलिस ने फर्म के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है।

संजय राठौड़ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कफ सिरप के 108 निर्माताओं में से 84 के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। उनमें से चार को उत्पादन बंद करने के निर्देश दिये गये हैं, जबकि छह कंपनियों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं। नियमों के उल्लंघन के लिए 17 फर्मों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। संजय राठौड़ ने कहा कि जिस कंपनी पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लग रहा था, वह हरियाणा में स्थित थीं और उसकी महाराष्ट्र में उसकी कोई ब्रांच भी नहीं थी।

(कुमुद प्रसाद जनचौक में कॉपी एडिटर हैं।)

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