नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आजादी के 74वीं सालगिरह की लोगों को बधाई देते हुए सरकार पर कुछ सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत मां की सरज़मी की रक्षा व चीनी घुसपैठ को विफल करना उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि आज हर देशवासी को अंतरात्मा में झांक कर यह सोचने की आवश्यकता है कि आज़ादी के क्या मायने हैं?
शुभकामना संदेश में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि “हमारे भारतवर्ष की ख्याति विश्व भर में न सिर्फ प्रजातांत्रिक मूल्यों और विभिन्न भाषा, धर्म, संप्रदाय के बहुलतावाद की वजह से है, अपितु भारत प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना एकजुटता के साथ करने के लिए भी जाना जाता है”।
उन्होंने कहा कि “आज जब समूचा विश्व कोरोना महामारी की महाविभीषिका से जूझ रहा है, तब भारत को एकजुट होकर इस महामारी को परास्त करने के प्रतिमान स्थापित करने होंगे और मैं पूरे आत्मविश्वास से कह सकती हूँ कि हम सब मिलकर इस महामारी व गंभीर आर्थिक संकट की दशा से बाहर आ जाएंगे”।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि “हमने बीते 74 वर्षों की स्वाधीनता में अपने प्रजातांत्रिक मूल्यों को समय-समय पर परीक्षा की कसौटी पर परखा है और उसे निरन्तर परिपक्व किया है। आज ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था, संविधान मूल्यों व स्थापित परम्पराओं के विपरीत खड़ी है। भारतीय लोकतंत्र के लिए भी ये परीक्षा की घड़ी है”।
इस मौके पर उन्होंने सरकार पर सवाल भी उठाया। उन्होंने कहा कि “आज कर्नल संतोष बाबू व हमारे 20 जवानों की गलवान वैली में वीरगति को भी साठ दिन बीत चुके हैं। मैं उनको भी याद कर उनकी वीरता को नमन करती हूँ व सरकार से आग्रह करती हूँ की उनकी वीरता का स्मरण करे व उचित सम्मान दे। भारत माँ की सरज़मी की रक्षा व चीनी घुसपैठ को विफल करना उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी”।
उन्होंने कहा कि आज हर देशवासी को अंतरात्मा में झाँक कर यह सोचने की आवश्यकता है कि आज़ादी के क्या मायने हैं? क्या आज देश में लिखने, बोलने, सवाल पूछने, असहमत होने, विचार रखने, जवाबदेही माँगने की आज़ादी है? एक ज़िम्मेदार विपक्ष होने के नाते ये हमारा उत्तरदायित्व है कि हम भारत की प्रजातांत्रिक स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाये रखने का हर संभव प्रयत्न व संघर्ष करें।
This post was last modified on August 15, 2020 10:59 pm