Sunday, April 28, 2024

पंजाब में आई बाढ़ का फायदा उठा रहे नशे के सौदागर

चंडीगढ़। नशों को पंजाब का ‘छटा दरिया’ भी कहा जाता है। तकरीबन पिछले दो महीनों से सूबे के दरिया बाढ़ के पानी से बेतहाशा बजबजा रहे हैं तो ‘छटा दरिया’ भी पूरे उफान पर है। तस्कर आई हुई बाढ़ का पूरा फायदा उठा रहे हैं। बाढ़ ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स  (बीएसएफ), पंजाब पुलिस तथा नशों की तस्करी रोकने के लिए सक्रिय एजेंसियों की पक्की मोर्चाबंदी ढहा दी है। भारत ही नहीं पाकिस्तान की और से भी। फिर भी बीएसएफ और उसकी कमान में अन्य एजेंसियां तस्करों के मंसूबे नाकामयाब कर रही हैं। 

पानी बेतहाशा चढ़ने की वजह से नशा तस्कर रावी और सतलुज के जरिए अपना धंधा तेज करने करने की कवायद में रहे। लेकिन बीएसएफ और पंजाब पुलिस ने उन्हें कदम-कदम पर मात दी। एक आला पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाढ़ के दौरान राज्य पुलिस और बीएसएफ के साझे ऑपरेशनों के तहत रावी और सतलुज से जून के पहले हफ्ते से 23 अगस्त तक दो क्विंटल से ज्यादा हेरोइन बरामद की गई।

पाकिस्तानी पंजाब के तस्करों का गठबंधन भारतीय पंजाब के स्मग्लरों से है। पुलिस और बीएसएफ की कई बड़े भेड़ें भी उनके साथ कार्यरत हैं। जब से बाढ़ आई है, तब से दोनों तरफ के तस्कर अतिरिक्त सक्रिय हो गए हैं। हेरोइन और अन्य नशे भेजने के लिए वे उन गोताखोरों की मदद ले रहे हैं जो भारतीय पंजाब से बहकर उधर चले गए। हालांकि गोताखोरों के साथ अब बीएसएफ की टीम भी जाने लगी है। 

बीएसएफ के मुताबिक 17 अगस्त को 8 किलो हेरोइन, 11 अगस्त को 5 किलो, 10 अगस्त को 12 किलो, 6 अगस्त को 78 किलो हेरोइन और पिस्तौल बरामद किए गए। इसी मानिंद 5 अगस्त को 4 किलो, 3 अगस्त को 6 किलो हीरोइन और 15 लाख रुपये की ड्रग मनी पकड़ी गई। सरहदी जिले अमृतसर में 21 अगस्त को 30 किलो और 23 अगस्त को 42 किलो हेरोइन अलग से बरामद की गई।

गौरतलब है कि पिछले साल इसी अवधि में, यानी जून के पहले हफ्ते से लेकर 21 अगस्त तक लगभग 40 किलो हेरोइन बरामद की गई। जबकि इस साल यह बरामदगी 2 क्विंटल तक की गई है। इस साल 1 जनवरी से 31 जनवरी तक 44 किलो हेरोइन पकड़ी गई। ड्रोन के जरिए हेरोइन, हथियार और नकली करेंसी भी फेंकी जा रही है। पूरी तरह कवर करके। गोपनीयता का हवाला देकर कोई भी अफसर अपना नाम नहीं देना चाहता। बीएसएफ और पंजाब पुलिस के कुछ कर्मियों पर नशा तस्करों का सहयोगी होने के आरोप लगते रहे हैं।

ताजा आंकड़े साफ बताते हैं कि लोग और पशु बाढ़ से मर रहे हैं लेकिन तस्करों के लिए यह विपदा सुनहरा मौका है। गिरफ्तारियां से सुराग मिले हैं कि बड़ी तादाद में नशों की खेप भारतीय पंजाब आ रही है। बाढ़ की वजह से सीमा पर कई जगह कंड्याली और करंट वाली तार उखड़ गई है या तहस-नहस हो गई है। इस मामले में पुलिस ने लगभग बीस से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है।

मुलजिमों ने बाकायदा स्वीकार किया है कि बाढ़ के दौरान नशों की खेप को सरहद पर पहुंचाने वालों को कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपये तक पारिश्रमिक मिल रहा है जबकि पहले 50 से 75 हजार रुपये प्रति किलो मिलते थे। इंटेलिजेंस के बड़े अधिकारी ने बताया कि वक्त के मुताबिक नशों के सौदागर नए-नए पैंतरे इस्तेमाल करते हैं। अब बाढ़ उनके लिए बड़ा मौका है। बीएसएफ और अन्य एजेंसियां जल्द ही पानी के भीतर हो रहे इस काले धंधे पर पूरी तरह से नकेल डाल लेंगी।

प्रसंगवश, मानवीय पहलू से यह सवाल है कि जिन इलाकों में लोगों को रोटी तक नसीब नहीं हो रही; वहां तक मौत का यह सामान कैसे पहुंच रहा है। बाढ़ की वजह से रावी और सतलुज घातक नशों के टापू बने हुए हैं। राज्य के तमाम सरहदी जिले इस वक्त बाढ़ की जबरदस्त चपेट में हैं। लोगों और पशुओं की जान खतरे में है। मानसून की तीसरी बारिश के लिए येलो अलर्ट जारी हो चुका है। हिमाचल प्रदेश में भी हालत बिगड़ रहे हैं और कभी भी अब तक आईं प्राकृतिक आपदाओं में से सबसे भयंकर आपदा आ सकती है।

ऐसे में भी तस्कर इसे अपने लिए मुफीद मौका मान रहे हैं। लगता है, न ‘उड़ता पंजाब’ उड़ना बंद होगा और न नशों का ‘छठा दरिया’ सूखेगा। ऐसा हो, इसलिए इंकलाब का नारा लगाने वाले पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी को लोगों ने वोट दिए थे लेकिन…? यह सवाल भी प्रासंगिक है कि नशे के सौदागरों के आगे पूरी व्यवस्था कैसे असफल है?

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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