नई दिल्ली। कर्नाटक में बीजेपी को झटके पर झटके लग रहे हैं। कई वरिष्ठ नेताओं के बगावती सुर के बाद अब बारी सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता लक्ष्मण सावदी की है। विधानसभा का टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दिया है और अब वह कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं। वह अथानी विधानसभा से टिकट चाहते थे। इसके पहले आज दिन में उनकी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सूबे के कद्दावर नेता डीके शिवकुमार से सिद्धरमैया के बंगलुरू स्थित आवास पर मुलाकात हुई। बैठक के बाद शिवकुमार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि “कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी आज कांग्रेस में शामिल होंगे।” मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने उनके इस फैसले पर दुख जाहिर किया है।
इसी तरह से टिकट न मिल पाने पर गूलीहट्टी शेखर ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। वह होसादुर्गा से विधायक थे और उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा के स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी को सौंपा है। शेखर ने कहा कि वह अपना अगला कदम आज किसी समय घोषित करेंगे।
इस बीच टिकट न पाने से नाराज उडुपी के विधायक रघुपति भट आखिर मान गए हैं और अपनी सीट से बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए तैयार हो गए हैं।
इससे बीजेपी को ज़रूर थोड़ी राहत की सांस मिली है। लेकिन केएस ईश्वरप्पा और जगदीश शेट्टार के तेवर अभी भी गरम हैं और वो किस करवट बैठेंगे इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है। शेट्टार ने तो बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। आपको बात दें कि दोनों का टिकट इस बार बीजेपी ने काट दिया है।
मामला सिर्फ इस्तीफे और दल-बदल तक ही सीमित नहीं है पार्टी के भीतर अब आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो गया है। हावेरी के विधायक नेहारू ने टिकट न पाने पर अपना पूरा गुस्सा मौजूदा मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई पर निकाला। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारों का पर्दाफाश कर देंगे। हालांकि भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें दो साल की सजा मिल चुकी है। बताया जा रहा है कि उन्होंने सरकारी फंड को अपने बेटे के खाते में डायवर्ट कर दिया था।
सिद्धरमैया ने सावदी के मसले पर कहा कि बीजेपी को उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। उनकी केवल एक शर्त है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। यह 100 फीसदी सच है कि उन्हें अथानी सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि वह अपनी विधानसभा सीट जीतेंगे।
उधर एक प्रगति और हुई, पूर्व एमएलसी और कांग्रेस नेता रघु आचार ने जेडीएस की सदस्यता ग्रहण कर ली है। उन्होंने यह काम पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की मौजूदगी में किया।
एनसीपी ने कर्नाटक चुनाव में हस्तक्षेप करने का फैसला किया है और बताया जा रहा है कि वह अपने 40-50 प्रत्याशी उतारेगी। इस सिलसिले में पवार ने शनिवार को मुंबई में एक बैठक बुलाई है। दिलचस्प बात यह है कि पवार ने यह ऐलान विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ हुई अपनी बैठक के बाद किया है।
हालांकि इन तमाम झटकों के बावजूद बीजेपी नेता ऐसा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ा है और इससे बीजेपी को कोई नुकसान भी होने नहीं जा रहा है। कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सीएन अश्वथनरायन ने कहा कि प्रत्याशियों को लेकर बीजेपी को कोई चिंता नहीं है।
बीजेपी प्रत्याशियों की सूची बताती है कि वह पुराने नेताओं से अब छुटकारा पाना चाहती है और नये खून को पार्टी में जगह देना चाहती है। इसके साथ ही येदियुरप्पा के प्रभुत्व को भी खत्म करने की भरसक कोशिश की गयी है हालांकि हाईकमान इसमें पूरी तरह से कामयाब नहीं हुआ। क्योंकि येदियुरप्पा के बेटे बिजयेंद्र को उसे उनकी परंपरागत सीट से टिकट देना पड़ा है जिसके लिए पार्टी तैयार नहीं थी। बताया जा रहा है कि 9 बुजुर्ग विधायकों का टिकट काटकर उनकी जगह युवाओं को मैदान में उतारा जा रहा है। केएस ईश्वरप्पा और जगदीश शेट्टार इसके बड़े शिकार हैं। इसमें एस अंगारा का भी एक नाम हैं जिन्हें पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया।
बीजेपी की जारी मौजूदा अंदरूनी गतिविधियों को अपना निशाना बनाते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि बीजेपी ने पूरी तरह से कर्नाटक में अपना नियंत्रण खो दिया है। उनका कहना था कि उसे आने वाले चुनाव में जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी सुरजेवाला ने बताया कि बाकी बचे प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कांग्रेस जल्द ही कर देगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी से अपमानित होने के बाद ढेर सारे नेता कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके मौजूदा विधायकों का अपमान हो रहा है। उनका कहना था कि 40 परसेंट कमीशन वाली सरकार के पास अब 40 फीसदी बागी विधायक हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी कहा करते थे कि वो देश में वंशवादी राजनीति के खिलाफ हैं। जबकि उन्होंने 20 से ज्यादा राजनीतिक परिवारों को टिकट दिया है।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)