Saturday, April 20, 2024

कार्टून हेमंत का, दर्द रामदेव के चेले को

मध्य प्रदेश के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के खिलाफ हरिद्वार के कनखल थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। आरोप यह है कि उन्होंने एक कार्टून में स्वामी रामदेव का अपमान किया है। यह मुकदमा स्वामी रामदेव के एक तथाकथित शिष्य रमन पंवार की ओर से दर्ज करवाया गया है। पुलिस को दी गई शिकायत में रमन पंवार ने कहा है कि वे स्वामी रामदेव को अपना गुरु मानते हैं और इस कार्टून से स्वामी जी की छवि खराब हुई है। साथ ही उनकी यानी रमन पंवार की भावनाएं आहत हुई हैं। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के साथ ही इस मुकदमे में देहरादून के एक स्वतंत्र पत्रकार गजेन्द्र रावत को भी नामजद किया गया है। आरोप है कि उन्होंने यह कार्टून साझा किया था।

जिस कार्टून को लेकर यह मुकदमा दर्ज किया गया है, वह शाहरुख खान की फिल्म पठान को लेकर उपजे विवाद पर तंज है। कार्टून में भगवा कपड़े पहने काली लंबी दाढ़ी वाला एक चरित्र, कुर्ता-पायजामा पहने सफेद दाढ़ी वाले चरित्र के साथ ठीक उसी तरह से रोमांस करता हुआ प्रतीत हो रहा है, जिस तरह से पठान फिल्म के बेशर्म रंग गाने में नायक-नायिका करते नजर आ रहे हैं।

हालांकि सोशल मीडिया पर कार्टूनिस्ट ने यह कार्टून साझा करते हुए डिस्क्लेमर भी लिखा है, जिसमें कहा गया है कि इस कार्टून के पात्र काल्पनिक हैं। इनका हालिया मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बावजूद यह मान लिया गया कि कार्टून में दिखाया गया एक चरित्र बाबा रामदेव है और वह किसी सफेद दाढ़ी वाले व्यक्ति के साथ रोमांस कर रहा है। कार्टून का शीर्षक है- बेशर्म संग।

शिकायत में लिखी गई भाषा को पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह एक सोची-समझी चाल के तहत ही किया गया है। स्वामी रामदेव को महान व्यक्तित्व बताते हुए कहा गया है कि शिकायतकर्ता परम पूज्य स्वामी रामदेव जी में अनन्य विश्वास रखता है। वे एक महान व्यक्तित्व और महापुरुष हैं। उन्होंने देश-विदेश में योग एवं आयुर्वेद को विशेष पहचान दिलाई है। उनके द्वारा किये गये कार्य को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेश में एक सम्मान की नजर से देखा जाता है। स्वामी रामदेव जी द्वारा सिखाये गये योग व आयुर्वेद से लाखों करोड़ों लोगों का जीवन बदला है। ऐसी ही कई अन्य बातें इस शिकायती पत्र में लिखी गई हैं। सरसरी तौर पर यह पत्र शिकायत कम और स्वामी रामदेव का महिमा मंडन ज्यादा करता प्रतीत होता है।

कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के साथ ही इस मामले में देहरादून के एक पत्रकार गजेन्द्र रावत को भी नामजद किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि हेमंत मालवीय के बनाये इस पोस्टर को गजेन्द्र रावत, निवासी 120 नेहरू कॉलोनी देहरादून नाम के रिपोर्टर ने शेयर किया है। जिस कारण परम पूज्यनीय स्वामी रामदेव महाराज जी के बारे में सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें होने लगी हैं, इसी कारण से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि इस कार्टून को, जिसे शिकायती पत्र में पोस्टर कहा गया है, अब तक 499 सोशल मीडिया यूजर्स ने साझा कर दिया है, शिकायत किये जाने के समय तक भी इसे 474 लोग शेयर कर चुके थे, लेकिन शिकायत में सिर्फ गजेन्द्र रावत का नाम है। थाना कनखल पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर हेमंत मालवीय और गजेन्द्र रावत के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

धारा 153 ए दरअसल धार्मिक उन्माद फैलाने से संबंधित है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा कुछ करता है, जिससे धार्मिक उन्माद फैल सकता है तो उसके खिलाफ इस धारा में मुकदमा दर्ज किया जाता है। आरोपी के कृत्य से यदि दंगा भड़कता है तो उसे ज्यादा समय की जेल हो सकती है और यदि नहीं भड़कता तो कम समय की जेल होती है। हेमंत मालवीय ने जो कार्टून बनाया है, उसमें बनाये गये चरित्र को यदि बाबा रामदेव मान भी लिया जाए तो भी इसमें कहीं से भी धार्मिक भावना का कोई एंगल नजर नहीं आता। इसके बावजूद यह मुकदमा दर्ज किया गया।

जनचौक ने इस बारे में काटूनिस्ट हेमंत मालवीय से बात की। उनका कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तो हमला है ही, शायद अब यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि कोई भी कार्टून न बनाये। उन्होंने कहा कि वे कार्टून के साथ डिस्क्लेमर लिख चुके थे कि इस कार्टून का किसी भी हालिया घटना से कोई संबंध नहीं है। हेमंत मालवीय के अनुसार वैसे तो इस धारा में गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है, लेकिन मौजूदा दौर में पुलिस जिस तरह से काम कर रही है, उससे उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है और उन्हें यह भी आशंका है कि यदि एक बार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो आगे कई और झूठे मुकदमे लादे जा सकते हैं। इसलिए वे अंतरिम जमानत लेने का प्रयास कर रहे हैं।

उत्तराखंड में वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट राजीव नयन बहुगुणा ने हेमंत मालवीय की अंतरिम जमानत के प्रयास शुरू कर दिये हैं। राजीव नयन बहुगुणा ने जनचौक को बताया कि उन्होंने गुरुवार को हरिद्वार में वकील से मुलाकात कर जमानत के लिए जरूरी कागजात उन्हें सौंप दिये हैं। वकील जल्दी ही जमानत के लिए अर्जी लगा देंगे। राजीव नयन बहुगुणा का कहना है कि यह मुकदमा चिंतित, विस्मित, क्रोधित और उत्तराखंड वासी होने के नाते मुझे लज्जित करता है। वे कहते हैं कि हेमंत मालवीय ने कोई पोट्रेट नहीं, बल्कि व्यंग्य चित्र बनाया है, जो सांकेतिक है।

फिर मुकदमा दर्ज करवाने वाले रामदेव के शिष्य ने यह कैसे मान लिया कि ये रामदेव का चित्र है। वे कहते हैं कि रामदेव के उत्पादों पर कई बार सरकारी एजेंसियों ने भी प्रश्न चिन्ह लगाया है। लेकिन सरकार उनके साथ है, इसलिए उनका कारोबार चल रहा है। बहुगुणा कहते हैं कि रामदेव को 1 करोड़ 20 लाख उत्तराखंड वासियों की सहिष्णु परम्परा के विपरीत व्यवहार नहीं करना चाहिए।

इस मुकदमे के दूसरे आरोपी गजेन्द्र रावत इस एफआईआर को आवाज दबाने के प्रयास के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि हेमंत मालवीय के कार्टून में धार्मिक उन्माद जैसी कोई बात है ही नहीं। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि कार्टून को करीब 500 लोग शेयर कर चुके हैं, लेकिन मुकदमा सिर्फ उनके खिलाफ दर्ज हुआ है। वे यह भी कहते हैं कि हरिद्वार पुलिस को या शिकायतकर्ता को कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के बारे में कुछ पता नहीं है। उनके पते की जगह नामालूम लिखा गया है। जिसे करीब 500 से ज्यादा लोगों ने इसे शेयर किया है, उनका पता भी पुलिस या शिकायतकर्ता को मालूम नहीं है, लेकिन मेरा उस किराये के कमरे का पता भी शिकायतकर्ता या पुलिस को मालूम है, जिसका पता आमतौर पर उनके परिवार को मालूम नहीं है।

गजेन्द्र रावत के अनुसार वे हाल के दिनों में अपनी जमीन के लिए आसपास के गांवों के लोगों के साथ मिलकर आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए उन्हें जबरन इस मामले में घसीटा गया है। गजेन्द्र रावत बताते हैं कि वे मूल रूप से टिहरी के रहने वाले हैं। देश को बिजली की जरूरत पड़ी तो टिहरी बांध बनाया गया और उन्हें अन्य लोगों के साथ 1980 में देहरादून के भानियावाला में बसा दिया गया। 2003 में जौलीग्रांट एयर पोर्ट का विस्तार किया जाना था इसलिए उन्हें 23 वर्ष पहले जिस गांव में बसाया गया था, वहां से विस्थापित कर दिया गया और कुछ दूर बसा दिया गया।

अब जौलीग्रांट एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय एयर पोर्ट बनाया जाना है, इसलिए फिर से उन्हें विस्थापित किया जा रहा है। वे कहते हैं कि हम बार-बार विस्थापित होने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए इस तीसरे विस्थापन के खिलाफ हम सभी ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। हम अब किसी भी हालत में अपने घर और अपने खेत छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। मैं गांव वालों के इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका में हूं, इसीलिए मुझे इस तरह के झूठे मुकदमों में घसीटने का प्रयास किया जा रहा है।

अग्रिम जमानत के बारे में गजेन्द्र रावत कहते हैं कि अभी तक तो उन्हें अखबारों में छपी खबरों से ही पता चला है कि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जब उनके पास इस बारे में जांच अधिकारी की ओर से कोई कॉल या नोटिस आएगा, तब अग्रिम जमानत लेने या न लेने के बारे में सोचेंगे।

(देहरादून से वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

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