पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने दिया इस्तीफा, लिंगायत समुदाय में ‘विलेन’ बनी भाजपा

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने 10 मई को राज्य विधानसभा चुनाव के लिए टिकट से इनकार किए जाने के बाद रविवार (16 अप्रैल) सुबह भाजपा विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया। शेट्टार हुबली-धारवाड़ (सेंट्रल) से विधायक थे। उन्होंने अपना त्याग-पत्र विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े काग्गेरी को सौंप दिया। अभी तक उन्होंने किसी पार्टी में जाने का संकेत नहीं दिया है। लेकिन वह साफ कह चुके हैं कि चुनाव जरूर लड़ेंगे। अटकल है कि वह कांग्रेस में जा सकते हैं।

शेट्टार कर्नाटक के प्रमुख लिंगायत नेता हैं, वह छह बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं और 2012 से 2013 तक राज्य के 15 वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2014 से 2018 तक विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया, जब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में था। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष (2008-2009), शेट्टार ने 2019-21 बी एस येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में विभिन्न मंत्रिस्तरीय विभागों को संभाला।

बागलकोट जिले के बादामी तालुक के केरूर गांव में 1955 में जन्मे शेट्टार ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सक्रिय सदस्य के रूप में काम करके अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।

वह पहली बार 1994 में हुबली ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 16,000 वोटों के अंतर से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने उसी निर्वाचन क्षेत्र से दो और जीत हासिल की- 1999 और 2004 में क्रमशः 25,000 और 26,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की। 2008 से शेट्टार हुबली-धारवाड़ मध्य निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

शेट्टार ने फरवरी 2006 से अक्टूबर 2007 तक राजस्व मंत्री और 2009 से 2012 तक ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

एक वकील के रूप में 20 से अधिक वर्षों के अनुभव वाले कानून स्नातक, शेट्टार ने घोषणा की है कि वह आगामी राज्य विधानसभा चुनाव “किसी भी कीमत पर” लड़ेंगे। शेट्टार ने हाल ही में एक विद्रोही स्वर में कहा था कि हुबली-धारवाड़ केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें टिकट नहीं देने से कम से कम 20 से 25 सीटों पर भाजपा के परिणामों पर असर पड़ेगा।

उन्होंने 11 अप्रैल को मीडिया से कहा था कि “मैं पूरी तरह से निराश हूं। मैंने 30 साल से अधिक समय तक पार्टी के लिए काम किया है और इसे खड़ा किया है। वे मुझे दो या तीन महीने पहले सूचित कर सकते थे, और मैं इसे स्वीकार कर लेता लेकिन नामांकन दाखिल करने के कुछ दिनों पहले मुझे चुनाव न लड़ने की सूचना दी गई थी। मैंने पहले ही निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है।”

भाजपा के प्रमुख लिंगायत नेताओं में से एक शेट्टार के पार्टी से बाहर निकलने को हुबली क्षेत्र में शेट्टार और पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बीच प्रतिद्वंद्विता का परिणाम बताया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे वर्तमान में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और प्रहलाद जोशी में प्रतिद्वंद्विता चल रही है।

कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा के चुनावी राजनीति से अलग रहने की घोषणा के बाद भी पार्टी में उनकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। लेकिन एक-एक कर अन्य लिंगायत नेताओं के पार्टी से बाहर होने की घटना से कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा येदियुरप्पा के मुकाबले अन्य लिंगायत नेताओं को महत्व नहीं देना चाह रही है।

कर्नाटक के भाजपा एमएलसी एएच विश्वनाथ आरएसएस पर आरोप लगाते हैं कि “वह राज्य में लिंगायत और वोकालिगा नेताओं को कमजोर करके नियंत्रण में रखना चाहती है। उसे लिंगायत-वोकालिगा नेता नहीं विधायक चाहिए। जो उनके हां में हां मिलाए।”

मैसूर में शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लिंगायत-वोकालिगा नेताओं को खतम करना चाहती है। उसे लिंगायत-वोकालिगा नेता नहीं एमएलए-एमपी चाहिए।

भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बी एस येदियुरप्पा ने रविवार (16 अप्रैल) को पहली बार अपने लंबे समय से सहयोगी जगदीश शेट्टार पर हमला करते हुए पार्टी विधायक के रूप में उनके इस्तीफे को “अक्षम्य अपराध” बताया। शेट्टार ने येदियुरप्पा पर पलटवार करते हुए पूछा कि उन्होंने वर्षों पहले भाजपा छोड़कर कर्नाटक जनता पक्ष (केजेपी) क्यों बनाया था।

येदियुरप्पा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “उन्होंने (शेट्टार) पार्टी को धोखा दिया है। राज्य के लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे।”

येदियुरप्पा ने कहा “जगदीश शेट्टर लंबे समय से (बीजेपी) सदस्य रहे हैं और उन्होंने कई पदों पर काम किया। वह एक मंत्री, मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता थे। पार्टी ने उन्हें सब कुछ दिया। वास्तव में स्वर्गीय अनंत कुमार (पूर्व भाजपा मंत्री) और मैंने उनको आगे बढ़ाया और उन्हें एक नेता के रूप में उभरने में मदद की। ”

शेट्टार नाखुश थे क्योंकि भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की दो सूचियों में उनका नाम नहीं था। छह बार के विधायक ने लगातार चौथे चुनाव के लिए हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट से पार्टी का टिकट मांगा। हालांकि पूर्व मंत्रियों के एस ईश्वरप्पा और एस अंगारा जैसे कई वरिष्ठ नेताओं के साथ शेट्टार को भी टिकट से वंचित कर दिया गया। पार्टी को अभी इस क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा करनी थी।

केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद जोशी और धर्मेंद्र प्रधान के उनके घर आने और उनके साथ चर्चा करने के बावजूद, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। मंत्रियों ने भी उन्हें एक केंद्रीय पद का आश्वासन दिया लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। वह कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। येदियुरप्पा ने कहा कि यह विश्वासघात और अक्षम्य अपराध है।

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

You May Also Like

More From Author