Friday, April 26, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

सर्व सेवा संघ: क्या जेपी-विनोबा और राधाकृष्ण बजाज ने 63 साल पहले किया था रेलवे की जमीन पर कब्जा?

नई दिल्ली/वाराणसी। गांधी विद्या संस्थान पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कब्जे के बाद अब रेलवे ने सर्व सेवा संघ को नोटिस जारी किया है। नोटिस में लिखा गया है कि सर्व सेवा संघ ने दस्तावेजों में कूट रचना करके रेलवे की भूमि पर कब्जा किया है, और गैर-कानूनी तरीके अपनाकर जमीन को अपने नाम करा लिया है। उत्तर रेलवे लखनऊ का दावा है कि उक्त जमीन पर अभी भी रेलवे का मालिकाना है। रेलवे को यह जमीन रक्षा विभाग और राज्य सरकार से मिला था। आश्चर्य की बात यह है कि रेलवे का आरोप है कि सर्वसेवा संघ ने बैनामा के कागजात तैयार कर उक्त जमीन को अपने नाम करा लिया है। उत्तर रेलवे ने इस पर सर्वसेवा संघ को नोटिस भेज कर जवाब देने को कहा है।

उत्तर रेलवे लखनऊ के वरिष्ठ मंडल अभियंता ने वाराणसी सदर के उप-जिलाधिकारी की अदालत में मुकदमा दायर किया है, और मामले की जांच करने को कहा है। उत्तर रेलवे लखनऊ ने सर्वसेवा संघ वर्धा, गुजरात, प्रदीप कुमार बजाज और प्रबंधक सर्वसेवा संघ, राजघाट, वाराणसी को पार्टी बनाया है।

उत्तर रेलवे लखनऊ द्वारा भेजा गया नोटिस

गौरतलब है कि वाराणसी में गंगा के किनारे राजघाट में सर्व सेवा संघ स्थापित है। गांधी की शहादत के बाद यह संस्था सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण शख्सियतों के प्रयासों से बना था। सर्व सेवा संघ को यह जमीन देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रयास से मिला था। वाराणसी में गंगा कि किनारे राजघाट दो मोहल्ला किलाकोहना और शरीयताबाद पर आबाद है। 9 मई, 1960 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निर्देश पर डिविजन इंजीनियर उत्तर रेलवे, लखनऊ ने सर्व सेवा संघ के तत्कालीन मैनेजिंग ट्रस्टी राधाकृष्ण माधोजी बजाज को रेलवे की किलाकोहना और शरीयताबाद की जमीन का पहला बैनामा 1 जून, 1961 में किया था और रेलवे द्वारा जारी बैनामा के कागजातों के मुताबिक इसके लिए 3240 रुपये चुकाया गया था। दूसरा बैनामा भी राधाकृष्ण बजाज ने ही कराया था और जिसके एवज में रेलवे को 23490 रुपये का भुगतान किया गया था। इसी तरह तीसरा बैनामा 20 मई, 1970 को सर्वसेवा संघ के तत्कालीन मैनेजिंग ट्रस्टी वी रामचंद्रन पुत्र वेंकटरमन ने डिविजनल इंजीनियर उत्तर रेलवे, लखनऊ से कराया था। सर्व सेवा संघ ने उत्तर रेलवे को 4485 रुपये का भुगतान किया था। जो कि उत्तर रेलवे लखनऊ द्वारा भेजे गए नोटिस में भी दर्ज है।

नोटिस में सर्व सेवा संघ के बैनामे को बताया गया फर्जी

इस तरह तीनों बैनामा को मिलाकर सर्वसेवा संघ ने लगभग 8.5 एकड़ जमीन का बैनामा कराया था। जिसके कागजात वाराणसी के रजिस्ट्रार कार्यालय में मौजूद हैं। पहला बैनामा 1960 में हुआ था। इस तरह उत्तर रेलवे लखनऊ की नींद लगभग 63 वर्षों बाद टूटी है कि सर्वसेवा संघ ने फर्जी कागजात तैयार कर उसकी जमीन को अपने नाम करा लिया है।

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज कहत हैं “केंद्र सरकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय के इशारे पर रेलवे ने छह दशक बाद 1960-61 मे हुई रजिस्ट्री के बाबत सर्वसेवा संघ को नोटिस जारी किया है और रजिस्ट्री के दस्तावेजों को कूट रचित बताया है। आश्चर्य और दुख होता है कि जिस संत विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण ने भूदान में 45 लाख एकड़ से अधिक जमीन मांग कर गरीबों को बांट दिया, उस संस्था के प्रमुख विनोवा भावे, जयप्रकाश नारायण, दादा धर्माधिकारी, शंकरराव देव, राधा कृष्ण बजाज, करण भाई जैसे मनीषियों के द्वारा खरीदी गई जमीन को सरकार कूट रचित बता रही है। यानी उस समय के नेता विनोबा भावे, जेपी, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. संपूर्णानंद, आचार्य जेबी कृपलानी जैसे लोग जालसाज और गलत थे और आज सत्ता में बैठे हुए लोग ईमानदार और दूध के धुले हुए हैं।”

सर्वसेवा संघ, वाराणसी के परिसर प्रभारी अरविंद अंजुम कहते हैं कि “क्या देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और राधाकृष्ण बजाज जैसी विभूतियां जमीन कब्जा करती थीं। और उन लोगों ने रेलवे की जमीन कब्जा करके जाली दस्तावेज बनाकर सर्व सेवा संघ को सौंप दिया। इस तरह की नोटिस भेजकर उत्तर रेलवे ने देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान किया है। उत्तर रेलवे के अनपढ़ अधिकारियों पर मुकदमा चलना चाहिए।”

अरविंद सवालिया लहजे में पूछते हैं कि “सर्वसेवा संघ के कार्यक्रमों में लाल बहादुर शास्त्री और बाबू जगजीवन राम आते थे। क्या वे सर्वसेवा संघ के कथित भू-माफियाओं को संरक्षण देते थे?” वो कहते हैं कि यदि नहीं तो उत्तर रेलवे के अधिकारियों और केंद्र सरकार को भगवान सद्बुद्धि दे।

15 मई को राजघाट सर्वसेवा संघ परिसर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक मय पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट के साथ आए और उन्होंने गांधी विद्या संस्थान का ताला तोड़कर कब्जा कर लिया और यह कहा कि हम लाइब्रेरी का संचालन करेंगे लेकिन अगले ही दिन संस्थान के सभी कमरों के ताले तोड़ दिए गए, यहां तक कि डायरेक्टर आवास का ताला भी तोड़ दिया गया और यह कहा गया कि कमिश्नर वाराणसी ने इसे हमें आवंटित किया है।

कला केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक को वाराणसी के कमिश्नर कौशलराज शर्मा का समर्थन प्राप्त है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सर्वसेवा संघ के पक्ष में दिए गए फैसले को भी वाराणसी जिला प्रशासन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र मानने को तैयार नहीं है। यह सीधा-सीधा अदालत के फैसले की अवमानना है।

सर्वसेवा संघ से जुड़े सौरभ कहते हैं कि “वाराणसी जिला प्रशासन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अधिकारी सत्ता के मद में चूर हैं। उनकी नजर में कानून, नैतिकता और न्यायपालिका के आदेश की कोई कीमत नहीं है। इस समय वह अपने द्वारा किए गए हर कब्जा को कानूनी और वैध बताने में लगे हैं। इस प्रक्रिया में वह एक के बाद एक गैर कानूनी काम करने में लगे हैं।”

इंदिरा गांधी कला केंद्र की जांच की मांग करते सर्व सेवा संघ के कार्यकर्ता

25 मई को सर्वसेवा संघ का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी वाराणसी से मिलने गया था। जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में जिलाधिकारी की प्रतिनिधि एसडीएम आकांक्षा सिंह को ज्ञापन दिया गया। इस ज्ञापन में गांधी विद्या संस्थान के भवनों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंपने के आदेश को निरस्त करने, सर्व सेवा संघ परिसर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने और उत्तर रेलवे लखनऊ के मंडल अभियंता द्वारा अशोभनीय शिकायत को वापस लेने का आग्रह किया गया है।

सर्वसेवा संघ के कार्यक्रम समन्वयक रामधीरज ने आकांक्षा सिंह को बताया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र कला और संस्कृति पर कार्य करती है और सर्वसेवा संघ गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों तथा सर्वोदय के सिद्धांतों पर गरीबों के लिए काम करता है।

जिला प्रशासन की शह पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के गांधी विद्या संस्थान की जमीन और भवन पर कब्जा के विरोध में सर्वसेवा संघ परिसर में गांधीजनों ने सत्याग्रह कर अपना विरोध दर्ज किया। यह सत्याग्रह माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय का पालन नहीं करने के कारण किया गया। सत्याग्रह ‘जेपी विरासत बचाओ संघर्ष समिति’ और सर्व सेवा संघ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।

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