पाक के बुनेर से चुनाव लड़ रहीं हिंदू महिला सवीरा प्रकाश, कहा: धर्म आड़े नहीं आएगा

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनेर जिले से चुनाव लड़ने जा रहीं सवीरा प्रकाश का कहना है कि चुनाव में उनका धर्म आड़े नहीं आएगा। सवीरा पेशे से डॉक्टर हैं और पाकिस्तान में चुनाव लड़ने जा रही पहली हिंदू महिला हैं। सवीरा पीपुल्स पार्टी ऑफ पाकिस्तान (पीपीपी) की ओर से चुनाव में खड़ी हो रही हैं। पीपीपी ने भी विश्वास जताते हुए उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीट की बजाय सामान्य सीट से मैदान में उतारा है।

सवीरा ने कुछ माह पहले ही मेडिकल स्कूल से स्नातक किया है। आत्मविश्वास से लबरेज सवीरा का कहना है कि “मैं शायद पहली अल्पसंख्यक महिला उम्मीदवार हूं, न केवल बुनेर से, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ने वाली पहली महिला हूं। मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि जिस दिन से मैंने नामांकन दाखिल किया है लोगों ने मुझे ‘बुनेर की बेटी’ की उपाधि दी है। वे मुझे एक हिंदू महिला के रूप में नहीं, बल्कि पश्तून समुदाय के पुख्ताना (मूल निवासी) के रूप में पहचान रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि “धार्मिक आधार पर विभाजन बहुत पुराना हो चुका है, हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।” सवीरा का कहना है कि वह अपने जिले में तीन सबसे अहम मुद्दों शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं की स्थिति पर काम करने के लिए चुनाव लड़ रही हैं। वह भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों की भी वकालत करती हैं।

सवीरा के माता-पिता भी पेशे से डॉक्टर हैं। उनके पिता बर्नर के मूल निवासी और पीपीपी के सदस्य डॉ. ओम प्रकाश हैं और मां डॉ. येलेना प्रकाश मूल रूप से रूस की रहने वाली हैं। ये दोनों बानेर में एक क्लिनिक चलाते हैं।

पाकिस्तान में 8 फरवरी, 2024 को राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव होंगे। सवीरा खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय विधानसभा में बुनेर की पीके-25 सीट के लिए पीपीपी की उम्मीदवार हैं।

अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा अफगानिस्तान से सटा हुआ इलाका है जहां पिछले कुछ वर्षों में तालिबान और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के बीच झड़पें भी हो चुकी हैं। ऐसे में यहां से अल्पसंख्यक समुदाय की महिला का चुनावी राजनीति में उतरना बहुत हिम्मत की बात है।

प्रांत में पश्तून बहुसंख्यक हैं और हिंदू 1 प्रतिशत से भी कम हैं। 2017 की जनगणना के मुताबिक पूरे पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या करीब 44 लाख है जो की आबादी का केवल 2.15 फीसदी है। 2022 में सेंटर ऑफ पीस एंड जस्टिस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान की आबादी में हिंदू केवल 1.18 प्रतिशत हैं।

सवीरा ने बुधवार 27 दिसंबर को पश्तो और उर्दू भाषा में अपना पहला चुनावी भाषण दिया जिसमें उन्होंने युवाओं से विकास के नाम पर वोट मांगा।

उन्होंने कहा “पीके-25 सीट से मुझे टिकट देना मेरी पार्टी का फैसला है। अपने पिता को दशकों तक पार्टी से जुड़े देखकर मेरे मन में हमेशा बुनेर के लोगों के लिए कुछ करने की चाहत रहती थी। जिले में महिलाओं की स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम मुद्दों ने मुझे राजनीति में उतरने के लिए प्रेरित किया है। इन सभी मुद्दों को तभी ठीक किया जा सकता है जब सभी तक शिक्षा पहुंचेगी और ये मुझे कर दिखाना है। मुझे यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि बुनेर में अभी भी महिलाओं के लिए केवल एक कॉलेज है।”

सवीरा ने कहा, “बुनेर में युवा लड़के मदरसों में पढ़ रहे हैं लेकिन लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई विकल्प नहीं है। यहां अधिकांश लड़कियों तक अभी भी बुनियादी प्राथमिक शिक्षा भी नहीं पहुंची है। लड़कियों के लिए कई सरकारी प्राथमिक विद्यालय नहीं हैं, और हर कोई महंगे प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ सकता है।”

महिलाओं की शिक्षा के अलावा भी वे उनके स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित दिखीं। स्वास्थ्य के मामले में भी प्रांत के हालात ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि “जब कोई महिला अपनी गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव पर पहुंचती है, तभी उसे डॉक्टर के पास ले जाया जाता है और अगर उसकी हालत गंभीर हो जाती है, तो उसे दूर इस्लामाबाद या पेशावर रेफर कर दिया जाता है। बुनेर में इमरजेंसी से निपटने के लिए कोई सुविधा नहीं है। बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की कमी के कारण महिलाएं और नवजात शिशु अभी भी मर रहे हैं।”

सवीरा ने 10वीं तक की पढ़ाई बुनेर में ही की है उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे लाहौर और फिर एबटाबाद चली गईं। उन्होंने माना की बुनेर, केपीके के अधिकांश अन्य हिस्सों की तरह, कभी भी पीपीपी का गढ़ नहीं रहा है। 2018 के चुनावों में यह इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) थी जिसने केपीके से राष्ट्रीय और प्रांतीय दोनों चुनाव जीते।

सवीरा का कहना है कि वे अगर चुनाव हार भी गईं तो निराश नहीं होंगी और सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि राजनीति में आने के लिए उनके पिता और दिवंगत बेनजीर भुट्टो उनकी मुख्य प्रेरणा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जाहिर की कि उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से उन्हें भारत से शुभकामना संदेश मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि “मैं बहुत उत्साहित महसूस कर रही हूं कि मैं दोनों देशों के लोगों के बीच एक साझा बिंदु बन गई हूं जो मुझसे जुड़ रहे हैं। मुझे दोनों देशों में कभी कोई अंतर महसूस नहीं हुआ। हमारी संस्कृतियां और इतिहास एक समान हैं। अगर निर्वाचित होने के बाद मुझे कुछ शक्ति मिलती है, तो मैं दोनों देशों के बीच एक पुल के रूप में काम करूंगी।”

सवीरा के पिता डॉ. ओम प्रकाश एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने रूस में अपनी पढ़ाई पूरी की थी। वर्तमान में वह केपीके के लिए पीपीपी के डॉक्टरों के विंग के अध्यक्ष हैं।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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