नई दिल्ली। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के मामले में जान बूझ कर की जा रही गड़बड़ियां विपक्ष और लोकतंत्र में विश्वास करने वालों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मसले पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया गठबंधन के सदस्यों को पत्र लिखा है।
पत्र में विषय के रूप में बताया गया है कि यह पत्र चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए डाटा संबंधी गड़बड़ियों और रजिस्टर्ड वोटरों की संख्या अभी तक न बताए जाने के संदर्भ में है।
पत्र में खड़गे ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव लोकतंत्र और देश के संविधान को बचाने का चुनाव है। उन्होंने दलों और उनके नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा आप जान ही रहे हैं चुनाव आयोग की साख अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है। अब तो यह बात सार्वजनिक हो गयी है कि इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग कैसे लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के चुनावों के मतदान प्रतिशत को जारी करने में देरी किया।
इसके साथ ही विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के जरिये यह जानकर चिंता और बढ़ गयी कि तीसरे चरण और उससे आगे के फाइनल रजिस्टर्ड वोटरों की सूची भी अभी तक जारी नहीं की गयी। यह सब कुछ चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली पर एक काले साए की तरह है। वह भी एक ऐसी संस्था जो भारतीय राज्य और लोगों ने मिलकर सामूहिक प्रयास के जरिये बनाया था।
खड़गे ने कहा कि पहले और दूसरे चरण के मतदान प्रतिशत को जारी करने में गैरजरूरी देरी डाटा की गुणवत्ता पर गंभीर आशंकाओं को जन्म देता है। उन्होंने कहा कि मैंने 52 साल के चुनावी जीवन में आखिरी तौर पर प्रकाशित डाटा में मतदान के बाद जितने की हम आशा कर रहे थे उससे इस स्तर तक मतदान के प्रतिशत में बढ़त नहीं देखा। अपने सार्वजनिक यादों को ताजा करिए और हमें सामूहिक तौर पर चुनाव आयोग से कुछ मांगें करनी चाहिए।
जिसमें उनका कहना था कि चुनाव आयोग ने 30 अप्रैल, 2024 को लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के मतदान के प्रतिशत का डाटा जारी किया। पहले फेज के मतदान यानी 19 अप्रैल के 11 दिनों बाद और दूसरे फेज यानि 26 अप्रैल के चार दिनों बाद डाटा जारी हुआ। उन्होंने चुनाव आयोग से सवाल पूछते हुए कहा कि इस संदर्भ में मेरा पहला सवाल यह है कि मतदान के प्रतिशत के डाटा को जारी करने में चुनाव आयोग ने क्यों देरी की?
उन्होंने कहा कि जबकि पिछले सालों में चुनाव आयोग 24 घंटे के भीतर ही डाटा जारी कर देता था। इस बार आखिर क्या बदलाव आ गया? उन्होंने कहा कि इस देरी को जायज ठहराने के लिए चुनाव आयोग स्पष्टीकरण देने में नाकाम क्यों रहा? जबकि राजनीतिक दल और राजनीतिक कार्यकर्ता लगातार इसको लेकर सवाल उठा रहे थे। क्या ईवीएम के साथ कोई संकट था?
खड़गे ने कहा कि अब पहले चरण (102 सीट) के लिए आयोग ने कहा कि 19 अप्रैल को शाम 7 बजे तक मतदान में हिस्सा लेने वाले मतदाताओं की संख्या तकरीबन 60 फीसदी था और उसी तरह से दूसरे चरण के लिए (88 सीट) मत प्रतिशत तकरीबन 60.96 फीसदी था। ये सभी आंकड़े पहले से ही रिपोर्ट किए गए हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्यों 20 अप्रैल को कमीशन ने पहले चरण के मतदान प्रतिशत को 66.5 फीसदी तक बढ़ा दिया। और 27 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के प्रतिशत को 66.7 फीसदी कर दिया। और आखिर में 30 अप्रैल को पहले चरण के आंकड़े को 66.14 फीसदी और दूसरे चरण के आंकड़े को 66.71 फीसदी बताया।
उन्होंने कहा कि मेरा चुनाव आयोग से सवाल है कि पहले चरण में यह बढ़त कैसे 5.5 फीसदी हो गयी। और दूसरे चरण में यह बढ़कर 5.74 फीसदी हो गयी।
इसके साथ ही खड़गे का कहना था कि देरी के अलावा आयोग द्वारा जारी किए गए मतों के प्रतिशत में प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के लिए और संबंधित विधानसभा क्षेत्र के भी आंकड़े अलग-अलग नहीं दिखाए गए थे। उन्होंने कहा कि अगर मत प्रतिशत का आंकड़ा 24 घंटे के भीतर जारी कर दिया गया होता तो हमें यह पता चल पाता कि क्या चुनाव क्षेत्रों के हिसाब से यह मेल खाता है। या फिर वही लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं जिनमें बीजेपी 2019 में अच्छा नहीं कर पायी थी।
इन आशंकाओं को दूर करने के लिए चुनाव आयोग को न केवल हर लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से पड़े मतों का प्रतिशत जारी करना चाहिए था जिसमें स्वाभाविक तौर पर विधानसभा क्षेत्र भी शामिल होंगे। बल्कि इसे हर पोलिंग स्टेशन पर पड़ने वाले मतों को भी जारी करना चाहिए था। वास्तव में हर पोलिंग स्टेशन, विधानसभा क्षेत्र और संसदीय क्षेत्र को राजनीतिक दलों द्वारा की गयी शिकायतों को प्रकाशित करना चाहिए। खासकर नागालैंड और त्रिपुरा में जहां पोलिंग स्टेशन के स्तर पर मुद्दे उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ईसीआई के मुताबिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट के पास प्रत्येक पोलिंग स्टेशनों में पड़ने वाले मतों का आंकड़ा मौजूद रहता है। इसका मतलब यह है कि कमीशन के पास प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर पड़ने वाले मतों का डाटा है। अब उनसे मेरा सवाल यह है कि उन्हें उसको सार्वजनिक करने से कौन सी चीज रोक रही है।
उन्होंने कहा कि क्या यह सही नहीं है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अगले चरणों के आखिरी रजिस्टर्ड मतदाताओं की सूची को आयोग ने सार्वजनिक नहीं किया है। क्या चुनाव को संचालित करने की कड़ी में इतने बड़े कुप्रंधन की जवाबदेही चुनाव आयोग लेगा।
उन्होंने कहा कि ये सारी चीजें क्या आखिरी तौर पर जीत को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि कैसे मोदी और बीजेपी चुनाव के रुझानों से बहुत परेशान हैं। पूरा देश जानता है कि एक तानाशाह रेजीम जो सत्ता के मद में चूर है वह कुर्सी हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मैं विपक्षी गठबंधन के सभी नेताओं से कहना चाहता हूं कि हमें सामूहिक, एकताबद्ध होकर और एक सुर में इस तरह की गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। हम लोगों का केवल एक लक्ष्य होना चाहिए कि कैसे हम एक फलते-फूलते लोकतंत्र और संविधान की संस्कृति की रक्षा कर सकें। आइये चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हुए उसकी जवाबदेही तय करें।