10 विपक्षी दलों के 15 प्रतिनिधि नेता आज किसानों से मिलने ग़ाज़ीपुर पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। विपक्षी नेता बार-बार गुजारिश करते रहे कि उन्हें किसानों से मिलने दिया जाए, लेकिन पुलिस नहीं मानी। आखिर उन्हें बिना मिले ही लौटना पड़ा। विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, डीएमके सांसद कनिमोझी, एसएडी सांसद हरसिमरत कौर बादल और टीएमसी सांसद सौगत रॉय समेत कई नेता शामिल हैं।
बेशक़ आप कहेंगे कि ग़ाज़ीपुर इसी देश में है और राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश की सीमा में है, जहां इस देश के अन्नदाता पिछले 71 दिन से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन ग़ाज़ीपुर सिर्फ़ इतना नहीं है। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर दरअसल एक दुश्मन किले में तब्दील कर दिया गया है, जहां न तो इस देश के संसद सदस्यों को घुसने अनुमति है न इस देश की मीडिया को। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी यही हाल है! आखिर ये हाल क्यों है?
भाकियू नेता राकेश टिकैत इसका सटीक जवाब देते हैं। कल राकेश टिकैत ने जींद में हुई पंचायत में कहा, “जब कोई राजा डरता है तो किलेबंदी का सहारा लेता है। ठीक ऐसा ही हो रहा है। बॉर्डर पर जो कीलबंदी की गई है, ऐसे तो दुश्मन के लिए भी नहीं की जाती है।”
पत्रकारों को रिपोर्टिंग के लिए खेत, गांव गली के रास्ते 5-6 किलोमीटर पैदल चल कर छुप-छुप कर जाना पड़ रहा है। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से बिना किसानों से मिले ही लौटीं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “हम सभी किसानों का समर्थन करते हैं। हम सरकार से किसानों के साथ बातचीत करने का अनुरोध करते हैं।”
हरसिमरत कौर ने कहा कि हम ग़ाज़ीपुर बॉर्डर आए थे, जहां पर 13 लेयर की बैरिकेडिंग की गई है। इतना तो हिंदुस्तान के अंदर पाकिस्तान बॉर्डर पर भी नहीं है। हमें संसद में भी इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं दिया जा रहा है जो कि सबसे अहम मुद्दा है।
हरसिमरत कौर ने कहा कि यहां तीन किलोमीटर तक बैरिकेडिंग लगी हुई है। ऐसे में किसानों की क्या हालत हो रही होगी। हमें भी यहां रोका जा रहा है। हमें भी उनसे मिलने नहीं दे रहे।”
आखिर सरकार विपक्षी दलों के नेताओं और पत्रकारों को आंदोलनकारी किसानों से मिलने क्यों नहीं दे रही है?