ग्राउंड रिपोर्ट-मान्यवर कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना: बिखर रहा है मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट

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उत्तर प्रदेश की मान्यवर कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना आज दम तोड़ रही है। इस योजना की शुरुआत तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की सरकार ने गरीब और असहाय लोगों को छत मुहैया कराने के लिए की थी। लेकिन योजना के तहत तैयार करवाए गए घरों का आज बुरा हाल हो चुका है।

जौनपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर शाहगंज रोड पर बने कांशीराम आवासीय कॉलोनी की हालत खस्ता है। कॉलोनी की बदहाली की दास्तां बताते हुए सुमेर बताते हैं “मजबूरी जो न कराई दे।“

कभी यही कॉलोनी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल थी जिसे तैयार कराने के लिए अधिकारियों की फौज ने दिन-रात कड़ी मशक्कत की थी। लेकिन अब यह कॉलोनी बदहाल अवस्था में है।

सुमेर कहते हैं कि 2010 में जब कॉलोनी में रहने के लिए उन्हें आवास की चाबी मिली थी तो उनके अंधियारे भरे जीवन में उजाले कि लौ जलने लगी थी। सोचे थे कि अब अच्छे से दिन कटेंगे, लेकिन कॉलोनी की बदहाल होती दशा, साफ सफाई की नदारद व्यवस्था समेत अनगिनत समस्याओं ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया है।

सुमेर

कांशीराम आवासीय योजना की बदहाल व्यवस्था से मिर्जापुर भी अछूता नहीं है। यहां की स्थिति अत्यंत ही दयनीय हो गई है। साफ-सफाई से लेकर जाम पड़ी नालियां, खुले में खासकर के दरवाजों पर बहता नालियों का गंदा पानी यहां की बदहाली को दूर से ही दर्शाता है। आलम यह है कि कॉलोनी के निचले हिस्से के कई आवास अब बैठने भी लगे हैं।

घर में सीलन के साथ-साथ नालियों के कीड़े-मकोड़ों का भी भय सताता रहता है। मिर्जापुर नगर के विशुंदरपुर स्थित कांशीराम शहरी गरीब आवासीय कॉलोनी के लोग मच्छरों के कारण फैलने वाली बीमारियों से भी लगातार जूझ रहे हैं।

बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मान्यवर कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत ये आवास बनवाए थे। इन घरों का निर्माण गरीब आवास विहीन लोगों को स्वयं की छत मुहैया कराने के उद्देश्य से किया गया था। 9 अक्टूबर 2008 को मिर्जापुर जिले में भी 1500 लोगों को आवास की सौगात देते हुए मिर्जापुर नगर के विशुंदरपुर, कंतित, कछवां, चुनार और अहरौरा नगर में आवासीय कालोनी का शिलान्यास किया गया था।

वर्ष 2009-10 में मिर्जापुर के विशुंदरपुर में लोगों को 372 आवास से लाभान्वित किया गया था। बिजली पानी साफ-सफाई जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई थीं। सूबे में जब तक बीएसपी की सरकार रही तब तक तो सबकुछ ठीकठाक चलता रहा, लेकिन समाजवादी पार्टी के सत्ता में आते ही इन कॉलोनियों की भी दशा बिगड़ने लगी, जो मौजूदा बीजेपी की सरकार में भी बनी हुई है।

कॉलोनी में गंदा नाला

या यूं कहें कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही इसके रखरखाव की तरफ से भी मुख मोड़ लिया गया। समाजवादी पार्टी के बाद बीजेपी की सरकार आने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब इसके अच्छे दिन आयेंगे, लेकिन हालात और बिगड़ने लगे। मान्यवर कांशीराम आवास योजना से भले ही लाखों लोग लाभान्वित हुए हों लेकिन अब यह कॉलोनी स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहा है।

अराजक तत्वों का अड्डा बन चुकी कांशीराम आवास कॉलोनी, भीषण गंदगी, साफ-सफाई की नदारद हो चुकी व्यवस्था, बदहाली की तस्वीर लिए कई गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। जिससे इसकी पहचान न केवल नष्ट हो रही है, बल्कि आवासों के दरकने का डर बना हुआ है।

कॉलोनी परिसर में जगह-जगह लगे कूड़े कचरे के ढेर, जाम पड़ी नालियों से उठने वाली दुर्गंध, दूर से ही मकानों की जर्जर दशा, बिजली के उलझे हुए तार कॉलोनी की उपेक्षा और बदहाली की तस्वीर को दिखाते हैं। बनने के बाद इन कॉलोनियों की ना तो रंगाई पुताई हुई है और ना ही साफ-सफाई की जहमत उठाई जा रही है।

दीवार पर दरार

इन कॉलोनियों में रहने वाले कुछ गरीब दबी जुबान में बताते हैं कि जिस उद्देश्य से इस कॉलोनी का निर्माण कराया गया था उस उद्देश्य को चकनाचूर करते हुए ऊंचे लोगों के दबाव में अपात्र लोगों को भी आवास आवंटित किए गए और कुछ स्थानों पर किराए पर भी कमरे दिए गए हैं।

जिससे इस कॉलोनी के निर्माण की मंशा पर पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है। बहरहाल, मान्यवर कांशीराम आवासीय कॉलोनी की दशा को देख तो बस यही कहा जा सकता है कि “नजरें बदली तो नजारे भी बदल गए।”

(यूपी से संतोष गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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