Saturday, April 27, 2024

मोदी जी! इज्जत पानी हो तो इज्जत देनी पड़ती है

इस समय पूरे देश में कोरोना संकट के दौर में केंद्र सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल सिद्ध हो गयी है और आम जनमानस से लेकर विपक्ष और न्यायपालिका तक के निशाने पर है। लाख प्रयासों के बाद भी मोदी सरकार और भाजपा सरकारी विफलता से जनता का ध्यान भटका नहीं पा रही है। नतीजतन पिछले तीन चार दिनों में भाजपा ने दो दांव खेला है, जो एक बार फिर उल्टा पड़ता नज़र आ रहा है। एक दांव यूपी में योगी सरकार की अलोकप्रियता के नाम पर मंत्रिमंडल में बड़े पैमाने पर फेरबदल का था जो फ़िलहाल सीएम योगी आदित्यनाथ के अड़ जाने से फेल हो गया जबकि दूसरा दांव पश्चिम बंगाल के दौरे में पीएम मोदी को सीएम ममता बनर्जी द्वारा आधे घंटे इंतजार कराने और तूफान से बंगाल को हुयी क्षति की रिपोर्ट देकर चले जाने को लेकर है। ममता बनर्जी ने पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लिया था। इसके चंद घंटे बाद राज्य के चीफ सेक्रेटरी को रिलीव करने का आदेश दे दिया गया।   

पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गयी है। और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीछे हटने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया है। ममता बनर्जी ने केंद्र से अपील की कि वह राज्य के मुख्य सचिव (चीफ सेक्रेटरी) अलपन बंद्योपाध्याय को केंद्र सरकार से जोड़ने के अपने आदेश को वापस ले, जबकि उनके तीसरे कार्यकाल में एक लंबी राजनीतिक लड़ाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि बंगाल के लिए, मैं प्रधानमंत्री के पैर छूने के लिए तैयार हूं, अगर इससे उन्हें खुशी मिलती है। लेकिन यह राजनीतिक प्रतिशोध है। मुझे बदनाम मत करो, मुझे अपमानित मत करो।

भाजपा का कहना है कि पीएम को इंतज़ार करना पड़ा और ममता का कहना है कि उन्होंने इजाज़त ली थी, दोनों में विरोधाभास है। पीएम और सीएम के बीच किसी मीटिंग को लेकर ऐसा विरोधाभास आम नहीं है।दोनों की तरफ़ से समय रहते जानकारियां एक दूसरे को दी जाती हैं। हर मिनट का एक शेड्यूल तैयार किया जाता है। लेकिन ममता का आरोप है कि मीटिंग का स्वरूप बदल दिया गया था और ये मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच की बैठक नहीं थी। इसलिए उनके मीटिंग में न जाने को लेकर विवाद नहीं होना चाहिए।

ममता ने मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाए जाने के फ़ैसले का विरोध करते हुए इसे रद्द करने की माँग की है और कहा है कि राज्य सरकार से पूछे बग़ैर उसके मुख्य सचिव का तबादला नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ही मुख्य सचिव का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था, ऐसे में उनके तबादले की क्या वजह हो सकती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह तबादला इसलिए किया गया है कि मुख्य सचिव बंगाली हैं। ममता बनर्जी ने एक बार फिर यह गुगली फेंककर भाजपा के बंगाली विरोधी और बाहरी होने के पुराने आरोप को दुहराया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र से अपील की है कि वह इस पर पुनर्विचार करे।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही भावनात्मक मुद्दा भी उठाया है और केंद्र को इस आधार पर घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता की भलाई के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं, लेकिन उन्हें और पश्चिम बंगाल की जनता का इस तरह अपमान नहीं किया जाना चाहिए। ममता बनर्जी ने इसके साथ ही कहा कि विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के हाथों हुई क़रारी हार को प्रधानमंत्री नहीं पचा पा रहे हैं और इस कारण ही इस तरह वह उन्हें अपमानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें प्रचंड जीत मिली है इसलिए आप ऐसा व्यवहार कर रहे हैं? आपने सब कुछ करने की कोशिश की और हार गए। हमारे साथ हर दिन झगड़ा क्यों कर रहे हैं?

मामले की शुरुआत चक्रवाती तूफान ‘यास’ की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के शामिल न होने से हुई। केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधे घंटे तक इंतजार करवाया, उसके बाद भी उनके साथ बैठक में शामिल नहीं हुईं। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने मोदी से मुलाक़ात की, उन्हें तूफान ‘यास’ से हुए नुक़सान की जानकारी दी, उनके साथ 15 मिनट रहीं और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इसके बाद वे राहत व बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए पहले से तय एक बैठक में चली गईं।

राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इस घटनाक्रम में दोनों पक्षों का चाहे जो आरोप प्रत्यारोप हो एक बात तो तय है कि इज्जत पाने के लिए दूसरों को भी इज्ज़त देनी पड़ती है।प्रधानमन्त्री स्वयं चुनाव प्रचार से लेकर अन्य सार्वजनिक मंचों यहाँ तक कि संसद में किसी की खिल्ली उड़ाने से नहीं चूकते, राज्यों के विपक्षी सरकारों के साथ केंद्र से असहयोग किया जाता रहा है, अभी बंगाल और उड़ीसा को तूफान राहत में 500-500 करोड़ की राहत दी गयी जबकि गुजरात को इसी मद में 1000 करोड़ की राहत दी गयी, इसके पहले की मीटिंग में ममता बनर्जी को बोलने का भी मौका नहीं दिया गया। ऐसे में दिल्ली के सीएम केजरीवाल द्वारा पीएम के साथ बैठक के लाइव टेलीकास्ट का मामला हो या ममता बनर्जी के जवाबी कीर्तन का मामला हो ,इसे आसानी से समझा जा सकता है। राजनीतिक प्रेक्षकों को ममता बनर्जी के इस आचरण से जरा सा भी आश्चर्य नहीं हुआ। अगर आप दूसरे से आदर्श आचरण की अपेक्षा रखते हैं तो पहले आप को आदर्श आचरण करना पड़ेगा।

चक्रवाती तूफान ‘यास’ पर प्रधानमंत्री के साथ हुई राहत समीक्षा बैठक में ग़ैरहाज़िर रहने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेता बहुत ही तीखी आलोचना कर रहे हैं तथा इसे राज्य की जनता के हितों के ख़िलाफ़, अर्मयादित, प्रोटोकॉल का उल्लंघन और अभूतपूर्व बता रहे हैं। लेकिन यह नई घटना नहीं है। इसके पहले ऐसा कई बार हो चुका है।  गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बैठक का बायकॉट किया था। उन्होंने ही नहीं, दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी ऐसा कई बार किया है।

‘इंडिया टुडे’ के अनुसार नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर, 2013 को राष्ट्रीय एकीकरण परिषद (नेशनल इंटीग्रेशन कौंसिल) की दिल्ली में हुई बैठक का बॉयकॉट किया था। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी।इस बैठक के ठीक पहले उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था, जिसमें 50 लोग मारे गए थे और 40 हज़ार से ज़्यादा बेघर हो गए थे। इस बैठक में सांप्रदायिक सद्भावना बढ़ाने और नफ़रत फैलाने वाले अभियानों पर रोक लगाने के उपायों पर चर्चा की गई थी। नेशनल इंटीग्रेशन कौंसिल की बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह भी ग़ैरहाज़िर थे। उस राज्य में बीजेपी की सरकार थी।

इसी तरह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव 21 फरवरी, 2021 को हुई नीति आयोग गवर्निंग कौंसिल की बैठक में ग़ैरहाज़िर थे। लेकिन उनके मुख्य सचिव उसमें मौजूद थे। इसी तरह 27 अप्रैल, 2020 को प्रधानमंत्रियों के साथ हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी मौजूद नहीं थे।आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी कोरोना लॉकडाउन हटाने पर 18 जून, 2020 को प्रधानमंत्री के साथ हुई वर्चुअल बैठक में शामिल नहीं हुए थे।ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक 16 अगस्त, 2019 को नीति आयोग की बैठक में ग़ैरहाज़िर थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles