नीतीश जी, यह मेवालाल चौधरी कौन है?

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कल आपने सातवीं दफा बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कायदे से आपके मुख्यमंत्रित्व की यह चौथी पारी है। आपको बधाई।  लेकिन जब आपके कैबिनेट सदस्यों के नाम देख रहा था, तो एक नाम श्री मेवालाल चौधरी का देखा। वह आपके दल से विधायक हैं।  मैं जानना चाहता हूँ कि आपने भ्रष्टाचार-निवारण के मामले में अपना नजरिया क्या अब बदल लिया है?

मुझे याद है 24 नवंबर, 2005 को आपने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और आप के साथ कैबिनेट मंत्री के रूप में श्री जीतनराम मांझी ने भी शपथ ली थी। श्री मांझी पर कदाचार अथवा भ्रष्टाचार का कोई मुकदमा चल रहा था। आप को जैसे ही मालूम हुआ आप ने उनका इस्तीफा मांग लिया था। मंत्री बनने के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया था। आप के इस निर्णय की प्रशंसा हुई थी। जब श्री मांझी न्यायालय से दोषमुक्त करार दिए गए थे, तभी मंत्रिमंडल में उन्हें आप ने शामिल किया था।

लेकिन क्या आप श्री मेवालाल चौधरी की कारगुजारियों के बारे में नहीं जानते थे ? उन पर मुकदमा तो आप के कार्य काल में ही हुआ था। उस वक़्त वह भागे चल रहे थे। आप से मिलने की कोशिश कर रहे थे और आप नजरअंदाज कर रहे थे। ऐसे व्यक्ति को टिकट देते या मंत्रिमंडल में शामिल करते आप ने कुछ नहीं सोचा? या आपका वह सिद्धांत केवल दलित मंत्री पर लागू होता है।

मेवालाल चौधरी पर नियुक्ति घोटाले का एक मामला (35 / 2017 शबोर थाना ) आज भी चल रहा है। उन पर 409, 420, 467 इत्यादि धाराओं से संबंधित मामले हैं। वह अभी जमानत पर चल रहे हैं। शबौर कृषि विश्वविद्यालय में वह उपकुलपति थे। 2012 -13 में प्राध्यापक और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति में जम कर भ्रष्टाचार हुआ था, जिस मामले में उन पर गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था।

2017 में आप केवल इस आधार पर भाजपा की गोद में जा बैठे थे कि आपके उपमुख्यमंत्री पर ईडी ने कोई नोटिस जारी की थी। आप उन्हें पब्लिक-डोमेन में जाने की नसीहत दे रहे थे। आपने अपने मेवालाल जी को ऐसी कोई नसीहत दी कि नहीं, यह नहीं जानता। हालांकि, पब्लिक डोमेन में कुछ दूसरी तरह की बातें तैर रही हैं। इसकी जानकारी तो आपको जरूर होगी। यदि नहीं है, तो होनी चाहिए।

(लेखक और चिंतक प्रेमकुमार मणि की फेसबुक वाल से साभार।)

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