नई दिल्ली। वरिष्ठ वकील और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक रुपये के लगाए गए जुर्माने को अदा कर देंगे।
लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “हालांकि मैं उचित कानूनी विकल्प के रास्ते से सजा के पुनर्विचार में जाने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखता हूं। मैं इस आदेश के सामने खुद को पेश करता हूं और पूरे सम्मान के साथ जुर्माना अदा करूंगा जैसा कि मैं किसी भी दूसरे कानूनी दंड के सामने करता।”
उन्होंने कहा कि मामला कभी भी मेरे बनाम सुप्रीम कोर्ट नहीं था और उससे भी ज्यादा मेरे बनाम कोई जज नहीं था। जब सुप्रीम कोर्ट जीतता है तो प्रत्येक भारतीय जीतता है।
उन्होंने कहा कि मेरे ट्वीट किसी भी रूप में सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने की नीयत से नहीं थे। बल्कि अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए थे जिसे मैंने उसके (सुप्रीम कोर्ट के) खरे रिकार्ड से उसके अलगाव के चलते महसूस किया। प्रशांत भूषण प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे।
एक संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की मैं बहुत ज्यादा सम्मान करता हूं। मैं इसे उम्मीद के आखिरी स्तंभ के तौर पर देखता हूं खासकर गरीबों और वंचित तबकों के लिए जो इसके दरवाजे पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए दस्तक देते हैं। और वह अक्सर शक्तिशाली सत्ता के किसी कारिंदे के खिलाफ होता है।
उन्होंने कहा कि हर भारतीय एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका चाहता है। निश्चित तौर पर अगर कोर्ट कमजोर होंगे तो वह गणतंत्र को कमजोर करता है। और इससे प्रत्येक नागरिक को नुकसान पहुंचता है।
उन्होंने कहा कि मैं अनगिनत लोगों द्वारा दिए गए समर्थन और सहयोग के लिए अपना आभार व्यक्त करता हूं। खासकर पूर्व जजों, वकीलों, कार्यकर्ताओं और हजारों हजार नागरिकों का। जिन्होंने हमें अपने विश्वास और अंतरात्मा में बिल्कुल अडिग बने रहने का साहस प्रदान किया। उन्होंने मेरी उम्मीदों को मजबूत करने का काम किया। उनका कहना था कि यह केस बोलने की आजादी और न्यायिक जवाबदेही और उसमें सुधारों के प्रति शायद देश का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे।
सबसे अहम बात यह थी इस केस में कि यह बोलने की आजादी के मामले में निर्णायक क्षण साबित हुआ और ऐसा लगता है कि इसने बहुत सारे लोगों को हमारे समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस दिया।
मैं अपने कर्तव्य में नाकाम रहूंगा अगर अपनी कानूनी टीम को धन्यवाद नहीं देता हूं। खासकर वरिष्ठ वकील राजीव धवन और दुष्यंत दवे को। मुझे पहले से भी ज्यादा अब इस बात में विश्वास हो गया है कि सच्चाई हमेशा जीतेगी।
लोकतंत्र जिंदाबाद। सत्यमेव जयते।
(अवधू आजाद की रिपोर्ट।)
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