अडानी के मुंद्रा पोर्ट से तीन हजार किलो हेरोइन जब्त, कीमत 9000 से 21 हजार करोड़

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गुजरात के कच्छ के मुंद्रा पोर्ट पर हेरोइन की सबसे बड़ी खेप पकड़ी गई है, जिसकी कीमत करीब 9000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। हिंदुस्तान टाइम्स तो गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर जब्त 3000 किलो ड्रग्स की कीमत 21 हजार करोड़ बता रहा है। दो कंटेनर्स से करीब 3000 किलो हेरोइन जब्त की गई है, जो अफगानिस्तान से इम्पोर्ट कर लाई गई थी। इसके साथ ही 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुंद्रा पोर्ट का मालिकाना हक अडानी पोर्ट के पास है। अडानी पोर्ट गौतम अडानी की कंपनी है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) और कस्टम के ऑपरेशन में हेरोइन की बरामदगी हुई है, जिसे एजेंसी ने जब्त कर लिया है।

गुजरात में राजस्व खुफिया निदेशालय ने ड्रग्स तस्करी से जुड़ी एक बहुत बड़ी कार्रवाई की है। डीआरआई ने दुनिया की सबसे बड़ी ड्रग्स तस्करी का खुलासा किया है। कच्छ के मुंद्रा पोर्ट में हुई इस कार्रवाई में एक नहीं, दो नहीं बल्कि 3 हजार किलो हेरोइन जब्त की गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 9 हजार करोड़ रुपए है। इस कार्रवाई में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस तस्करी से संबंधित कुछ अफगान नागरिकों की भी तलाश की जा रही है। इस छापे के बाद दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, गांधीधाम, मांडवी में भी छापेमारी कर तलाशी ली जा रही है।

मुंद्रा कोर्ट का स्वामित्व अदानी पोर्ट के पास है। अडानी पोर्ट प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी है। डीआरआई और कस्टम विभाग के संयुक्त ऑपरेशन में यह बड़ी मात्रा में हेरोइन जब्त करने में कामयाबी मिली है। पिछले पांच दिनों से इस संदर्भ में सर्च ऑपरेशन शुरू था। इस कार्रवाई के दौरान मुंद्रा पोर्ट के दो कंटेनर की तलाशी में 9 हजार करोड़ का ड्रग्स बरामद किया गया। इस ड्रग्स तस्करी से बहुत बड़े रैकेट के जुड़े होने की आशंका है।

हेरोइन ले जाने वाला कंटेनर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की एक ट्रेडिग कंपनी ने आयात किया था। इस फर्म ने कंटेनर में टेलकम पाउडर होने का झांसा दिया था। लेकिन तलाशी के वक्त गांधीनगर की फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम मौजूद थी। इस टीम ने टेस्ट कर यह बता दिया कि यह जिसे टेलकम पाउडर कहा जा रहा है, दरअसल वह हेरोइन है।

पहले कंटेनर में 199.58 किलोग्राम हेरोइन पायी गयी और दूसरे कंटेनर में 988.64 किलोग्राम हेरोइन पायी गयी। यानी 2 हजार 988.22 किलो ग्राम हेरोइन जब्त की गई है। अफगानिस्तान के कंधार स्थित हसन हुसेन लिमिटेड ने ये दोनों कंटेनर निर्यात किए हैं। ये कंटेनर ईरान के बंदरगाह अब्बास पोर्ट से आए हैं। यह दुनिया में अब तक जब्त की गई हेरोइन की सबसे बड़ी खेप है।

ढाई महीने पहले यानी जुलाई महीने में भी नवी मुंबई के न्हावाशेवा पोर्ट से 300 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी। उस वक्त भी कंटेनर ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट से लाए गए थे और तब भी हेरोइन को टेलकम पाउडर बता कर लाया जा रहा था। इसके बाद अगस्त महीने में भी न्हावाशेवा में ही डीआरआई ने 191 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी। हेरोइन की यह खेप पाकिस्तान से आई थी और इसे ईरान के चाबहार पोर्ट से भेजा गया था। तब इसे आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बता कर लाया जा रहा था।

इसके पहले जुलाई 2017 में गुजरात के समुद्र तट के पास से इंडियन कोस्ट गार्ड (आइसीजी) ने समुद्री जहाज से अब तक की सबसे बड़ी हेरोइन की खेप जब्त की थी। इस 15 सौ किग्रा हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3,500 करोड़ रुपये आंकी गई थी। भारत समेत दुनिया के अधिकांश देश हेरोइन, कोकीन या अन्य ड्रग तस्करी से परेशान हैं। अफगानिस्तान हेरोइन का शीर्ष उत्पादक देश है। पाकिस्तान के रास्ते जमीन और समुद्र से भारत में इसकी तस्करी होती है। पड़ोसी देश म्यांमार से भी देश में हेरोइन पहुंचाई जाती है।

अफगानिस्तान में विश्व की 90 फीसद हेरोइन उत्पादित होती है। वहां इसका उत्पादन सालाना हजारों टन है। वहां से इसे ईरान, पाकिस्तान समेत अन्य पड़ोसी देशों के रास्ते तस्करी के जरिये दुनियाभर में पहुंचाया जाता है। गांजा और हशीश उत्पादन में भी अफगानिस्तान शीर्ष पर है। ये उत्पादन वहां पाकिस्तान से सटे हेलमुंड और कंधार प्रांत के दक्षिणी इलाकों में होता है। करीब दो लाख हेक्टेयर भूमि पर इसका उत्पादन होता है। अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान में ओपियम पॉपी के उत्पादन क्षेत्र को संयुक्त रूप से गोल्डन क्रेसेंट कहते हैं।

अफगानिस्तान से पाकिस्तान के रास्ते भारत में पंजाब और राजस्थान में हेरोइन पहुंचाई जाती है। इसके लिए नियंत्रण रेखा पर तारों की बाड़ के नीचे पीवीसी पाइप, जानवरों के जरिये या अन्य माध्यम अपनाए जाते हैं। पुलिस और सेना इस तस्करी को पकड़ती भी है। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ भी सामने आ चुका है। अफगानिस्तान में एक किग्रा हेरोइन का उत्पादन खर्च एक करोड़ रुपये है। लेकिन वहां से तस्करी के जरिये भारत आने पर इसी एक किग्रा हेरोइन की कीमत सात करोड़ रुपये हो जाती है।

बरामदगी की कुछ बानगी देखिये

-08-मई-2021: दिल्ली में 860 करोड़ की हेरोइन बरामद, ड्रग्स तस्करी कर रहा अफगानी पति-पत्नी गिरफ्तार

-13 मई 2021; दिल्ली पुलिस ने बरामद की 250 करोड़ की हेरोइन, दो अफगानी नागरिकों समेत 5 गिरफ्तार

-3 जून 2021: बीकानेर में 300 करोड़ की कीमत की 54 किलो हेरोइन बीएसएफ ने पकड़ी \

-10-जुलाई-2021: दिल्ली पुलिस ने 2500 करोड़ रुपये की 350 किलो से अधिक हेरोइन के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया ।

-23 जुलाई2021: भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से अफगानिस्तान में बनी 14 करोड़ रुपये की हेरोइन बरामद

-11 अगस्त 2021: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तेहरान से शैम्पू में 7 किलो 620 ग्राम हेरोइन छिपाकर ला रहे 2 अफगानिस्तानी तस्करों को कस्टम विभाग ने गिरफ्तार कर लिया।

-21 अगस्त 2021: पंजाब पुलिस ने अमृतसर में 40.81 किलोग्राम हेरोइन के 39 पैकेट जब्त किये ,जिसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में करीब 200 करोड़ रुपये है

– अप्रैल, 2017; जोधपुर में अहमदाबाद से गई ट्रक से 1,745 किग्रा पॉपी हस्क (ओपियम पॉपी का हिस्सा) बरामद किया गया।

– 2012: पाकिस्तान से आई मालगाड़ी से सीमेंट की बोरियों में 105 किग्रा हेरोइन बरामद हुई

अफ़ग़ानिस्तान में होने वाली अफ़ीम से जो हेरोइन बनायी जाती है, उसके 95% हिस्से का इस्तेमाल यूरोप में होता है। अमेरिकी ड्रग इंफ़ोर्समेंट एजेंसी के मुताबिक अमेरिका में हेरोइन आपूर्ति का महज़ एक प्रतिशत हिस्सा अफ़ग़ानिस्तान से आता है। यहां अधिकांश हिस्सा मेक्सिको से पहुंचता है।2017 से 2020 के बीच 90% से अधिक नशीले पदार्थों की तस्करी सड़क के रास्ते हुई है।लेकिन हाल के दिनों में हिंद महासागर और यूरोप के बीच समुद्री मार्ग के रास्तों पर ज़्यादा ड्रग्स ज़ब्त किए जा रहे हैं।

अफ़ीम की खेती, उत्पादन और उसको ज़ब्त किए जाने के मामले बीते दो दशक के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में यह लगातार बढ़े है।अमेरिकी वॉचडॉग स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फ़ॉर अफ़ग़ान रिकंस्ट्रक्शन के मुताबिक़, अफ़ीम को ज़ब्त किए जाने और तस्करों की गिरफ़्तारी का इसकी खेती पर कोई असर नहीं पड़ता है।इसके मुताबिक़, 2008 से अब तक जितनी अफ़ीम ज़ब्त हुई है, वह 2019 के एक साल के उत्पादन का महज़ आठ प्रतिशत हिस्सा है।

 (जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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