Saturday, April 20, 2024

प्रिया रमानी के आरोप कायम, एमजे अकबर का मुकदमा ख़ारिज

यह कहते हुए कि एक महिला को दशकों बाद भी अपनी शिकायत किसी भी मंच पर रखने का अधिकार है, दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी को बरी कर दिया है। इससे पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर को झटका लगा है और प्रिया रमानी के आरोपों की कोर्ट ने प्रकारांतर से पुष्टि कर दी है। अदालत ने कहा है कि संविधान ने अनुच्छेद 21 और समानता का अधिकार दिया है। प्रिया रमानी को अपनी पसंद के प्लेटफॉर्म पर आप बीती बताने का पूरा हक था। रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसे लेकर अकबर ने 15 अक्तूबर, 2018 को शिकायत दायर की थी। 

राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रिया रमानी के खिलाफ अकबर की शिकायत पर कहा कि एक महिला को दशकों बाद भी अपनी शिकायत किसी भी मंच पर रखने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जिस देश में महिलाओं के सम्मान के बारे में रामायण और महाभारत लिखी गई, वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं, यह शर्म की बात है। मीडिया की एक बड़ी हस्ती रहे अकबर विदेश राज्य मंत्री बने पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था । 

रमानी के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने मानहानि का केस किया था। 2018 में जब देश में मी टू कैम्पेन शुरू हुआ था, तब रमानी ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। रमानी ने जिस घटना का हवाला दिया था, वह दो दशक पुरानी थी। तब अकबर जर्नलिस्ट थे। 20 साल बाद जब रमानी ने उनके नाम का खुलासा किया, तब अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे।

अदालत का का कहना है कि प्रिया रमानी ने जो भी खुलासा किया, वह वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न के विरोध में उठाया गया कदम था। समाज को यह समझना होगा कि महिलाओं पर यौन उत्पीड़न का कैसा असर होता है। इस तरह का उत्पीड़न गरिमा के खिलाफ है और यह आत्मविश्वास छीन लेता है। व्यक्तिगत गरिमा की कीमत पर किसी की छवि को बनाए नहीं रखा जा सकता। जो व्यक्ति सोशल स्टेटस रखता है, वह भी यौन उत्पीड़न कर सकता है।

अदालत का का कहना है कि इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि यौन उत्पीड़न के ज्यादातर मामले बंद दरवाजों के पीछे होते हैं।विक्टिम कई बार यह नहीं समझ पाती कि उनके साथ क्या हुआ है इसलिए महिलाओं को दशकों बाद भी अपनी शिकायत बताने का अधिकार है। रामायण में सीता की मदद के लिए जटायु आगे आए थे। जब लक्ष्मण से भी सीता के बारे में बताने को कहा गया था तो उन्होंने कहा था कि उनकी नजर कभी सीता जी के पैरों से ऊपर ही नहीं गई। भारतीय मूल्यों में महिलाओं के प्रति सम्मान का यह एक उदाहरण है। शर्म की बात है कि महिलाओं के खिलाफ ऐसे देश में अपराध हो रहे हैं, जहां महिलाओं के सम्मान को लेकर महाभारत और रामायण लिखी जा चुकी है।

गौरतलब है कि 2017 में जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने एक मैगजीन के लिए एक आर्टिकल लिखा था। इसमें उन्होंने करीब 20 साल पहले नौकरी के लिए इंटरव्यू के दौरान बॉस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। 2018 में जब देश में मी टू कैम्पेन शुरू हुआ, तब रमानी ने खुलासा किया कि उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति एमजे अकबर ही थे।इन आरोपों के चलते 17 अक्तूबर, 2018 को अकबर को मंत्री पद छोड़ना पड़ा। अकबर ने इसके बाद रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया।

प्रिया ने लिखा था, ‘आपने मुझे करियर का पहला पाठ पढ़ाया। मैं तब 23 साल की थी और आप 43 के। आपको पढ़ते हुए मैं बड़ी हुई थी। प्रोफेशनली आप मेरे हीरो थे। सभी कहते थे कि आपने देश की पत्रकारिता को बदल दिया है इसलिए मैं आपकी टीम का हिस्सा बनना चाहती थी। आपने मुझे इंटरव्यू के लिए साउथ मुंबई के एक होटल में बुलाया। शाम के 7 बज रहे थे। होटल की लॉबी में पहुंचकर मैंने आपको फोन किया। आपने कहा आ जाओ। रूम में डेटिंग जैसा माहौल ज्यादा था, इंटरव्यू का कम। 

आपने मुझे ड्रिंक ऑफर किया। मैंने मना कर दिया। आपने वोदका ली। एक छोटे टेबल मैं और आप इंटरव्यू के लिए आमने-सामने थे। वहां से मुंबई का मरीन ड्राइव दिख रहा था। आपने कहा कितना रोमांटिक लग रहा है। आपने हिंदी फिल्म का पुराना गाना सुनाया और मुझसे संगीत पर मेरी रुचि पूछने लगे। रात बढ़ती जा रही थी, मुझे घबराहट हो रही थी। कमरे में बिस्तर भी था, अपने कहा यहां आ जाओ, यहां बैठ जाओ, मैंने कहा नहीं मैं कुर्सी पर ही ठीक हूं। उस रात मैं किसी तरह बच गई।

आपने मुझे काम दे दिया, मैंने कई महीने आपके साथ काम किया लेकिन सोच लिया था कि कभी आपसे कमरे में अकेले नहीं मिलूंगी। सालों बाद भी आप नहीं बदले। आपके यहां जो भी नई लड़की काम करने आती थी, आप उस पर अपना अधिकार समझते थे। आप उन्हें प्रभावित करने के लिए गंदी-गंदी तरकीबें अपनाते थे। उनसे कहते, मेरी तरफ देखो, पूछते थे क्या तुम्हारी शादी हो गई है, कंधा रगड़ते थे, आप भद्दे फोन कॉल और मैसेज करने में एक्सपर्ट हैं। आप बखूबी जानते हैं कि कैसे चुटकी काटी जाए, जकड़ा जाए, आपके खिलाफ बोलने की अब भी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। ज्यादातर युवा महिलाएं ये कीमत अदा नहीं कर सकती हैं।

ट्रायल के दौरान अकबर ने अदालत को बताया कि रमानी के आरोप काल्पनिक हैं। इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है। दूसरी ओर, रमानी अपने दावों पर टिकी रहीं। रमानी के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका। इस मामले में एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने एक फरवरी को दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

प्रिया रमानी मीडिया इंडस्ट्री में लंबे समय से हैं। उन्होंने इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस आदि समूहों के साथ काम किया है। वह न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के साथ भी काम कर चुकी हैं। वह अंतरराष्ट्रीय फैशन मैगजीन कॉस्मोपॉलिटन की संपादक और मिंट अखबार में फीचर एडिटर रही हैं। इसके अलावा वह पब्लिशिंग हाउस जगरनॉट की भी संपादक रही हैं। पारिवारिक बैकग्राउंड की बात करें तो वह बेंगलुरु में रहती हैं और वहीं के एक पत्रकार से उन्होंने शादी की है।

वर्ष 2008 में मूवी ‘हॉर्न ओके प्लीज’ के सेट पर तनुश्री दत्ता के साथ कुछ घटना हुई थी। तनुश्री ने नाना पाटेकर और कोरियोग्राफर गणेश आचार्य पर आरोप लगाए थे। तब मामले ने इतना तूल नहीं पकड़ा। 10 साल बाद 2018 में तनुश्री भारत लौटीं और एक इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने उस घटना का दोबारा जिक्र किया। कुछ लोगों ने इसे मी टू  से जोड़ दिया।इसके बाद अभिनेता आलोक नाथ, केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर, केरल के माकपा  विधायक माधवन मुकेश और डायरेक्टर विकास बहल भी यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिर गए थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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