मणिपुर यात्रा: राहुल गांधी बोले-जान-माल की सुरक्षा शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता

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नई दिल्ली। मणिपुर अशांत है। पिछले दो महीने से हिंसा की गिरफ्त में होने से हम आम और खास नागरिक के जीवन की सामान्य गतिविधियां भी बंद है। राज्य की एन. बीरेन सिंह और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का दावा है कि राज्य में हिंसक वारदातें बंद हो गई हैं। स्थिति पर नियंत्रण है और बड़ी तेजी से हालात सामान्य हो रहे हैं। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा ने मणिपुर और केंद्र सरकार के दावे की पोल खोलकर रख दी है।

राहुल गांधी के मणिपुर पहुंचने के पहले ही राज्य में एक बार माहौल खराब करने की कोशिश हुई। सूचना के मुताबिक गुरुवार सुबह करीब 5:30 बजे इम्फाल पश्चिम की सीमा पर कांगपोकपी जिले के हरोथेल गांव पर मैतेई समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया। यह गांव कुकी बहुल है। जिसके बाद कुकी की ओर से जवाबी गोलीबारी में लोगों की मौत हो गई।

सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि “घटनास्थल की ओर जाते समय, सुरक्षा टुकड़ियों पर भी सशस्त्र दंगाइयों ने प्रभावी गोलीबारी की। सैनिकों की त्वरित कार्रवाई के परिणामस्वरूप गोलीबारी बंद हो गई। अतिरिक्त टुकड़ियों को क्षेत्र में ले जाया गया।”

राहत शिविर में राहुल गांधी

इस घटना से गुरुवार शाम को इंफाल शहर के मध्य में ताजा तनाव पैदा हो गया और सैकड़ों लोग घटना के विरोध में सड़क पर उतर आए।

राहुल गांधी मणिपुर के दो दिवसीय यात्रा पर हैं। शुक्रवार को उनकी यात्रा का दूसरा दिन है। लेकिन पहले दिन से ही सरकार राहुल गांधी की यात्रा में व्यवधान डाल कर उन्हें वापस दिल्ली भेजना चाहती थी। लेकिन जनदबाव ने शासन की मंशा पर पानी फेर दिया।

शुक्रवार सुबह राहुल गांधी इंफाल से मोइरांग पहुंचे। वहां उन्होंने राहत शिविरों में प्रभावित लोगों से बातचीत किया। बाद में, वह इंफाल में समान विचारधारा वाले 10 पार्टी नेताओं, यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) के नेताओं और नागरिक समाज संगठन के सदस्यों से मुलाकात करेंगे। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र के हवाले से कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज अपने इंफाल होटल में ‘समान विचारधारा वाले’ पार्टी नेताओं, यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) के नेताओं और नागरिक संगठनों के सदस्यों से मुलाकात करेंगे।

सुरक्षा बलों से हाथ मिलाते राहुल गांधी

गुरुवार को बिष्णुपुर इलाके में पुलिस द्वारा उनके काफिले को रोके जाने के बाद राहुल को राहत शिविरों का दौरा करने के लिए चुराचांदपुर जाने के लिए हेलिकॉप्टर लेना पड़ा। भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह मणिपुर के भाइयों और बहनों की बात सुनने आए थे लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोका जा रहा है। “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है। मणिपुर को समाधान की जरूरत है। शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए।”

मणिपुर के राहत शिविर यातना शिविर में बदल गए हैं। दो महीने से लोग अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में रह रहे हैं लेकिन अभी तक पता नहीं है कि राज्य में कब शांति होगी। राहत शिविरों में राहुल के पहुंचते ही पीड़ितों की भावनाएं आंसूओं के शक्ल में बाहर निकल रहे हैं।

गुरुवार को चुराचांदपुर राहत शिविर में राहुल गांधी ने बच्चों के साथ दोपहर का भोजन किया। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसकी तस्वीरें साझा कीं।

गुरुवार को जब राहुल गांधी को चुराचांदपुर जाते समय पुलिस ने रोका तो बिष्णुपुर में लोग पुलिस का विरोध करने के लिए उमड़ पड़े। बिष्णुपुर हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है, जिसमें 3 मई से अब तक 130 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

शुक्रवार को राहुल गांधी ने राहत शिविरों में पीड़ितों से मिलने के बाद कहा कि मैं मणिपुर के लोगों का दर्द साझा करता हूं। यह एक भयानक त्रासदी है। यह मणिपुर के सभी लोगों और भारत के लोगों के लिए भी अत्यंत दुखद और दर्दनाक है।

मैं शिविरों में गया और सभी समुदायों के लोगों से मिला। एक बात जो मैं सरकार से कहूंगा वह यह है कि शिविरों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। खानपान में सुधार की जरूरत है। दवाओं की आपूर्ति की जानी चाहिए। ऐसी शिकायतें कैंपों से आई हैं।

मैं मणिपुर में हर किसी से अपील करूंगा कि हमें शांति की जरूरत है। मेरी सभी से पुरजोर अपील है कि हिंसा से किसी को कुछ नहीं मिलेगा।

शांति ही आगे बढ़ने का रास्ता है और हर किसी को अब शांति के बारे में बात करनी चाहिए और उसकी ओर बढ़ना शुरू करना चाहिए। मैं यहां हूं और इस राज्य में शांति लाने के लिए हर संभव मदद करूंगा।

मैं मणिपुर के सभी लोगों से प्यार करता हूं और एक बार फिर, यह एक भयानक त्रासदी है, और हमें यहां शांति लाने की जरूरत है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के मोइरांग में दो राहत शिविरों का दौरा किया। इंफाल से हेलीकॉप्टर द्वारा सुबह करीब साढ़े नौ बजे मोइरांग पहुंचे गांधी ने कई प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। राज्य में शांति व्यवस्था स्थापित करने के मुद्दे पर वे राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मिले।

राहुल गांधी ने जिन दोनों शिविरों का दौरा किया, वहां करीब 1,000 लोगों ने शरण ली है। उनके साथ मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह, पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल, पीसीसी अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह और पूर्व सांसद अजय कुमार भी थे।

मोइरांग को ऐतिहासिक रूप से उस शहर के रूप में जाना जाता है जहां आईएनए ने 1944 में भारतीय तिरंगा फहराया था।

राहुल गांधी ने कहा कि वह समझते हैं कि मणिपुर में एक “त्रासदी” हुई है और वह जो कुछ हुआ है उसे “सुनने और समझने” और “शांति वापस लाने” का प्रयास करने के लिए मणिपुर आए थे।

उन्होंने कहा, “आप बहुत कठिन समय से गुजर रहे हैं… मेरा दिल और मेरे कान आपके साथ हैं।” राहुल ने कहा कि अगर राहत शिविरों में कोई समस्या होगी तो हम अपने लोगों को यहां भेजेंगे।

शिविर में लड़की हुई भावुक तो राहुल गांधी ने गले लगाया

बिष्णुपुर एक मैतेई-बहुल जिला है जबकि चुराचांदपुर एक कुकी-ज़ो-बहुल जिला है। 3 मई से दोनों समुदायों के बीच झड़पों ने राज्य को खतरे में डाल दिया है, जिसमें कम से कम 133 लोगों की जान चली गई और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।

मणिपुर में कलह के बीच दौरा करने वाले राहुल विपक्षी खेमे के पहले महत्वपूर्ण नेता हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मई से 1 जून तक यात्रा पर राज्य का दौरा किया था।

मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “निरंतर चुप्पी” को लेकर मणिपुर के लोगों में स्पष्ट नाखुशी है, और राहुल की यात्रा और उन्हें मिला समर्थन मोदी के आज तक न आने को सुर्खियों में बनाए रखेगा।

चुराचांदपुर में, राहुल ने दो राहत शिविरों का दौरा किया और नागरिक समाज संगठनों और पीड़ित परिवारों से संक्षिप्त बातचीत की। चुराचांदपुर की मान्यता प्राप्त कुकी-ज़ो जनजातियों के समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कांग्रेस नेता को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया कि झड़पें “दो समुदायों के बीच गलतफहमी से उत्पन्न होने वाली एक सहज घटना नहीं थीं, बल्कि एक सावधानीपूर्वक घटना थीं।” एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार और उसके कट्टरपंथी गैर-सरकारी सहयोगियों द्वारा जनजातीय भूमि को हड़पने और जातीय सफाए की शुरुआत करने के अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को पूरा करने के लिए सुनियोजित योजना बनाई गई है।

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प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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