नई दिल्ली। केंद्र सरकार के खिलाफ राजनीतिक दलों का नया गठबंधन आकार लेने लगा है। इस सिलसिले में क्षेत्रीय दलों ने पहल की है और इसकी अगुआई शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) कर रहा है। पार्टी ने सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल तैयार किया है जो तमाम क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर रहा है।
इसी सिलसिले में चंदूमाजरा ने तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की है। और उनसे एनडीए सरकार के खिलाफ साझा मोर्चा बनाने के लिए समर्थन मांगा है। शनिवार को कोलकाता में हुई इस मुलाकात में टीएमसी के सांसद सुदीप बनर्जी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी 8 दिसंबर के बुलाए गए भारत बंद का नैतिक तौर पर समर्थन करेगी। उस बैठक में टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रेयन और श्रममंत्री मलय घटक भी मौजूद थे।
रविवार यानी कि आज चंदूमाजरा की एनसीपी मुखिया शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात होनी है। चंदूमाजरा ने बताया कि “अगले हफ्ते यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी एक बैठक तय है।”
उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रीय दल इस बात को महसूस कर रहे हैं कि एनडीए सरकार के तानाशाह रवैये के खिलाफ हमें एकजुट होना चाहिए। संघीय ढांचे पर हमले का मुकाबला करने के लिए यह समय की जरूरत है। और सबसे खास बात यह है कि कोई मजबूत विपक्ष न होने से क्षेत्रीय दलों को एक साझे मोर्चे की जरूरत महसूस हो रही है।
इस वरिष्ठ अकाली नेता की कुछ दिनों पहले बीजू जनता दल के नेताओं से भी मुलाकात हो चुकी है। देश की मौजूदा स्थितियों को लेकर बहुत जल्द एक साझा बयान आ सकता है। शिवसेना के सांसद और पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने भी इस बैठक की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि अकाली दल के नेता शनिवार को मुंबई आ रहे हैं। वो कल (आज) ठाकरे और पवार से मिलेंगे। और आगे की रणनीति और भारत बंद के मुद्दे पर दोनों से बात करेंगे।
राउत ने बताया कि उनके पास शुक्रवार को अकाली नेताओं का फोन आया था। जब वह अस्पताल में भर्ती थे और वहां से डिस्चार्ज होने की प्रक्रिया चल रही थी।
यह पहल तब हो रही है जब किसानों ने अपनी मांगों को मनवाने के क्रम में भारत बंद का ऐलान किया है। इसके पहले अकाली दल के वरिष्ठतम नेता प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में अपना पद्म विभूषण पदक लौटाने की घोषणा की थी। महाराष्ट्र की स्वाभिमान शेतकारी संगठन और प्राहर संगठन पहले से ही किसानों के आंदोलन के समर्थन में हैं।