Friday, April 19, 2024

कड़ी शर्तों के साथ सफूरा जरगर को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक्टिविस्ट सफूरा जरगर को जमानत दे दी है। सफूरा को यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उन पर दिल्ली दंगों की साजिश का आरोप लगाया था। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि उन्हें मानवाधिकार के आधार पर रिहा करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। दरअसल सफूरा चार महीने के गर्भ से हैं और पिछले डेढ़ महीने से जेल की सलाखों के पीछे हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में जेल सबसे खतरनाक जगह बन गयी है। और ऐसे में उनके जेल में रहने पर न केवल सफूरा के लिए बल्कि उनके बच्चे के लिए यह बेहद खतरा था।

इसको लेकर पूरे देश में आवाजें उठीं। और लोगों ने सफूरा को तत्काल रिहा करने की मांग की थी। सफूरा को गिरफ्तार हुए 22 हफ्ते बीत गए हैं। उन्हें 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। आज दिल्ली पुलिस की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा कि वह बगैर केस की मेरिट पर गए और किसी दूसरे मसलों पर विचार किए अगर सफूरा को जमानत मिलती है तो वह उसका विरोध नहीं करेंगे। 

सफूरा के वकील नित्या राम कृष्णन ने कहा कि सफूरा को अपने डॉक्टर से मिलने के लिए फरीदाबाद जाना पड़ सकता है। उसके बाद जस्टिस राजीव शखधर की बेंच ने सफूरा को 10 लाख रुपये की जमानत पर कुछ शर्तों के साथ नियमित बेल देने के लिए तैयार हो गए।

जिसमें कहा गया है कि वह उन गतिविधियों में शामिल नहीं होंगी जिसका उनके ऊपर आरोप है। वह जांच को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी। दिल्ली से बाहर जाने के लिए वह संबंधित कोर्ट से इजाजत लेंगी। जांच करने वाले अफसर से वह हर 15 दिनों में मिलकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहेंगी।

एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले के आदेश को किसी अन्य मामले में मिसाल के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। एकल पीठ ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि उन्हें राज्य से सील कवर में कुछ दस्तावेज प्राप्त हुए थे, जिन्हें उन्होंने नहीं खोला है और न ही प्रतिवाद किया है। उन्होंने कहा कि ये सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय में वापस भेज दिए जाएंगे। 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा गिरफ्तार की गई सफूरा ज़रगर ने ट्रायल कोर्ट से अपनी ज़मानत खारिज होने के 4 जून के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

ट्रायल कोर्ट ने जरगर को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब आप अंगारे के साथ खेलना चुनते हैं, तो आप हवा को दोष नहीं दे सकते कि चिंगारी थोड़ी दूर तक पहुंच जाए और आग फैल जाए। ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि जांच के दौरान एक बड़ी साजिश की जांच की गई और अगर किसी साजिशकर्ता द्वारा किए गए षड्यंत्र, कृत्यों और बयानों के सबूत थे, तो यह सभी के खिलाफ स्वीकार्य है।ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि भले ही आरोपी (जरगर) ने हिंसा का कोई काम नहीं किया था, वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत अपने दायित्व से नहीं बच सकती।

दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट एवं ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं है, जिसकी उसने सुनियोजित योजना बनाई और उसे अंजाम दिया।

दिल्ली की स्पेशल टीम के अपनी रिपोर्ट में बताया कि गवाह और सह आरोपी ने स्पष्ट रूप से जरगर को बड़े पैमाने पर बाधा डालने और दंगे के गंभीर अपराध में सबसे बड़े षड्यंत्रकारी के तौर पर बताया है। वह न केवल राष्ट्रीय राजधानी बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी दंगे की षड्यंत्रकारी है। इसके आधार पर जमानत नहीं देने को कहा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि षड्यंत्र के पीछे यह विचार था कि ‘किसी भी हद तक जाएं’ भले ही यह पुलिस के साथ छोटा संघर्ष हो या दो समुदायों के बीच दंगा भड़काना हो या ‘‘देश की वर्तमान सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देकर अलगाववादी आंदोलन को चलाने’’ की वकालत करना हो।

वहीं जरगर की ओर से पेश हुईं वकील नित्या रामकृष्णन ने सुनवाई में कहा था महिला नाजुक हालत में हैं और चार महीने से ज्यादा की गर्भवती हैं और अगर पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए तो छात्रा को कुछ वक्त के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। इस पर एकल पीठ  ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से मंगलवार को निर्देश लेकर आने को कहा था।

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत 10 अप्रैल को सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया गया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।

Related Articles

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।