Friday, April 19, 2024

किसान विरोधी बीजेपी और उसके सहयोगियों को सजा देने का वक्त: किसान मोर्चा

(संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए अलग से अपील जारी की है। मोर्चे ने अपनी अपील में कहा है कि यह मौका बीजेपी और उसके सहयोगियों को सजा देने का है। लिहाजा बीजेपी को सबक सिखाने के लिए यह जरूरी हो गया है कि जहां वह सत्ता में है उससे उसे बेदखल किया जाए और जहां सत्ता में नहीं है उसे उसकी सीढ़ी पर चढ़ने से पहले ही रोक दिया जाए। पेश है मोर्चे की पूरी अपील-संपादक)

असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्यारे किसान भाइयों और बहनों,

पिछले 105 दिनों से, लाखों किसान अपने गांवों और खेती को छोड़कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और टेंटों में दिल्ली के दरवाजे पर डेरा डाले हुए हैं। यहां, किसानों ने दिल्ली की हड्डियों को ठंडा करने वाली क्रूर सर्दी का सामना किया है। अब, एक चिलचिलाती गर्मी की शुरुआत हो रही है। हालाँकि, किसानों का वापस घर जाने का कोई इरादा नहीं है।

वे यहां अपने मूल अधिकारों के संरक्षण के लिए लड़ रहे हैं।

विरोध करने वाले किसान सिर्फ अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी भारत की खेती को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे यहां देश में किसानों की गरिमा संरक्षित करने के लिए संघर्षरत हैं। इस संघर्ष में अब तक लगभग 290 किसानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी है- कुछ अत्यधिक ठंड की वजह से, कुछ बीमारियों की वजह से, कुछ दुर्घटनाओं में और कुछ जिन्होंने खुद अपनी जान लेने का चरम कदम उठाया।

हम केंद्र और उन राज्यों में भाजपा सरकार की कठोर सच्चाई को आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे जहां यह सत्ता में है:

• भाजपा सरकार तीन किसान विरोधी कानून लेकर आई, जो गरीब किसानों और उपभोक्ताओं के लिए सरकार से किसी भी प्रकार के संरक्षण को समाप्त कर देते हैं, और साथ ही कॉरपोरेट और बड़े पूँजीवादियों के विस्तार की सुविधा प्रदान करते हैं। उन्होंने किसानों से बिना पूछे किसानों के लिए इस तरह के फैसले लिए हैं। ये ऐसे कानून हैं जो हमारे भविष्य के साथ-साथ हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी नष्ट कर देंगे।

• भाजपा सरकार ने इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाले किसानों को बदनाम दिया – उन्हें राजनीतिक दलों के एजेंट के रूप में, चरमपंथियों और राष्ट्र-विरोधी के रूप में पेश किया गया और लगातार अपमान किया गया।

• भाजपा सरकार के मंत्रियों ने किसान नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत करने का दिखावा किया लेकिन वास्तव में किसानों ने जो कहा उसे ध्यान से नहीं सुना।

• भाजपा सरकारों ने प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले, वाटर केनन चलाने, लाठीचार्ज करने और यहां तक ​​कि झूठे मामले दर्ज करने और निर्दोष किसानों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए।

• भाजपा के सदस्य किसानों के विरोध स्थलों में किसानों पर पथराव की हिंसक घटनाओं में शामिल थे।

किसानों के खिलाफ इस अपमान और हमले का जवाब देने के लिए, हम अब आपकी मदद चाहते हैं।

कुछ दिनों में, आपके राज्यों में, आप सभी राज्य विधान सभाओं के लिए अपने चुनावों में मतदान करेंगे। हम समझ चुके हैं कि मोदी सरकार संवैधानिक मूल्यों,  सत्यता, भलाई, न्याय आदि की भाषा नहीं समझती है। ये वोट, सीट और सत्ता की भाषा समझते हैं। आप सब में इनमें सेंध लगाने की शक्ति है।

बीजेपी दक्षिणी राज्यों में अतिक्रमण करने को लेकर बहुत उत्साहित है और सहयोगी दलों के साथ मिलकर ये काम करेगी। यह वह समय है जब असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किसान सत्ता की भूखी और किसान विरोधी भाजपा को अच्छा सबक सिखा सकते हैं। बीजेपी को सबक सीखना चाहिए कि भारत के किसानों के खिलाफ खुद को खड़ा करना कोई समझदारी नहीं है। यदि आप उन्हें यह सबक सिखाने का यत्न करते हैं, तो इस पार्टी का अहंकार टूट सकता है, और हम चल रहे किसानों के आंदोलन की मांगों को इस सरकार से मनवा सकते हैं।

SKM आपको यह बताने की कोशिश नहीं करता है कि आपको किसे वोट देना चाहिए, लेकिन आपसे केवल भाजपा को वोट नहीं देने के लिए कह रहा है। हम किसी पार्टी विशेष की वकालत नहीं कर रहे हैं। हमारी केवल एक अपील है – कमल के निशान को गलती से भी वोट न दें।

पिछले साढ़े महीनों से किसान दिल्ली के आसपास धरना स्थलों से वापस घर नहीं गए है।

दिल्ली की सीमाओं पर संघर्ष कर रहे प्रदर्शनकारी किसान अपने परिवारों से कब मिलेंगे, यह आपके हाथों में है। एक किसान ही दूसरे किसान के दर्द और पीड़ा को समझेगा। असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किसानों के संघर्ष व लड़ने की भावना सर्वविदित है, और हमें विश्वास है कि आप हमारे इस आह्वान का सकारात्मक जवाब देंगे। हमें यकीन है कि आप वोट डालते समय यह अपील याद रखोगे।

 आपका अपना,

सयुंक्त किसान मोर्चा

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