DRDO भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान क्षेत्र में प्रमुख संगठन है। आम लोगों की जानकारी से दूर रहते हुए इस संगठन में कार्यरत कर्मचारी, वैज्ञानिक भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए काम करते हैं। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम डीआरडीओ से अभिन्न रूप से जुड़ा रहा है। DRDO की इंजीनियरिंग शाखा के प्रमुख, वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को महाराष्ट्र की एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) ने दुश्मन देश को भारत की ख़ुफ़िया जानकारी के आरोपों में मई माह के पहले सप्ताह में ही गिरफ्तार कर लिया था। कुछ समाचारपत्रों में इस बारे में खबर भी आई थी, लेकिन हाल ही में उनके बारे में कुछ और जानकारियां प्राप्त हुई हैं, जो बेहद चौंकाने वाली हैं।
प्रदीप कुरुलकर मूलतः पुणे निवासी हैं। इनका परिवार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के साथ घनिष्ठ रूप से लंबे समय से जुड़ा हुआ है। प्रदीप के दादा से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। प्रदीप कुरुलकर की आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व के बीच तक पैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आरएसएस में सर्वोच्च पद पर आसीन सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति में मंच पर उन्हें मराठी में बोलते देखा जा सकता है।
हालांकि इस घटना के प्रकाश में आने के बाद ही कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली मुख्यालय से एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कुरुलकर की गिरफ्तारी को एक बेहद गंभीर मामला करार दिया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए इसे आरएसएस के ‘राष्ट्र विरोधी चेहरे’ को एक बार फिर से उजागर होने की बात कही थी। कांग्रेस प्रवक्ता ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा था कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इस बात का जवाब देना चाहिए कि कुरुलकर और आरएसएस के बीच क्या संबंध हैं, क्योंकि यह मामला राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। हालांकि मीडिया द्वारा कुरुलकर की संघ के साथ रिश्ते की खबर को दबा दी गई, और मामला भारतीय वैज्ञानिक और हनी ट्रैप में फंसकर देश की सुरक्षा से संबंधित ख़ुफ़िया जानकारी लीक करने की घटना तक सीमित कर दी गई।
ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद जुबैर और अशोक स्वैन ने एक वीडियो लिंक साझा करते हुए प्रदीप कुरुलकर और आरएसएस की नजदीकियों को पुष्ट किया है। अशोक स्वैन ने अपने ट्वीट में कहा है भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के डायरेक्टर को पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में की गिरफ्तार किया गया है, वह असल में हिंदू सर्वोच्चतावाद की जननी आरएसएस का वरिष्ठ सदस्य निकला! इस वीडियो लिंक के ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया में आने के बाद बड़ी संख्या में लोगों की उत्सुकता बढ़ गई है। कथित राष्ट्रीय मीडिया के विपरीत मराठी न्यूज़ इस बारे में प्रमुखता से कवर कर रहे हैं।
10 मई की कांग्रेस पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस में पवन खेड़ा ने दावा किया था कि प्रदीप कुरुलकर की चार पीढियां आरएसएस से जुड़ी रही हैं। 59 वर्षीय प्रदीप की चार पीढ़ियों का आरएसएस से संबंध का अर्थ है यह परिवार आरएसएस के जन्म से ही जुड़ा हुआ है। पवन खेड़ा ने अपने बयान में कहा है कि प्रदीप आरएसएस में संस्कार भारती के संगठन मंत्री रहे हैं। हनी ट्रैप के मसले पर पवन खेड़ा ने कहा “असली हनी ट्रैप तो किसी डीआरडीओ प्रमुख का आरएसएस के शाखा संगठन से जुड़े होना है। इसके पहले भी ऐसे मामले प्रकाश में आते रहे हैं। ध्रुव सक्सेना, यशवंत शिंदे का मोड्यूल इसी प्रकार से संघ से जुड़े संदिग्ध व्यक्तियों के इतिहास की पुष्टि करता है।”
खेड़ा ने अपने बयान में कहा है कि ‘प्रधानमंत्री की नाक के नीचे डीआरडीओ निदेशक के पद पर बैठा व्यक्ति जो कि आरएसएस का बेहद करीबी है, वह पाकिस्तान को संवेदनशील सूचनाएं दे रहा था। यह गद्दार यदि किसी अन्य राजनीतिक दल से जुड़ा होता तो मीडिया इसके अलावा कोई और खबर नहीं चला रही होती।
अक्टूबर 2022 में यह मामला प्रकाश में आया था। अक्टूबर से फरवरी 2023 तक 5 महीनों के दौरान इस शख्स की पाकिस्तान की महिला के साथ व्हाट्सअप चैट और लैपटॉप से ख़ुफ़िया जानकारी के आदान-प्रदान चलता रहा। फरवरी में एटीएस ने कार्रवाई करते हुए फोन और लैपटॉप अपने कब्जे में कर लिया था। लेकिन गिरफ्तारी मई में हुई है, और सूचना मिल रही है कि 19 मई तक कुरुलकर की हिरासत बढ़ा दी गई है।
ग्रेड एच श्रेणी के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने पुणे इंजीनियरिंग कालेज से 80 के दशक में इंजीनियरिंग की। इसके बाद एडवांस्ड पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स में उच्च शिक्षा के लिए आईआईटी कानपुर से डिग्री हासिल कर 1988 से अभी तक डीआरडीओ में विभिन्न पदों पर आसीन रहे। वर्ष 2000 से विभिन्न पुरस्कारों से सुसज्जित प्रदीप कुरुलकर को जनवरी 2023 में अजिंक्या डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय ने डी.लिट की डिग्री से नवाजा था।
इतने उच्च पदस्थ वैज्ञानिक का एक अंजान विदेशी महिला के संपर्क में आना और रात-रात भर चैटिंग और फोटो शेयर करने और बदले में देश की अति संवेदनशील ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने की घटना बेहद गंभीर मामला है। आरएसएस के सांस्कृतिक और विचारधारा की शिक्षा पर भी गंभीर सवाल उठते हैं, जो 59 वर्षीय उच्च शिक्षित और संगठन मंत्री को हनी ट्रैप के जाल में जाने के लिए जगह देते हैं। फरवरी से मई माह तक यह खबर सरकारी और देश के महत्वपूर्ण लोगों के बीच में मौजूद है, लेकिन इस बारे में गंभीर कदम उठाने के बजाय मामले को लो-प्रोफाइल रखकर कहीं न कहीं संघ की भूमिका पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है, जो देशहित में तो कत्तई नहीं है।
( रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)