Sunday, April 28, 2024

युद्ध के मैदान में तब्दील हुआ शंभू बॉर्डर, केंद्र सरकार की किसानों को रोकने की हर कोशिश नाकाम

नई दिल्ली। पंजाब से सटा हरियाणा का शंभू बॉर्डर मंगलवार को युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया है। एक तरफ किसान हैं तो दूसरी तरफ पुलिस के जवान और दोनों तरफ से भयंकर लड़ाई और खींचतान चल रही है। किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर लगाए गए मोटे-मोटे सीमेंट वाले बैरिकेड्स जब काम नहीं कर पाए तो पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले और रबर की बुलेट छोड़नी शुरू कर दी। जिसका नतीजा यह रहा कि पूरा इलाका धुंए से भर गया है।

यह सिलसिला यहीं नहीं थमा बाकायदा ड्रोन के जरिये किसानों को लक्षित कर आंसू गैस के गोले छोड़े जाने लगे। लेकिन पुलिस प्रशासन की इन सारी कार्रवाइयों का किसानों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा है। वे बैरिकेड्स तोड़ रहे हैं और अलग-अलग रास्तों से दिल्ली की ओर बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया है कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो वह एमएस स्वामीनाथन के फार्मूले के तहत किसानों को एमएसपी की गारंटी करेगी।

सोशल मीडिया पर जारी अलग-अलग वीडियो में से एक पर एक घंटे पहले का जो चित्र नुमाया हो रहा था, उसके अनुसार 3 बजे दोपहर तक हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर जारी 4 घंटे के संघर्ष के बाद किसान 3 बैरिकेड गिराने में सफल रहे। इसके अलावा घग्गर नदी के ऊपर बने लोहे के बैरिकेड्स भी तोड़े गये हैं। पुलिस का एक ड्रोन नदी में गिरा। पत्रकार सचिन गुप्ता के ट्वीट के मुताबिक, किसान इस बार अपने साथ JCB/बुलडोजर जैसे वाहन भी लाए हैं।

लेकिन यह सब दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर नहीं चल रहा है। शंभू बॉर्डर असल में पंजाब और हरियाणा का बॉर्डर है, जो दिल्ली से 215 किमी की दूरी पर है। इसका अर्थ है कि पंजाब से बड़ी संख्या में आ रहे किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने अंबाला शहर से पहले ही बेहद तगड़ा इंतजाम किया हुआ है। 

13 फरवरी के दिन 9 राज्यों के 200 किसान संगठनों का दिल्ली चलो के आह्वान पर कल अचानक से केंद्र सरकार मेहरबान हो गयी थी, और उसकी ओर से 3-3 केंद्रीय मंत्रियों को कल शाम चंडीगढ़ में किसान नेताओं के साथ वार्ता की मेज पर देखा गया था। इस वार्ता में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल थे। वार्ता बेनतीजा रही, लेकिन केंद्र सरकार की तैयारियों का सिलसिला तो पिछले एक सप्ताह से जारी था।

इस बारे में किसान नेताओं का कहना था कि इन मुद्दों पर हमें सिर्फ आश्वासन दिया गया, उनकी ओर से कोई ठोस प्रपोजल नहीं था। हम इन कोरे आश्वासन को नहीं स्वीकारते। कल सुबह 10 बजे शंभू बॉर्डर, ख़नौरी बॉर्डर और डबवाली बॉर्डर पर इकट्ठा होने की अपील है, जहाँ से इकट्ठा होकर किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे।

3 दिन पहले ही हरियाणा के गाँवों में पुलिस प्रशासन के द्वारा घूम-घूमकर ऐलान किया जा रहा था कि कोई भी किसान अपने ट्रैक्टर के साथ दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने की हिमाकत न करे, वरना उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ पासपोर्ट तक जब्त कर लिया जायेगा। दूसरी तरफ दिल्ली की हर तरफ की सीमाओं पर इस बार जैसी बाड़ेबंदी का इंतजाम किया गया है, वैसा शायद ही आजाद भारत में कभी देखने को मिला हो। कुछ अखबारों ने तो यह तक लिखा है कि ऐसी बाड़ तो पाकिस्तान या चीन के साथ भी सीमा पर भी नहीं लगाई गई है, जैसा केंद्र की मोदी सरकार ने देश के किसानों के खिलाफ लगाई है। 

आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के दौरान घायल एक युवक।

कल देर रात चली बैठक बेनतीजा निकलने के बाद किसानों ने दिल्ली कूच के अपने संकल्प को दोहराते हुए आज सुबह 10 बजे शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होने का ऐलान कर दिया था, लेकिन यहाँ पर उसे केंद्र सरकार के इशारे पर पूरी तरह से चाक-चौबंद हरियाणा पुलिस से करने की चुनौती थी। यह संघर्ष करीब 11 बजे से जो चला है वह 5 बजे शाम तक भी जारी है। 

लेकिन इस बार किसानों को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा है, जिसके बारे में शायद ही किसी जन-आंदोलन को निपटना पड़ा हो। इस बार लाठी-डंडे, टियर गैस और पानी की बौछार सहित रबर बुलेट ही नहीं ड्रोन के जरिये आंसू गैस का सामना करना पड़ रहा है। अर्थात, अब पुलिस के लिए आन्दोलनकारियों पर सटीक निशाना लगाने के लिए उनके सिर के उपर घूमते ड्रोन कैमरे और सटीक निशाने से बचने की चुनौती है। ये वे किसान हैं, जो दो वर्ष पहले ही दिल्ली की सीमाओं पर दुनिया के सबसे ऐतिहासिक आंदोलन के गवाह रहे हैं, जिसके आगे आखिरकार हारकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झुकना पड़ा था और फिर उन्होंने किसानों से जुड़ तीन विवादास्पद कानूनों को वापस ले लिया था, जिसका नतीजा यह निकला कि उत्तर प्रदेश में उसे किसानों के गुस्से का सामना नहीं करना पड़ा।

आज दो साल बाद जब 2024 में आम चुनाव को दो महीने का वक्त रहा गया है, देश के किसान अपनी लंबित मांगों पर केंद्र सरकार की बेरुखी का जवाब चाहते हैं। यही वह मोड़ है, जहां पर कोई भी सरकार आम लोगों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होती है। किसान संगठनों ने भी इसी उम्मीद के साथ अपनी सारी ऊर्जा को ऐन चुनावी वर्ष के लिए संजोकर रखा था कि जो काम पिछले दो वर्षों से केंद्र सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल रखा था, को हासिल करने के इस मौके पर गंवाना नहीं चाहिए। बता दें कि किसानों के केंद्रीय संगठन, ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से 16 फरवरी के दिन ‘भारत बंद’ का आह्वान दिया गया है, जबकि आज के दिल्ली चलो में कुछ ही किसान संगठन शामिल हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के आंदोलन के दिल्ली प्रवेश पर इतने कड़े प्रतिबंध क्यों लगा रखे हैं?

इसका जवाब असल में मोदी सरकार के गेम प्लान में छिपा है। अभी तक देश में 2024 आम चुनाव की तैयारी में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है, जिससे यह ध्वनि निकलती हो कि मोदी लहर कमजोर पड़ गई है। पिछले वर्ष जब 27 विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन का निर्माण किया था तो ज़रूर एक बड़ा फर्क आया था, जिसकी हवा निकालने के लिए पिछले 6 माह से देश की जांच एजेंसियों ने सबसे प्रमुख भूमिका निभाई। आज के दिन इंडिया गठबंधन पूरी तरह से पस्त नजर आ रहा है, कम से कम मीडिया में चल रहे नैरेटिव से तो देश के मध्य वर्ग में यही छवि बन रही है। आये-दिन विभिन्न विपक्षी राज्यों में ईडी के नोटिस पर विपक्षी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों और यहाँ तक कि मुख्यमंत्रियों को समन किया जा रहा है, और झारखंड में तो हेमंत सोरेन को गिरफ्तार तक होना पड़ा है। 

किसानों की मांगों में सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP ) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की बात सर्वप्रमुख है। मोदी सरकार के लिए इस पर राजी हो पाना असल में बड़ी पूँजी और कॉर्पोरेट घरानों को नाराज करना होगा, जिस पर कांग्रेस राजी हो गई है। आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एमएसपी को क़ानूनी दर्जा दिए जाने का वायदा कर मोदी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसके अलावा, सरकार भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 को फिर से लागू करे और कलेक्टर दर से चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाए। सरकार किसानों एवं मजदूरों की पूर्ण कर्जमाफी के लिए योजना लाए। नकली बीज, कीटनाशक एवं खाद बनाने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जाए और बीज की गुणवत्ता में सुधार हो। लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार अपराधियों को सजा मिले। 

इसके अलावा किसान संगठनों ने भारत विश्व व्यापार संगठन से हटे और सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर प्रतिबंध की मांग की गई है। किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के लिए सरकार न्यूनतम 10,000 रूपये मासिक पेंशन की व्यवस्था करे। मिर्च और हल्दी समेत अन्य मसालों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए। किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनके परिवार में से एक को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाए। कंपनियों को आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित करने से रोका जाए तथा, जल, जंगल और जमीन पर मूलवासियों के अधिकार को सुनिश्चित किया जाए। केंद्र सरकार बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को तत्काल प्रभाव से रद्द करे।

असल में किसान ऐन चुनाव की बेला से पूर्व उन मांगों को लेकर दिल्ली कूच पर जिद पकड़े बैठे हैं, जिन्हें वास्तव में 2024 चुनाव के बाद कॉर्पोरेट अविलंब लागू होते देखना चाहता है। ऐसे में भला कैसे केंद्र की मोदी सरकार किसानों का खैर-मकदम कर सकती है? यही वजह है कि एक तरफ किसानों से अभी भी बातचीत और सुलह की कोशिशों की बात की जा रही है, जबकि दूसरी तरफ इन्हीं किसान नेताओं के सोशल मीडिया हैंडल को ब्लॉक किये जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। दिल्ली में धारा 144 लागू है।

दिल्ली के सभी बॉर्डर सील हैं, और सिर्फ कारों को आने की अनुमति प्राप्त है। राजमार्गों पर पेट्रोल पंपों को पहले ट्रेक्टर को 10 लीटर डीजल और अब एक बूंद न देने का निर्देश मिल चुका है। प्रशासन को अभी 16 फरवरी तक बॉर्डर सील रखने का निर्देश है, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। केंद्र की मोदी सरकार ने हरियाणा की खट्टर सरकार को तो दांव पर लगा ही दिया है, अब उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार की राज्य भाजपा सरकार की आड़ लेने की जरूरत पड़ी तो मोदी सरकार नहीं रुकने वाली लगती है।

छत्तीसगढ़ में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत आयोजित एक सभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार किसानों के रास्ते में कील बिछा रही है। डॉ. एमएस स्वामीनाथन द्वारा किसानों के लिए सुझाए गए फार्मूले के तहत किसानों को एमएसपी देने की जगह वह स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर संतुष्ट कर देना चाहती है। जबकि स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि उनके सुझावों को लागू करने में होगी। उन्होंने इसके साथ ही यह घोषणा की कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर वह स्वामीनाथन के सुझावों को लागू करेगी और किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी करेगी।

(जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य रविंद्र पटवाल की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

1 COMMENT

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Joseph Gathia
Joseph Gathia
Guest
2 months ago

Everything is fair in love and war.

Latest Updates

Latest

Related Articles