EXCLUSIVE: NIA समेत एजेंसियों की 28 टीमें, पुलिस का पूरा अमला और 200 गिरफ्तारियां, फिर भी अमृतपाल शिकंजे से बाहर

पंजाब के चप्पे-चप्पे में अर्धसैनिक बलों और पुलिस की तैनाती है। जगह-जगह छापेमारी हो रही है और तलाशी अभियान जारी है। इसलिए कि ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा और उसके बचे हुए साथियों को जैसे-तैसे गिरफ्त में लिया जाए। पुलिस ने इसे ‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह’ नाम दिया है। उसके कुछ साथियों और परिजनों को गिरफ्तार करके राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगा दिया गया है और उन्हें असम की अति सुरक्षित जेल डिब्रूगढ़ भेज दिया है।

फौरी तौर पर इस ऑपरेशन में दो सौ से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं हैं। खुद अमृतपाल सिंह फिलहाल तक ‘फरार’ है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की आठ टीमें भी पंजाब में पड़ाव डाल चुकी हैं। इन टीमों का मुकाम अमृतसर, जालंधर, गुरदासपुर, तरनतारन, लुधियाना और बठिंडा है।

पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह के तकरीबन 450 करीबियों की शिनाख्त करके एक सूची एनआईए को सौंपी है। इस सूची को क्रमवार तरीके से तैयार किया गया है। पहली श्रेणी में 142 लोग हैं जो हर वक्त अमृतपाल सिंह खालसा के साथ रहते थे। दूसरी श्रेणी में 214 लोग हैं जो उसके संगठन और आर्थिक व्यवस्था का काम देखते थे।

पंजाब पुलिस के आईजी और प्रवक्ता सुखचैन सिंह गिल के मुताबिक अमृतपाल सिंह खालसा को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन हासिल था। पुलिस ने जालंधर, होशियारपुर और नवांशहर की छह फाइनेंस कंपनियों की पहचान की है जिनमें पिछले साल 20 अगस्त से लेकर अब तक करोड़ों रुपए की ट्रांजैक्शन हुई है।

जालंधर के दो हवाला कारोबारी भी इस मामले में संलिप्त पाए गए हैं। एनआईए और पंजाब पुलिस के साथ काउंटर इंटेलिजेंस, एंटी गैंगस्टर्स टास्क फोर्स की 28 टीमें ‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह’ में जुटी हुईं हैं।

पड़ताल में सामने आया है कि अमृतपाल सिंह खालसा ने जिस आनंदपुर खालसा फौज का गठन किया था, उसके लिए 33 बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी थी। इन जैकेटों और अब तक बरामद हथियारों पर आनंदपुर खालसा फौज (ऐकेएफ) का मार्क मिला है। पंजाब पुलिस का साफ कहना है कि अमृतपाल सिंह खालसा अलग सिख देश बनाने की कवायद में था। यानी खालिस्तान।

अमृतपाल सिंह अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में तब आया जब उसने अजनाला पुलिस थाने पर कब्जा किया। वह अपने एक साथी को रिहा करवाने के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहब की पालकी के साथ वहां गया था। पंजाब पुलिस ने उसके आगे लगभग ‘आत्मसमर्पण’ कर दिया था। यहां तक कि वह एसएचओ की कुर्सी पर ‘विराजमान’ था और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उसके सामने गिड़गिड़ा रहे थे।

अगले दिन उसके साथी को भी रिहा कर दिया गया। अजनाला कांड में अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस पर तलवारों से हमला भी किया था। अनेक पुलिसकर्मी लहूलुहान हुए। हथियारों से लैस पुलिस ने लाठी तक नहीं उठाई। उस दिन सरकार और पुलिस का इकबाल तार-तार हो गया था।

अजनाला घटनाक्रम के बाद अमृतपाल सिंह खालसा और ज्यादा ‘हौवा’ बन गया था। सरकार, पुलिस और अवाम के लिए। अब शनिवार को राज्य सरकार हरकत में आई और समूचे पंजाब में ऑपरेशन अमृतपाल सिंह शुरू किया गया। उसके समर्थकों की धरपकड़ हुई और वह खुद फरार है।

हालांकि पंजाब में बहुत लोग मानते हैं कि अमृतपाल सिंह खालसा पुलिस की गिरफ्त में ही है और किन्हीं वजहों से उसकी गिरफ्तारी जाहिर नहीं की जा रही। अमृतपाल सिंह के पिता और वकील का भी यही कहना है। बेशक हाईकोर्ट में इस बाबत दायर याचिका में पंजाब पुलिस ने जवाब दिया है कि अमृतपाल उसकी हिरासत में नहीं है।

अमृतपाल सिंह प्रकरण में कई सवाल सुलग रहे हैं। सबसे पहला यह कि किसकी शह पर वह अपना कद इस कदर बढ़ाता चला गया? वह दुबई में रहता था और उसे पंजाब आए एक साल भी नहीं बीता। अब का अमृतधारी अमृतपाल तब बगैर केस-दाढ़ी में विचरा करता था। पंजाबी में इसे ‘मौना’ होना कहते हैं।

पिछले साल अगस्त में उसने संत जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे में अमृतपान किया। ठीक भिंडरावाले जैसा पहनावा धारण करके। उस मौके पर संगरूर से सांसद और खालिस्तान की मांग करने वाले गरमपंथी अकाली नेता सिमरनजीत सिंह मान भी मौजूद थे।

इसके बाद अमृतपाल सिंह सक्रिय हो गया। सबसे पहले उसने ईसाई मिशनरियों को निशाना बनाया और कुछ चर्चा में तोड़फोड़ हुई। फिर उसने गुरुद्वारे कब्जाने की कवायद शुरू की। उसकी अगुवाई में कुछ गुरुद्वारों में भी तोड़फोड़ की गई। माना जाने लगा कि पंजाब में एक नया भिंडरावला पैर पसार रहा है। उसने खुलेआम अलहदा देश खालिस्तान की मांग की।

यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी उसने खुलेआम धमकियां देनीं शुरू कीं। अमृतपाल सिंह पंजाब में खौफ का दूसरा नाम बन गया था लेकिन केंद्र और सूबा सरकार की खामोशी सबको हैरान कर देने वाली थी। अब भी हैरान करने वाली है। इसलिए भी कि अमृतपाल सिंह को बहुत पहले पकड़ में होना चाहिए था।

जिस दिन ऑपरेशन अमृतपाल सिंह शुरू हुआ, उस दिन सुबह 9 बजे तक वह अपने घर-गांव में था। उसकी खुफिया निगरानी हो रही थी। वह अपने काफिले के साथ जालंधर की ओर निकला और भारी पुलिस फोर्स ने उसे जिले की सीमा पर घेर लिया लेकिन पुलिस के मुताबिक वह बच निकला। उसका ‘बचना’ और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक काबू में न आना अपने आप में बड़ा ‘रहस्य’ है। 

गौरतलब है कि जब ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा शुरू हुआ तब पंजाब में लॉरेंस बिश्नोई अपने दो साक्षात्कारों के चलते सुर्खियों में था। पहले साक्षात्कार के बाद पंजाब के डीजीपी ने दावा किया था कि उक्त इंटरव्यू पंजाब की किसी जेल से नहीं हुआ है लेकिन दूसरे साक्षात्कार के बाद यह सच सामने आया कि कुख्यात गैंगस्टर्स लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू दरअसल पंजाब की बठिंडा जेल से हुआ है। इससे सरकार की खूब किरकिरी हुई।

रविवार को सिद्धू मूसेवाला की पहली बरसी थी। सिद्धू मूसेवाला कत्लकांड में लॉरेंस बिश्नोई आरोपी है। सिद्धू के माता-पिता सरकार के खिलाफ, इंसाफ के लिए मोर्चा लगाए हुए हैं। उस की बरसी पर भारी हुजूम इकट्ठा हुआ। मंच से सिद्धू मूसेवाला के पिता ने कहा कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए जानबूझकर यह दिन चुना गया ताकि लोगों का ध्यान बंट सके। राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया गया। 

यानी अमृतपाल सिंह खालसा प्रकरण के बाबत कई सवाल हैं, जिनके जवाब मिलेंगे या नहीं, कोई नहीं जानता। यह भी फिलवक्त कोई नहीं जानता कि खुद अमृतपाल सिंह खालसा कब सलाखों के पीछे नजर आएगा।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)

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