Saturday, April 20, 2024

लखीमपुर खीरी कांड में सीबीआई पर सुप्रीम कोर्ट को भरोसा नहीं

लखीमपुर कांड पर उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकान्त, जस्टिस हीमा कोहली की पीठ को सीबीआई जांच पर भरोसा नहीं है क्योंकि आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा है। उच्चतम न्यायालय ने आज यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई। पीठ ने पूछा कि आरोप 302 का है तो आप उसे भी वैसे ही ट्रीट करें जैसे बाकी मर्डर केस में आरोपी के साथ किया जाता है। दरअसल, आरोप केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर है। विपक्ष और किसान गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सुबह 10 बजे पुलिस ने आशीष को बुलाया था। यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि एक आरोपी को नोटिस दिया गया है और कल बुलाया गया है।

पुलिस के सामने आरोपी के पेश होने पर पीठ ने दो टूक कहा कि 302 के आरोप में ये नहीं होता कि प्लीज आ जाएं। नोटिस किया गया है कि प्लीज आइए। चीफ जस्टिस ने कहा कि मौके पर चश्मदीद गवाह हैं। हमारा मत है कि जहां 302 का आरोप है वह गंभीर मामला है और आरोपी के साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए जैसे बाकी केसों में ऐसे आरोपी के साथ होता है। क्या बाकी केस में आरोपी को नोटिस जारी किया जाता है कि आप प्लीज आ जाइए?

आरोपी के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा होने की तरफ इशारा करते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले में जो लोग शामिल हैं, उसके चलते हम सीबीआई को भी यह जांच सौंपना नहीं चाहते। हमें कोई और तरीका देखना होगा। हम दशहरे की छुट्टी के बाद मामला देखेंगे। तब तक आपको हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठना है।
हरीश साल्वे ने कहा कि आरोप लगाया गया था कि गोली मारी गई है लेकिन गोली की बात पोस्टमॉर्टम में नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या ये ग्राउंड है कि आरोपी को न पकड़ा जाए? साल्वे बोले कि नहीं केस गंभीर है। चीफ जस्टिस ने कहा कि गंभीर केस है, लेकिन केस को वैसे नहीं देखा जा रहा है। हम समझते हैं कि इस तरह से कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। कथनी और करनी में फर्क नजर आ रहा है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि साधारण स्थिति में 302 यानी मर्डर केस में पुलिस क्या करती है? वह आरोपी को गिरफ्तार करती है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आरोपी कोई भी हो, कानून को अपना काम करना चाहिए। साल्वे ने कहा कि जो भी कमी है कल तक ठीक हो जायगी। चीफ जस्टिस ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जब तक कोई अन्य एजेंसी इसे संभालती है तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहें।
चीफ जस्टिस ने उस खबर पर नाराजगी जताई जिसमें कहा गया है कि चीफ जस्टिस लखनऊ में पीड़ित से मिलने गए थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि ये खुद समझना चाहिए कि ये कैसे हो सकता है…मैं कोर्ट में हूं।

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है जो मामले की जांच कर सकती है। चीफ जस्टिस ने यूपी सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जब तक कोई अन्य एजेंसी इसे संभालती है तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहें। पीठ ने कहा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में यूपी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है। हम छुट्टियों बाद तुरंत 20 अक्टूबर को सुनवाई करेंगे।

पीठ के समक्ष आज यूपी सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलीलें रखी। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों पर असंतुष्टि जताते हुए कड़ी फटकार लगाई। पीठ के इन तेवरों से साल्वे रक्षात्मक मुद्रा में आ गए। उन्होंने कहा कि मैं समझ रहा हूं कि जजों के मन में क्या है। मैं मानता हूं कि ज़रूरी कार्रवाई होनी चाहिए थी। चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा कि बात हमारे मन की नहीं है। सवाल यह है कि हम आम नागरिकों को क्या संदेश दे रहे हैं?” इसके बाद पीठ ने यूपी सरकार की तरफ से गठित एसआईटी पर भी कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि आपकी एसआईटी में कौन हैं? सब स्थानीय अधिकारी हैं। यही दिक्कत है। जो अधिकारी काम नहीं कर रहे उन्हें तुरंत हटाइए।

पीठ ने अपने लिखित आदेश में यह दर्ज किया है कि वह राज्य सरकार की तरफ से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट से असंतुष्ट है। पीठ ने कहा कि 20 अक्टूबर को यह मामले लिस्ट में सबसे पहले लिया जाएगा। कोर्ट ने जांच किसी और संस्था को सौंपने का संकेत भी दिया ।

शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा नाम के दो वकीलों के पत्र का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई की थी। पीठ ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था कि मामले में जांच अब तक कहां पहुंची है, कौन-कौन आरोपी हैं और अब तक उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं। आइए जानते हैं आज की सुनवाई के दौरान किसने क्या दलील दी।

लखीमपुर खीरी में 3अक्टूबर को भाजपा नेता के काफिले की गाड़ियों ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारी किसानों के ऊपर गाड़ियां चढ़ा दी थी जिसमें 3 किसानों और एक टीवी पत्रकार की मौत हो गई थी। उसके बाद गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर समेत 4 बीजेपी कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों पर गाड़ी चढ़ाई थी और फायरिंग की थी। दूसरी तरफ टेनी और आशीष मिश्रा का कहना है कि घटना के वक्त वह अपने गांव में चल रहे दंगल कार्यक्रम में थे। इस मामले में दर्ज FIR में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है लेकिन अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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