सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों कृषि क़ानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी। यह रोक अनिश्चतकालीन नहीं है, बल्कि अगले आदेश तक जारी रहेगी। मामले को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है। अदालत के इस फैसले को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा झटका माना जा रहा है। अलबत्ता दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का रुख अदालत के फैसले पर क्या होगा है, यह अभी साफ नहीं है।
दिल्ली बार्डर पर पिछले 47 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन के दौरान 60 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। कई किसानों ने अब तक मोदी सरकार के रवैये से दुखी होकर आत्महत्या कर ली है। किसान नेताओं से सरकार की कई दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई पिछले कई दिनों से जारी है।
आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने चार सदस्यीय कमेटी भी बनाई है। कमेटी में बीएस मान, प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत शामिल हैं। यह कमेटी सभी पक्षों से बातचीत के बाद सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगी। अदालत ने कहा कि कृषि क़ानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने के मक़सद से एक समिति गठित करने से उन्हें कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती। आज सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदर्शनकारी किसानों से सहयोग करने के लिए कहा है।
वकील एमएल शर्मा ने अदालत में कहा कि किसानों ने कहा है कि कई लोग बातचीत के लिए आए हैं, लेकिन मुख्य व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं आए हैं। इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हम पीएम को बातचीत करने के लिए नहीं कह सकते हैं। वह इस मामले में पार्टी नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने पूछा कि हमारे पास एक आवेदन है, जिसमें कहा गया है कि इस प्रदर्शन में प्रतिबंधित संगठन सहयोग कर रहे हैं। क्या अटॉर्नी जनरल इसे मानेंगे या इससे इनकार करेंगे? अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमने कहा था कि प्रदर्शन में खालिस्तानियों की घुसपैठ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कल तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम हलफनामा देंगे और आईबी रिकॉर्ड भी देंगे।
अदालत में किसानों का आंदोलन कहीं और शिफ्ट करने पर भी बातचीत हुई। वकील विकास सिंह ने कहा कि किसान, प्रदर्शन स्थल से उस जगह जा सकते हैं जहां से प्रदर्शन दिखे। अन्यथा प्रदर्शन का मतलब नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामलीला मैदान या कहीं और स्थान पर प्रदर्शन के लिए पुलिस कमिश्नर से किसान इजाजत के लिए आवेदन दे सकते हैं। ऐसा हम ऑर्डर करेंगे।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि यह कमेटी सबका पक्ष सुनेगी, जिसे भी इस मुद्दे का समाधान चाहिए वह कमेटी के पास जा सकता है। कमेटी न तो कोई आदेश जारी करेगी और न ही सजा देगी। यह केवल हमें अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने कहा कि हम एक कमेटी का गठन कर रहे हैं, ताकि हमारे पास एक साफ तस्वीर हो। हम यह नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास नहीं जाएंगे। हम समस्या का समाधान करना चाहते हैं। अगर आप अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन करना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं।