दो चमत्कारियों का रहमो-करम : चौंक गई अवाम!

वास्तव में भारत देश में चमत्कारी विद्या का क्या कहना पहले तो यह नेक कार्य बाबाओं की भभूत और भक्त की ही सेवाओं से नसीब होता था। लेकिन अब यह चमत्कार, चमत्कारी सत्ता ने देश के कोनों-कोनों में स्थापित सरकारी गैर सरकारी संस्थानों में भी पहुंचा दिया है।

बिना कालेज, विश्वविद्यालय गए जब एंटायर पोलिटिकल साइंस की डिग्री चमत्कार से आ जाती है बिना इग्ज़ाम में शामिल हुए।

आईएएस जैसे पदों पर सैंकड़ों नियुक्तियां इन चमत्कारियों की वजह से मिल जाती है। चीफ़ जस्टिस के घर गणेश वंदना से बड़े-बड़े मामले दबाए जाते हैं तथा जेएनयू जैसे अनेकों विश्वविद्यालय में पढ़ाई की जगह पूजा-पाठ एवं सरस्वती पूजा का विधान हो।

चमत्कारी विश्व गुरु बड़े बाबा का बीएचयू में जन्मदिन पर मंत्रोचारण हो। जय-जयकार वरिष्ठ प्राध्यापक, पूर्व कुलपति, विदुषी और वर्तमान कुलपति करें तो चमत्कार की ओर ही जिया डोल ही जाता है।

हालांकि चमत्कारी कथाएं अनंत हैं हाल ही सम्पन्न हुए हरियाणा में इस चमत्कारी बाबा के दुलारे दो लाडलों ने कांग्रेस के सीधे सच्चे नेता राहुल गांधी के इरादों और सबकी मेहनत पर पानी फेर दिया। मोदी मीडिया, उनके तमाम नेताओं की सच्चाई को भी दफना दिया। आज उनकी बोलती बंद है। संघ के लोग इसे अपनी कारिस्तानी बता भाजपा को कसने की बात कह रहा है क्योंकि वे सत्य उजागर करने की स्थिति में नहीं है।

सच बात तो यह है जी, कि यह दारोमदार दो की दम का परिणाम है। एक तो लोकप्रिय चर्चित बाबा राम रहीम है और दूसरा सरकारी चमत्कारी बाबा चुनाव आयोग का ईवीएम है।

जो अपनी नई चमत्कारी शक्ति की हर बार उपयोग ज़रुरत पड़ने पर कर लेते हैं। अब सोचिए राहुल गांधी को क्या ज़रूरत थी यह कहने की कि हम भारी बहुमत से जीत रहे हैं, बस उन्होंने करिश्मा दिखा दिया अब चीखों चिल्ल-पों करो, करते रहो।

ईवीएम का चमत्कार देखिएगा। यकीन नहीं आता की बैलेट से 10 सीटों पर जीतने वाले मशीन से 48 सीटें जीत जाते हैं! दिन भर यूज हुई मशीनें काउंटिंग के वक्त 99%चार्ज पाई गई है। किसी बड़े चमत्कार का इशारा करता है। ईवीएम जैसा ही जबरदस्त चमत्कार दिखा जाते हैं राम रहीम।

चुनाव के काम हेतु चमत्कारिक तौर पर उनको पैरोल मिलती है बाबा जी चमकार से हृदय परिवर्तन का ऐसा सिलसिला चला देते हैं कि हरियाणा का हरण कर लिया। कांग्रेस चारों खाने चित। जो महिला पहलवान जिताई गई हैं। उनको फिर चित्त करना उनका खेल है। महिलाएं विरोध करें और पनप जाएं ये देश की संस्कृति नहीं है।

उधर कश्मीर में इंडिया गठबंधन की जीत पर चल रहे जश्न को फीका करने में भी चमत्कारी ताकतें लगी हुई हैं। उमर अब्दुल्ला अब्दुल्ला करते-करते हुए कब उनके जंजाल में फंस जाएं कहा नहीं जा सकता।

ये भी सच है एक तो केन्द्र शासित राज्य, उस पर अरविंद केजरीवाल का उदाहरण उन्हें दहशत में जिलाएगा। इससे बेहतर है भाजपा के 25 विधायकों को लेकर वर्तमान सरकार ख़त्म कर दी जाए।

वैसे जम्मू कश्मीर की नियति यही रही है, जिसकी सरकार दिल्ली में बनी कश्मीरी सरकार उनके साथ को सपोर्ट करती रही। अब केंद्र शासित राज्य है। डर कर रहना ही होगा।

उसे पूर्ण राज्य का दर्जा हरगिज नहीं मिलने वाला। पिछले दस साल से छत्रप जो सत्ता से दूर रहें उनका रवैया क्या होगा कहने की ज़रूरत नहीं है। यानि दोनों चुनाव सत्तारूढ़ सरकार के पाले में।

लोग कहते हैं चुनाव में गुरूर नहीं रखना चाहिए। भारत के लोकतंत्र का आधार वही सनातन परम्परा है। मतलब राजनीति साम-दाम-दंड-भेद से ही की जा सकती है।

इसलिए चुनाव चक्र को साधने की तैयारियां बहुमत से पहलुओं पर विचार कर सत्ता पक्ष के चमत्कारी दिव्य शक्ति से लैस लोग कर लेते हैं, जिनका लक्ष्य येन केन प्रकारेण सत्ता से चिपके रहना है।

वे झूठ, छल में माहिर हैं इस बार की चाल को कोई समझ नहीं पाया है। अपनी हार का भरपूर प्रचार करते हुए यह सेंधमारी हुई कि ईवीएम ही बदल ली गई। सब उन्हीं ईवीएम के ज़रिए हो रहा है जो चालीस हज़ार ईवीएम गायब हो गई हैं या जो नई खरीदी गई है।

इस दिव्य ज्ञान के प्रणेता विश्वगुरु पर अभिमान है। जहां संघ और कांग्रेस की राजनीति फ्लाप हो रही है।

लोग दोनों को सलाह दे रहे हैं कि उनकी इस गंदी शक्तियों का इस्तेमाल रोके बिना उनका पराभव होता रहेगा। उसे भी ऐसी ही रणनीति बनानी होगी। किंतु यह स्थितियां लंबे समय बाद खुद बा खुद खुर्द-बुर्द हो जाती हैं। उनके बीच उपजे संघर्ष प्रमुख कारण होते हैं।

श्रीलंका और बांग्लादेश हमारे पड़ोसी देशों में जब लोकतांत्रिक देश में छद्म रुप से तानाशाह प्रवृतियां काबिज हो जाती हैं। धर्म और ईवीएम के रहमो-करम पर जमे रहने की कोशिश कर अवाम को निराश हताश कर देती हैं तो सब चमत्कार ढह जाते हैं। इच्छा देशवासियों की है, वो कब तलक इसे ढोती है।

सनातन सत्य तो यही कहता है कि अन्याय पर न्याय और झूठ पर सत्य जीतता रहा है। जिसे हम सब हर साल होने वाली विजयादशमी को देखते हैं। देश को अधिनायकवाद से मुक्त रखना बड़ी टेढ़ी खीर नज़र आता है, चमत्कारी ताकतों की वजह से।

किंतु सत्य देर सबेर जीतेगा ज़रूर। तब वह विस्फोटक चमत्कार सबको चकित कर देगा। यह व्यवस्था अवाम करेगी राम-रहीम और ईवीएम नहीं।

(सुसंस्कृति परिहार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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One thought on “दो चमत्कारियों का रहमो-करम : चौंक गई अवाम!

  1. कंही ऐसा तो नही की 834 करोड़ रुपये रुपये के बदले ED के केस बारे हुडा व अमित शाह की कोई डील हुई हो और कांग्रेश के कमजोर कैंडिडेट उतारकर बागियों को चुनाव लड़वाने की जुगत में

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