Wednesday, April 17, 2024

राहुल गांधी से आरएसएस-भाजपा को क्यों है इतनी नफरत? 

इस समय राहुल गांधी देश के एकमात्र ऐसे शीर्ष नेता हैं, जो आरएसएस, भाजपा और अडानी-अंबानी के गठजोड़ को सीधी चुनौती दे रहे हैं। वह इशारों में कहने की जगह नाम लेकर आरएसएस को एक नफरत फैलाने वाला संगठन कहते हैं। उसकी तुलना इस्लामिक ब्रदरहुड जैसे कट्टपंथी इस्लामिक संगठन से करते हैं। उन्होंने हाल में ही लंदन में आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की। इससे पहले वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  को ’21वीं सदी का कौरव’ कह चुके हैं। 

उन्होंने साफ शब्दों में यह भी कहा कि आरएसएस की धनवानों ( अंडानी-अंबानी) से  साठ-गांठ है। भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में हरियाणा और पंजाब के रास्ते पद-यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा, “कौरव कौन थे? मैं आपको 21वीं सदी के कौरवों के बारे में बताना चाहता हूं, वो खाकी हाफ़-पैंट पहनते हैं, हाथों में लाठी लेकर चलते हैं और शाखा का आयोजन करते हैं। भारत के दो-तीन अरबपति इन कौरवों के साथ खड़े हैं।” 

वे आरएसएस को भारत का टुकड़े-टुकड़े करने वाले संगठन के रूप में देखते हैं। बीते वर्ष सितंबर में दक्षिण भारतीय राज्य केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में पद-यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने आरएसएस-बीजेपी को असली ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’, ‘भय और नफ़रत की सियासत’ करने वाला क़रार दिया था। 

आरएसएस के खिलाफ बोलते हुए राहुल गांधी का जो तेवर होता है और जैसी भाषा का वे इस्तेमाल करते हैं, उसे देखकर लगता है कि दिल-दिमाग दोनों से आरएसएस की वैचारिकी और एजेंडे से नफरत करते हैं और उसे देश के लिए खतरनाक मानते हैं।

शायद ही कोई इस तथ्य से इंकार कर सके कि आरएसएस सिर्फ मुसलमानों-ईसाइयों और दलित-आदिवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि देश के संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुका है। 

राहुल गांधी ने भाजपा को फासीवादी आरएसएस का एक विंग बताया, जो सत्ता में आने के लिए लोकतंत्र का इस्तेमाल करता है। उन्होंने लंदन स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस में एक बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों पर पूर्ण कब्जा कर चुका है। जिसके चलते लोकतांत्रिक ढांचे की प्रकृति बदल गई है। 

राहुल गांधी के इन बयानों से आरएसएस किस कदर तिलमिला गया है, इसका अंदाजा संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के बयान से लगाया जा सकता है। हरियाणा के समालखा में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (आरएसस की सर्वोच्च ईकाई) की बैठक के बाद  होसबोले ने प्रेस कांफ्रेंस की।

होसबले से जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ हाल ही में राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘हम अपना काम करते रहेंगे। हाथी आगे चलता रहेगा। उनके पूर्वजों ने भी संघ के बारे में बहुत कुछ कहा है, लेकिन देश को संघ और उसके कामों के बारे में पता है।’

उन्होंने यह भी कहा कि उनके (राहुल गांधी) पूर्वजों ने भी संघ पर प्रतिबन्ध के प्रयास किए। मेरा उनसे सिर्फ यही कहना है, वो अपना बयान थोड़ी जिम्मेदारी से दें। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा , ‘1975 में इमरजेंसी के समय में कांग्रेस ने मुझे जेल भेजा था। लोकतंत्र को ख़त्म करने के लिए मेरे जैसे हज़ारों लोगों को जेल भेज दिया था और एक तरह से पूरे हिंदुस्तान को जेल बना दिया था।’

राहुल गांधी आरएसएस पर हमला बोलने के साथ ही आरएसएस के सबसे बड़े आइकन सावरकर पर लगातार निशाना साधते रहते। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर राहुल गांधी आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि  एक ओर बिरसा मुंडा जैसी महान शख्सियत हैं, जो अंग्रेज़ों के सामने झुके नहीं और दूसरी ओर सावरकर हैं, जो अंग्रेज़ों से माफ़ी मांग रहे थे।

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘भगवान बिरसा मुंडा जी 24 साल की आयु में शहीद हो गए। अंग्रेज़ों ने उन्हें ज़मीन देने की कोशिश की। सावरकर को दो-तीन साल जेल में बंद कर दिया तो उन्होंने चिट्ठी लिखनी शुरू कर दी कि हमें माफ़ कर दो, जो भी हमसे चाहते हो ले लो। बस मुझे जेल से निकाल दो।’’

राहुल गांधी के दिए गए बयानों से तिलमिलाकर भाजपा और आरएसएस दोनों ने मिले सुर मेरा तुम्हारा की तर्ज पर एक साथ उन पर हमला बोल दिया है। जहां ससद में भाजपा उन्हें  अपना निशाना बनाए हुए है। वहीं आरएसएस ने अपनी प्रतिनिधि सभा की बैठक में राहुल गांधी पर हमला बोला।

राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी की टिप्पणी को भारत के गौरव पर हमला करार दिया, वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की। भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए कहा- विदेशी महिला से पैदा बेटा कभी देशभक्त नहीं हो सकता। उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए। 

राहुल गांधी लगातार यह देश को आगाह कर रहे हैं कि देश का सबसे बड़ा दुश्मन आरएसएस हैं, भाजपा सिर्फ उसकी एक विंग है, जिसके माध्यम से आरएसएस ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया।

आरएसएस का देश के बड़े कारोबारियों ( कार्पोरेट घरानों) से साठगांठ हो चुकी है। इस तरह वे आरएसएस, भाजपा और अडानी-अंबानी के गठजोड़ को देश के संविधान और लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। इस गठजोड़ से पूरे देश पर कब्जा कर लिया। इस गठजोड़ से देश को मुक्त कराना वे आज की तारीख में देश के सामने सबसे बड़ा कार्यभार मानते हैं।

यही वजह है कि इन तीनों का गठजोड़ राहुल गांधी पर इतना हमलावर है और उन्हें देशद्रोही ठहरा रहा है। संसद और संसद से बाहर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है। जहां आरएसएस-भाजपा अपने संगठनों-नेताओं के माध्यम से राहुल गांधी पर हमला बोल रहे हैं, वहीं कार्पोरेट घरानों ( विशेषकर अडानी-अंबानी ) ने अपनी तिजोरी आरएसएस- भाजपा के लिए खोल दी है और अपनी मीडिया को राहुल गांधी को बदनाम करने के काम में लगा दिया है। 

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