Sunday, April 28, 2024

अशोक गहलोत और अखिलेश यादव के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत जारी, फॉर्मूला तय होने पर बताएंगे: जयराम रमेश

नई दिल्ली। अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग पर बातचीत चल रही है लेकिन अभी कुछ तय नहीं हो पाया है। वहीं कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बीच सीट बंटवारे पर रचनात्मक बातचीत चल रही है और जब कोई फॉर्मूला फाइनल हो जाएगा तब पार्टी इस बात की सूचना देगी।

कांग्रेस का यह बयान तब आया है जब अखिलेश यादव ने कहा कि सपा आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 11 सीटें देगी।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश से जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश में यादव की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि सीट-बंटवारे पर अशोक गहलोत, अखिलेश यादव के साथ बातचीत कर रहे हैं और यह बातचीत सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हो रही है।

उन्होंने कहा, “फॉर्मूला तय होने के बाद हम आपको बतायेंगे। उत्तर प्रदेश में जो समझौता होगा वह कांग्रेस, सपा और इंडिया गठबंधन के लिए फायदेमंद होगा।”

जयराम रमेश की टिप्पणी तब आई है जब अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि, “कांग्रेस के साथ हमारा सौहार्दपूर्ण गठबंधन 11 मजबूत सीटों के साथ अच्छी शुरुआत कर रहा है। यह प्रवृत्ति जीत के समीकरण के साथ आगे बढ़ेगी। ‘इंडिया’ टीम और ‘पीडीए’ ‘रणनीति इतिहास बदल देगी।”

वहीं कांग्रेस आधिकारिक तौर पर यूपी में सीटों की संख्या की पुष्टि नहीं कर रही है। हालांकि अखिलेश यादव के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने कहा कि “(कांग्रेस नेता) मुकुल वासनिक के नेतृत्व वाली कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति इस मामले में निर्णय ले रही है। बातचीत बहुत सकारात्मक माहौल में चल रही है और इसका जल्द ही अच्छा और मजबूत नतीजा निकलेगा।”

अखिलेश यादव ने यह घोषणा तब की जब एसपी और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने एक हफ्ते पहले घोषणा की थी कि वे सीट-बंटवारे की व्यवस्था के तहत सात सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

इन आंकड़ों को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि सपा उत्तर प्रदेश की शेष 62 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। यूपी में सबसे अधिक लोकसभा सीटें (80) हैं।

2019 के चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में केवल एक सीट जीती थी जबकि सपा ने पांच सीटें जीती थीं।

मध्य प्रदेश चुनाव के लिए गठबंधन पर बातचीत नाकाम होने के बाद सपा और कांग्रेस के रिश्तों में खटास आ गई थी। बाद में उन्होंने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे के मानदंडों पर चर्चा का एक दौर आयोजित किया लेकिन सीटों की संख्या तय नहीं हो पाई। सपा ने कांग्रेस की 20 सीटों की मांग के साथ मुद्दों को उठाया।

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि “कांग्रेस 20 से अधिक सीटों की मांग कर रही थी। लेकिन सपा पहले आठ सीटें देने पर राजी हो गई थी। तय हुआ कि अगर कांग्रेस ज्यादा सीटों पर अड़ी तो उसके शीर्ष नेता अखिलेश यादव से बातचीत करेंगे। यह बातचीत पिछले कुछ दिनों में हुई और कांग्रेस के लिए 11 सीटों को अंतिम रूप दिया गया है।“

हालांकि न तो सपा और न ही कांग्रेस ने सीटों के नाम का खुलासा किया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि सीटें भी तय हो चुकी हैं। कांग्रेस के गढ़ रहे अमेठी और रायबरेली के अलावा, कांग्रेस के गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बरेली से चुनाव लड़ने की संभावना है।

शुक्रवार 26 जनवरी को कन्नौज में एक बैठक में बोलते हुए अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन “आकार ले रहा है। यह सीटों का गठबंधन नहीं है, बल्कि जीत का गठबंधन है।”

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