Thursday, April 18, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

चुनाव के पहले येदियुरप्पा का सेकुलर राग, बोले-हिजाब, हलाल मुद्दे जरूरी नहीं!

नई दिल्ली। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नेता बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। येदियुरप्पा ने कर्नाटक भाजपा की राजनीतिक लाइन के खिलाफ बोलते हुए कहा कि ‘हिजाब और हलाल’ से जुड़े विवाद अनावश्यक थे। हिंदुओं और मुसलमानों को “भाइयों और बहनों” की तरह रहना चाहिए। पार्टी ने हिजाब और हलाल मुद्दे को कैसे संभाला, के सवाल पर येदियुरप्पा ने कहा “मैं ऐसी चीजों का समर्थन नहीं करने जा रहा हूं। मेरे हिसाब से हिंदू और मुसलमानों को भाई-बहन की तरह रहना चाहिए। मैंने शुरू से ही यह स्टैंड लिया है। ये ऐसे मुद्दे थे जो जरूरी नहीं थे। मैं ऐसी चीजों का समर्थन नहीं करूंगा।”

येदियुरप्पा की यह टिप्पणी 10 मई को होने वाले मतदान से पहले आई है। भाजपा ने यशपाल सुवर्णा को टिकट दिया है, जो कर्नाटक में कॉलेज परिसर में हिजाब पहनने की मांग करने वाले छात्रों के खिलाफ सबसे मुखर आवाज़ों में से एक हैं, जिसने राज्य के तटीय क्षेत्र में दोनों समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया था।

कर्नाटक में बसवराज बोम्मई सरकार पिछले साल सिर्फ हिजाब मुद्दे पर ही नहीं खेलती रही बल्कि कर्नाटक नववर्ष उत्सव (उगादी) के बाद मुस्लिम विक्रेताओं से मंदिरों के चढ़ावा नहीं लेने, उत्सवों में भाग लेने पर मना करने और हिंदुओं द्वारा हलाल मांस का बहिष्कार करने के खिलाफ दक्षिणपंथी समूहों ने आह्वान किया था। बीजेपी महासचिव सी टी रवि सहित पार्टी के कई पदाधिकारियों ने इस मांग का समर्थन किया था। भाजपा नेताओं ने “आर्थिक जिहाद” का मुकाबला करने के उपायों का समर्थन किया था। विपक्ष ने कहा कि यह भाजपा द्वारा मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए विभाजनकारी राजनीति का एक और प्रयास था।

निमंत्रण के बावजूद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के चर्च के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर येदियुरप्पा ने कहा “मैं ईसाई और मुस्लिम कार्यक्रमों में जाता था। यहां तक कि अन्य सामुदायिक कार्यक्रमों में भी जाता था। बोम्मई भी जाते थे। यदि किसी ने उन्हें आमंत्रित किया हो तो उन्हें जाना चाहिए। हमें ऐसे कार्यक्रमों को अधिक महत्व देना चाहिए। उन्हें ऐसे कार्यक्रमों में जाना चाहिए।”

भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य, 80 वर्षीय येदियुरप्पा खुद को तो चुनावी राजनीति से दूर रहने की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन अपनी परंपरागत शिकारीपुरा विधानसभा सीट से अपने पुत्र बी वाई विजयेंद्र को टिकट दिला दिया है।

पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं मिलने से राज्य इकाई में असंतोष चरम पर हैं। कुछ नेताओं ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामना शुरू कर दिया है, तो कुछ नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। लेकिन येदियुरप्पा कहते हैं कि पार्टी से विद्रोह और बगावत बहुत महत्व नहीं रखता है। बगावत का बीजेपी पर कोई असर नहीं होने वाला है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में, उनके (बागियों के) बाहर निकलने से थोड़ा फर्क पड़ सकता है, लेकिन पार्टी इससे प्रभावित नहीं होगी।

भाजपा के दिग्गज नेता, चार बार के सीएम ने कहा कि वह “निश्चित रूप से” चाहते थे कि उनके बेटे बी वाई विजयेंद्र, शिकारीपुरा में भाजपा के उम्मीदवार, उनके उत्तराधिकारी हों। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता, उनकी कल्याणकारी योजनाओं और मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में की गई सामाजिक कल्याण की पहल के साथ-साथ बोम्मई सरकार के उपायों से यह सुनिश्चित होगा कि “भाजपा को पूर्ण बहुमत मिले।”

लिंगायत नेताओं के पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा में उलझन

पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भले कहें कि बगावत और विद्रोह से भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। लेकिन पूर्व उप-मुख्यमंत्री एवं प्रमुख लिंगायत नेता, लक्ष्मण सावदी के शुक्रवार को भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने से कर्नाटक भाजपा में मायूसी है। पार्टी के प्रमुख आधार वोट लिंगायतों के नाराज होने से पार्टी सकते में है।

अपने बेटे को टिकट दिलाने में सफल होने के बाद येदियुरप्पा भले यह कहें कि बगावत से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन वह पहले ही सार्वजनिक रूप से अपने को चुनावी राजनीति से अलग करने और लिंगायतों को अपने हिसाब से राजनीति करने की घोषणा कर चुके हैं। कर्नाटक की सत्ता में लिंगायत समुदाय का किसी पार्टी से नाराज होना मायने रखाता है।

येदियुरप्पा के बाद कर्नाटक के दूसरे प्रमुख लिंगायत नेता लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में शामिल होने की सूचना से भाजपा की चिंता बढ़ गई है। सावदी तीन बार बेलगावी क्षेत्र के अथानी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सावदी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बेलगावी क्षेत्र में लिंगायतों का कांग्रेस की तरफ झुकाव हो सकता है। 63 वर्षीय सावदी ने अथानी से टिकट न मिलने पर भाजपा पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उन्हें टिकट का आश्वासन दिया था।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि वह सावदी के भाजपा छोड़ने के फैसले से आहत हैं, उन्होंने कहा “कांग्रेस के पास राज्य में 60 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों (224 में से) के लिए उम्मीदवार नहीं हैं और इसलिए वे अन्य दलों के नेताओं को शामिल कर रहे थे।”

राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने पार्टी में सावदी के प्रवेश को “ऐतिहासिक” बताया। “राज्य भर के 63 निर्वाचन क्षेत्रों में, भाजपा के बागी हैं। इनमें से करीब 90 फीसदी बागी कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।”

भाजपा के टिकट वितरण से असंतोष जारी रहा, होसदुर्गा के विधायक गुलीहट्टी शेखर ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और संकेत दिया कि वह एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे। एक अन्य मौजूदा भाजपा विधायक, एम पी कुमारस्वामी, जिन्हें मुदिगेरे से दोबारा मैदान में नहीं उतारा गया था, ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और जद (एस) के टिकट पर सीट से चुनाव लड़ने का संकेत दिया।

बीजेपी के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार ने कहा कि वह बीजेपी को उनके लिए टिकट तय करने के लिए “शनिवार दोपहर तक” की समय सीमा दे रहे हैं। उनके हुबली धारवाड़ सेंट्रल से चुनाव लड़ने की उम्मीद है, जिसके लिए पार्टी ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।

सावदी के बाहर निकलने से बीजेपी को नुकसान होगा क्योंकि यह कुछ लिंगायत वोटों को कांग्रेस की ओर ले जाएगा, जो कम से कम तीन सीटों पर महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, और बेलगावी क्षेत्र के 18 निर्वाचन क्षेत्रों में से अधिकांश को कांग्रेस के जीतने के प्रयासों में सहायक हो सकता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सतीश जारकीहोली ने सावदी के पार्टी में प्रवेश का स्वागत किया।

2019 से 2021 तक येदियुरप्पा के डिप्टी सीएम रहे सावदी को बोम्मई के सीएम बनने के बाद पद से हटा दिया गया था।

कांग्रेस में शामिल होने से पहले सावदी ने कहा, ‘यह सच है कि बीजेपी ने मुझे एमएलसी और डिप्टी सीएम बनाया, लेकिन उन्होंने मुझे क्यों हटाया? क्या मैंने डिप्टी सीएम का पद मांगा था? उन्होंने मुझे दिया फिर हटा दिया। यह सब करते हुए उन्होंने किससे पूछा? क्या उन्होंने मेरा अपमान नहीं किया?” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा में होने के बावजूद, वह हमेशा “धर्मनिरपेक्ष मूल्यों” से जुड़े रहे।

सावदी ने कहा “मुझे भाजपा ने धोखा दिया है। भाजपा का कहना है कि उसे 17 दलबदलुओं से अपना वादा निभाना है, लेकिन फिर उन्होंने आर शंकर को क्यों छोड़ दिया है और वे मुझसे किए गए वादे को निभाने में क्यों विफल रहे हैं?”

अगले प्रमुख लिंगायत नेता की भूमिका के लिए येदियुरप्पा के बेटे बी वाई विजयेंद्र के लिए एक चुनौती माने जाने वाले, सावदी ने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के दौरान उन्होंने कोई मांग नहीं की थी, जैसे कि उनके बेटे के लिए चुनाव टिकट- माना जाता है कि येदियुरप्पा ने इसके लिए भाजपा पर दबाव डाला था उनके बेटे को टिकट दिया जाए।

सावदी ने कहा, “केवल एक मांग है, और वह है कि मुझे अथानी से मैदान में उतारा जाए, और अथानी में कई जल परियोजनाओं को पूरा किया जाए…दूसरों के विपरीत, मैं अपने बच्चों के प्यार के कारण राजनीति में नहीं हूं।”

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles