कफील खान की रिहाई के खिलाफ याचिका खारिज, योगी सरकार को सुप्रीम झटका

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उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को तगड़ा झटका देते हुए उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्रदेश सरकार ने डॉ. कफील खान के खिलाफ एनएसए की धाराएं हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन सदस्यीय न्यायाधीश पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 1 सितंबर के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है, जिसने खान की हिरासत को रद्द कर दिया था। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि हमें दखल देने का कोई कारण नहीं दिखता।

पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत डॉ. कफील खान की हिरासत खत्म करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणी आपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी। अब डॉ. कफील खान के खिलाफ दर्ज मामले का निपटारा मेरिट के आधार पर ही होगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक सितंबर को डॉ. कफील को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने डॉ. खान की ओर से उनकी मां नुजहत परवीन की ओर से दायर रिट याचिका की अनुमति दी थी और खान की हिरासत को रद्द कर दिया था। खंडपीठ ने आदेश में कहा था कि एनएसए के तहत डॉ. कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि बढ़ाना गैरकानूनी है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 2 सितंबर को डॉ. कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था। इसके बाद हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय पहुंच गई थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।

यूपी सरकार की ओर से याचिका में कहा गया था कि डॉ. कफील खान का इतिहास ऐसे कई अपराध करने का रहा है, जिनके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है। राज्य सरकार ने कफील खान के खिलाफ एनएसए की धाराएं हटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में याचिका दाखिल की थी।

डॉ. कफील को सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भड़काऊ बयान देने के मामले में एनएसए के तहत जेल भेजा गया था। हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यूपी के सरकारी अमले के कामकाज और फैसले पर सवाल उठाए थे। डॉ. कफील को मिली राहत की दो सबसे बड़ी वजह एनएसए के लिए पर्याप्त आधार का न होना और एनएसए लगने के बाद जेल में आरोपी को सभी दस्तावेज मुहैया न कराना रहा है। डॉ. कफील ने दावा किया था कि उत्तर प्रदेश की विशेष पुलिस (एसटीएफ) ने गिरफ्तार करने के बाद न केवल उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया बल्कि अजीबोगरीब सवाल भी पूछे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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