नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने गुरुवार को एक समारोह में कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस जाति जनगणना को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इससे वे अपने आप खत्म हो जाएंगे। वे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों या लोकसभा चुनावों में अपनी पकड़ नहीं बना पाएंगे। वे हर जगह से ख़त्म हो जायेंगे।”
उन्होंने कहा कि अगले साल के आम चुनाव में भाजपा को उखाड़ फेंकने के बाद विभिन्न जातियों की जनसंख्या के हिसाब से सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार देश में ‘सत्ता का विभाजन’ होगा।
लालू ने कहा कि “जनसंख्या एक प्रतिशत और पद चाहिए बेशी। जनसंख्या के हिसाब से, सामाजिक न्याय के हिसाब से, अब देश की सत्ता का बंटवारा होगा और इनको (संघ-भाजपा) जाना पड़ेगा।”
राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख बिहार कांग्रेस मुख्यालय में राज्य के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कांग्रेस ने उन्हें मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था। लालू प्रसाद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस वादे का जिक्र किया कि अगर विपक्षी दल इंडिया सत्ता में आता है तो देश भर में जाति जनगणना कराई जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि “जाति जनगणना आवश्यक है। राहुल गांधी ने उस सामाजिक न्याय के झंडे को अपनाया है जिसे हम थामते थे। जाति जनगणना स्वत: भाजपा को मिटा देगी।”
बिहार सरकार द्वारा हाल ही में कराए गए एक जाति-आधारित सर्वेक्षण से पता चला है कि राज्य की आबादी में अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.02 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत है और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आलोक में राज्य में आरक्षण प्रतिशत को संशोधित करने का संकेत दिया है। इसे हिंदुत्व और अति-राष्ट्रवाद के खिलाफ जातिगत पहचान को खड़ा करके भाजपा का मुकाबला करने के लिए एक मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है।
इसने नीतीश की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (एसपी) के लिए एक संदेश के रूप में काम किया, जो कांग्रेस से नाराज प्रतीत होती हैं, कि वे वापस आ जाएं।
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